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रुझान / नतीजे चुनाव 2023

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चुनाव में दिग्गज

प्रतीकात्मक और फाइल फोटो

राज्यों की राजनीति के कारण इंडिया गठबंधन के सहयोगियों में टकराव क्यों ?

इन दिनों समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कांग्रेस से काफी नाराज़ बताये जा रहे हैं। माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर वे कांग्रेस से खासा नाराज हैं। 

पिछले गुरुवार को ही सपा मुखिया ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस अपने चिरकुट नेताओं से सपा के लिए बयानबाजी न करवाए। अखिलेश इतने नाराज़ हैं कि उन्होंने कांग्रेस को धोखेबाज तक बता दिया। 

उन्होंने कहा, अगर उन्हें पता होता कि इंडिया गठबंधन विधानसभा स्तर पर नहीं है तो वह कांग्रेस से बात ही नहीं करते। अखिलेश यादव ने कहा कि अगर वे (कांग्रेस) कहते हैं, कि विधानसभा स्तर पर गठबंधन नहीं है तो हम इसे स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा कि शायद हमें ही इसको लेकर कन्फ्यूजन रहा होगा।

अखिलेश यादव की नाराज़गी का कारणयूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का वह बयान है जिसमें उन्होंने कहा था कि मध्य प्रदेश में सपा की कोई हैसियत नहीं है। 
इस पर नाराज़ अखिलेश ने कहा कि अजय राय की ही हैसियत क्या है। इंडिया गठबंधन के बारे में वे कितना जानते हैं, क्या बैठकों में वे थे।अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस के बड़े नेताओं से मेरी अपील है कि वह छोटे नेताओं से इस तरह की बयानबाजी न कराएं। 
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आप भी तीन राज्यों में कांग्रेस को दे रही चुनौती

जहां सीट बंटवारे को लेकर सपा कांग्रेस से नाराज़ हैं वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी भी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस को चुनौती देती दिख रही है। आप ने इन राज्यों की विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी कर ली है। 

आप इन राज्यों में उतर कर जोर आजमाइश की कोशिश कर रही है। हालांकि माना जा रहा है कि इससे वह कांग्रेस के ही वोटों को काट सकती है। 

कांग्रेस मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन अन्य सहयोगियों से सीटों का बंटवारा करने की इच्छुक नहीं नजर आ रही है। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि कांग्रेस को भरोसा है कि इन राज्यों में वह अपनी बदौलत ही चुनाव जीत सकती है। इस आत्मविश्वास के कारण वह अन्य सहयोगियों के साथ सीट साझा नहीं कर रही। 
इसके कारण इंडिया गठबंधन में दरार पड़ती दिख रही है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक यह अनुमान लगा रहे हैं कि अगर इस तरह ही टकराव होता रहा तो इंडिया गठबंधन में टूट हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो भाजपा की यह बड़ी जीत होगी। 
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नीतीश ने कहा, जब तक जिंदा हैं भाजपा नेताओं से दोस्ती खत्म नहीं होगी 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 19 अक्टूबर को मोतिहारी में स्थित महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में एक बयान दिया जिस पर राजनैतिक चर्चाओं का दौर शुरु हो गया है। 

इस समारोह में उन्होंने कहा था कि भाजपा  नेताओं से उनकी दोस्ती तब तक खत्म नहीं होगी जब तक वह जिंदा हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा से अलग है तो क्या हुआ, आपसे दोस्ती हमेशा बरकरार रहेगी। 

इसी मंच से नीतीश कुमार ने तत्कालीन मनमोहन सरकार की आलोचना भी कर दी है। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुई। भाजपा नेता व मोतिहारी के सांसद राधा मोहन सिंह समेत बड़ी संख्या में स्थानीय भाजपा नेता भी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने समारोह के मंच से जब यह बातें कही तो हॉल में मौजूद भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर ने जमकर तालियां बजायी। 

 

नीतीश कुमार ने वहां मौजूद भाजपा नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि जितने लोग हमारे हमार हैं, सब साथी हैं, छोड़िए ना हम अलग हैं, आप अलग हैं तो इससे क्या हुआ, लेकिन हमारा दोस्तियां इससे थोड़े न खत्म होगा। 

जब तक हम जीवित रहेंगे आप लोगों के साथ ही हमारा संबंध रहेगा। उन्होंने कहा कि चिंता मत करिए, चिंता मत करिए। आपके साथ इतना दिन हम रहे हैं और आगे भी हमारा संबंध बना रहेगा।

 नीतीश कुमार ने भाजपा नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी हमारे मित्र हैं, सहयोगी हैं, साथी हैं। उन्होंने कहा कि सब लोग मिलकर साथ बैठकर तेजी से काम सब करवा दीजिए तो बहुत अच्छा रहेगा। इससे मुझे बहुत खुशी होगी। 
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क़मर वहीद नक़वी
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