दिवाली जश्न के बाद दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुँच है। AQI 451 के पार पहुँच गया है। पटाखों और स्थिर मौसम के कारण प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में है।
दिवाली की रौनक अभी बाकी है, लेकिन राजधानी दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में धुंध और प्रदूषण की परत ने शहर को जहरीली हवा में लपेट लिया है। मंगलवार सुबह दिल्लीवासी 'टॉक्सिक ट्यूज्डे' के नाम से जानी जाने वाली भयावह स्थिति में जागे, जहां आसमान पर मोटी धुंध की चादर बिछी नजर आई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 451 तक पहुंच गया, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है। यह राष्ट्रीय औसत से 1.8 गुना अधिक है।
दिवाली की रात में ही AQI 'बहुत खराब' स्तर पर लुढ़क गया था, लेकिन मंगलवार को यह और बिगड़ गया। एनसीआर के शहरों की हालत भी चिंताजनक है। नोएडा में AQI 407 और गुड़गांव में 402 दर्ज किया गया, जो 'बहुत खराब' से 'गंभीर' के बीच झूल रहा है। AQI के पैमाने के अनुसार, 0-50 अच्छा, 51-100 संतोषजनक, 101-200 मध्यम, 201-300 खराब, 301-400 बहुत खराब और 401-500 गंभीर माना जाता है। मौसम विभाग के अनुसार, तेज हवाओं की कमी के कारण धुंध भरी स्थितियां बनी रहेंगी। मंगलवार सुबह कई इलाकों में आंशिक बादल छाए रहे।
इस प्रदूषण का मुख्य कारण दिवाली के उत्सव में छोड़े गए पटाखे और आतिशबाजी हैं। त्योहार की चमक-दमक के साथ हवा में उड़ने वाले धुआं ने प्रदूषण को चरम पर पहुंचा दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों की शुरुआत में पहले से मौजूद धूल और वाहनों के धुएं ने भी स्थिति को और जटिल बना दिया। तेज हवाओं के अभाव में यह जहरीला कोकटेल हवा में लटका रहा, जिससे सांस लेना मुश्किल हो गया।
स्वास्थ्य पर संकट का साया
गंभीर AQI स्तर के कारण सांस संबंधी बीमारियां, अस्थमा और हृदय रोगियों के लिए खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि बच्चे, बुजुर्ग और पहले से बीमार लोग घर से बाहर न निकलें। मास्क पहनना और एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल अनिवार्य करार दिया गया है। हालांकि, आधिकारिक आंकड़ों में अभी तक कोई विशिष्ट स्वास्थ्य प्रभावों की रिपोर्ट नहीं आई है, लेकिन धुंध की मोटी परत ने शहर की दृश्यता को भी प्रभावित किया है।
सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम या बयान जारी नहीं हुआ है, लेकिन मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि आने वाले दिनों में हवा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद कम है। पर्यावरणविदों ने मांग की है कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए और वाहनों तथा उद्योगों पर सख्त निगरानी हो। पिछले वर्षों की तुलना में इस बार प्रदूषण और तेजी से बढ़ा है, जो जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण की चपेट में फंसे शहर की मजबूरी को दर्शाता है।
दिल्ली की यह 'धुंध यात्रा' अब एक वार्षिक समस्या बन चुकी है। क्या इस बार प्रशासन प्रदूषण पर लगाम कस पाएगा? शहरवासी उम्मीद करते हैं कि साफ हवा का अधिकार जल्द ही बहाल हो। फिलहाल दिल्ली के बहुत सारे इलाके रेड ज़ोन में हैं।