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निर्भया कांड के चारो दोषियों को अब 20 मार्च को हो सकती है फाँसी

निर्भया रेप और हत्या के मामले में चारो दोषियों की फाँसी अब 20 मार्च को सुबह साढ़े पाँच बजे होगी। दिल्ली की एक अदालत ने यह ताज़ा डेथ वारंट जारी किया है। यह चौथी बार है जब डेथ वारंट जारी किया गया है। दया याचिका जैसे अपने क़ानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करने के कारण उनकी फाँसी अब तक तीन बार टाल दी गई है। उन चारों को तीन मार्च को फाँसी की सज़ा दी जानी थी। लेकिन इससे पहले ही राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने के कारण दो मार्च को इस पर रोक लगा दी गई थी। 

दोषियों की तरफ़ से बार-बार यह कोशिश की जा रही है कि फाँसी की सज़ा को टाला जाए। इसी कारण चारों दोषी अलग-अलग समय पर दया याचिका जैसे अपने क़ानूनी अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं। 

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पवन गुप्ता की दया याचिका खारिज किए जाने के बाद इस ताज़ा डेथ वारंट को जारी किया गया है। इसके साथ ही अब चारों दोषियों ने अपने सभी क़ानूनी अधिकारों को इस्तेमाल कर लिया है। दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि चारो दोषियों- विनय शर्मा, पवन गुप्ता, मुकेश सिंह और अक्षय सिंह ने सभी क़ानूनी अधिकारों का इस्तेमाल कर लिया है। इसके बाद ही यह 20 मार्च वाला ताज़ा डेथ वारंट जारी हुआ है। 

कब-कब तय हुई फाँसी की तारीख़

  • 22 जनवरी
  • 1 फ़रवरी
  • 3 मार्च
  • 20 मार्च
नियम के अनुसार, यदि राष्ट्रपति दया याचिका खारिज करते हैं तो क़ानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए जाने के लिए 14 दिन बाद ही फाँसी की सज़ा दी जाती है। इन्हीं क़ानूनी प्रक्रियाओं में ही दोषी का वह अधिकार भी शामिल है जिसमें वह राष्ट्रपति द्वारा खारिज दया याचिका की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करता है। ऐसे ही वे क़ानूनी प्रक्रियाएँ हैं जिनका इस्तेमाल करते हुए दोषी अब तक तीन बार फाँसी की सज़ा को टलवाने में कामयाब रहे हैं। बार-बार सज़ा को टाले जाने पर निर्भया की माँ इन क़ानूनी प्रक्रियाओं पर सवाल उठाती रही हैं।
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कोर्ट के इस ताज़ा फ़ैसले के बाद निर्भया की माँ आशा देवी ने कहा, 'मैं उम्मीद करती हूँ कि यह आख़िरी तारीख़ होगी और उन्हें 20 मार्च को फाँसी की सज़ा दे दी जाएगी। मरते समय निर्भया ने मुझसे कहा था कि दोषियों को ऐसी सज़ा ही मिले कि फिर कभी ऐसा अपराध करने का कोई दुस्साहस नहीं करे।' बता दें कि बार-बार सज़ा को टाले जाने पर वह नाराज़गी जताती रही हैं और सज़ा देने में तेज़ी लाने की माँग करती रही हैं। 

16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में चलती बस में निर्भया से छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था। 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। इस जघन्य कांड के मुख्य अभियुक्त राम सिंह ने 11 मार्च, 2013 को तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी।

बस में अक्षय कुमार सिंह हेल्पर के रूप में काम करता था। अक्षय बलात्कार, हत्या और सबूत मिटाने का दोषी है। इसके अलावा जिम ट्रेनर विनय शर्मा, बस ड्राइवर मुकेश सिंह भी इस जघन्य कांड में शामिल थे। एक और दोषी पवन गुप्ता फल की दुकान लगाता था। एक दोषी जो नाबालिग था उसे तीन साल की जेल के बाद छोड़ दिया गया था।

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क़मर वहीद नक़वी
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