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सत्येंद्र जैन केस ट्रांसफर का फैसला कल तक लिया जाएः SC

जेल में बंद आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सेशन जज दिल्ली से कहा है कि वो कल गुरुवार 22 सितंबर तक इस बात का फैसला ले कि ईडी की अर्जी पर जैन का केस किस अदालत में सुना जाएगा। सत्येंद्र जैन के लिए यह राहत वाली खबर है, क्योंकि दिल्ली सीजेएम कोर्ट ने पिछली तारीख पर इस केस को ट्रांसफर करने पर कोई फैसला नहीं लिया और मामले को 30 सितंबर तक टाल दिया। जबकि जैन की जमानत याचिका पर भी सुनवाई हो रही है। तकनीकी रूप से सत्येंद्र जैन को कम से कम 30 सितंबर तक जेल में रहना होगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई का आदेश देकर उनकी जमानत की सुनवाई भी जल्द होने का रास्ता साफ कर दिया।

मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी और सीबीआई ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ केस दर्ज कर रखा है। विशेष जज की अदालत में जब इस मामले की सुनवाई हुई तो विशेष जज ने ईडी से कुछ कड़े सवाल किए। इस घटनाक्रम के बाद ईडी ने सीजेएम कोर्ट में इस केस को अन्य कोर्ट में ट्रांसफर करने की अर्जी लगा दी। सीजेएम कोर्ट ने केस ट्रांसफर करने पर कोई फैसला नहीं लिया। जबकि जैन के वकीलों ने सीजेएम कोर्ट से कहा था कि वो जल्द से जल्द इस मामले में तारीख दें ताकि जमानत पर सुनवाई आगे बढ़ सके।

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सत्येंद्र जैन की ओर वरिष्ठ एडवोकेट कपिल सिब्बल आज बुधवार 21 सितंबर को जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच के सामने पेश हुए। कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि निचली अदालत के सामने अंतिम घंटे में ईडी ने जानबूझकर देरी से अर्जी लगाई। ताकि जैन की जमानत पर फैसला लटका रहे। ईडी ने मामले को किसी अन्य जज को ट्रांसफर करने के लिए कोई औपचारिक आवेदन भी दायर नहीं किया और ईडी की ओर से एएसजी कोर्ट में जुबानी कहा कि वो इस केस को अन्य कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए अर्जी लगा रहे हैं।
कपिल सिब्बल ने कहा कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता किसी भी चीज़ से अधिक महत्वपूर्ण है। इस पर सिब्बल की दलील का विरोध करते हुए ईडी की ओर से एएसजी एसवी राजू ने अदालत में कहा कि उनके पास मामले में ट्रांसफर की मांग करने के निर्देश हैं और उचित समय पर एक आवेदन भी दायर किया जाएगा। सिब्बल ने एएसजी को जवाब दिया कि निचली अदालत में दो साल से इस मामले की सुनवाई हो रही है और अगर इसे अभी किसी अन्य कोर्ट को ट्रांसफर किया गया तो पूरी कार्यवाही को फिर से उस कोर्ट को सुनना होगा। तब तक हमारे मुवक्किल की जमानत भी लटकी रहेगी। 

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा, व्यक्ति की स्वतंत्रता पवित्र है, और इसलिए हमने इस मामले को तत्काल आधार पर लिया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सेशन जज से इस मामले को कल गुरुवार को ही तय करने को कहा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह भी कहा कि वह गुण-दोष के आधार पर जमानत याचिका पर फैसला नहीं कर सकती और सुझाव दिया कि निचली अदालत के जज ही मामले की सुनवाई करें और प्राथमिकता के आधार पर फैसला करें।
सत्येंद्र जैन, उनकी पत्नी पूनम जैन और अन्य के खिलाफ दर्ज आय से अधिक संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने अप्रैल में निजी फर्मों के स्वामित्व वाली 4.81 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 के तहत जब्त करने के बाद गिरफ्तार किया था।

ईडी की चार्जशीट में कहा गया है कि सत्येंद्र जैन ने 14 फरवरी से 31 मई, 2017 की अवधि के दौरान दिल्ली सरकार में मंत्री के पद पर रहते हुए अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की थी।

सत्येंद्र जैन मामले का रोचक घटनाक्रम

सोमवार 19 सितंबर को जैन के मामले में बड़ा अजीबोगरीब घटनाक्रम हुआ। उस दिन एएसजी राजू ने प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (सीजेएम) विनय कुमार गुप्ता को केस ट्रांसफर वाली अर्जी लगाए जाने से मौखिक रूप से अवगत कराया था। जिसके बाद इस मामले में प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया गया। उसी समय सीजेएम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 30 सितंबर तक के लिए टाल दी। इस तरह विशेष जज की कोर्ट सत्येंद्र जैन की जमानत पर 30 सितंबर तक कोई फैसला नहीं कर सकती।

इस मामले में जैन के वकील सुशील कुमार गुप्ता ने अपने मुवक्किलों की ओर से इस तथ्य पर हैरानी व्यक्त करते हुए नोटिस स्वीकार किया कि ईडी ने इस मामले में पूरे मुकदमे को ट्रांसफर करने की मांग की है। गुप्ता ने कहा, हमें यह आभास दिया गया था कि यह जमानत आवेदन के मामले में अर्जी थी। लेकिन अब केस दूसरी अदालत में ट्रांसफर करने की मांग जा रही है।
वकील गुप्ता ने अदालत से छोटी अवधि की तारीख देने के लिए कहा, क्योंकि जमानत याचिका पर 40 दिनों से सुनवाई चल रही थी और "अपने अंतिम चरण में थी।" लेकिन सीजेएम कोर्ट ने 30 सितंबर की तारीख दी।

अदालत के कड़े सवाल

ईडी ने विशेष जज की अदालत से इस मामले के ट्रांसफर का अनुरोध खास वजहों से किया। इस मामले में सुनवाई करते हुए विशेष जज गीतांजलि गोयल ने ईडी से कड़े सवाल किए थे। जैन की जमानत याचिका का रिव्यू करते हुए, विशेष जज गीतांजलि गोयल ने 'मामले में अपराध' के बारे में पूछा। जज ने एएसजी से पूछा, कि इस मामले में अपराध कहां हुआ है, बताएं? क्या 4.61 करोड़ रुपये कथित अपराधी की आय हो सकती है जबकि सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में 1.46 करोड़ रुपये का उल्लेख किया है? क्या यह पैसा डीए मामले में उस पैसे से अधिक हो सकता है?
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दरअसल, आरोपपत्र में सीबीआई और ईडी ने जिस रकम का जिक्र किया है, उनमें काफी बड़ी असमानता है। अदालत ने इसी मुद्दे पर ईडी से सवाल किए थे। ईडी के विशेष जज के कड़े सवालों के जवाब नहीं थे।

जैन के वकीलों का आरोप है कि पहले 13 सितंबर और फिर 15 सितंबर को ईडी की ओर से इस मामले में तारीख पर तारीख के लिए रास्ता बनाया गया। जानबूझ कर कोर्ट को देर से बताया गया कि मामले को दूसरे कोर्ट में ट्रांसफर के लिए अर्जी लगाई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को ईडी की ओर से स्वीकार भी किया गया कि अभी तक विशेष जज की कोर्ट से मामले को ट्रांसफर करने की अर्जी नहीं लगाई गई है।

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क़मर वहीद नक़वी
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