loader
फाइल फोटो

क्या संसद के शीतकालीन सत्र में यूसीसी पर चर्चा करायेगी सरकार? 

आगामी 4 दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र आयोजित होने जा रहा है। संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि संसद का शीतकालीन सत्र आगामी 4 दिसंबर से शुरू होगा। शीतकालीन सत्र 22 दिसंबर तक चलेगा। इन 19 दिनों में 15 बैठकें होंगी।   
संसद का शीतकालीन सत्र ऐसे समय में हो रहा है जब 3 दिसंबर को पांच राज्यों में हुए चुनाव का नतीजा आ रहा है। माना जा रहा है कि इन नतीजों से ही तय होगा कि संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष में से कौन ज्यादा आक्रामक रुख अपनाता है।  
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष जहां जाति जनगणना का मुद्दा उठा सकता है। साथ ही विपक्ष की ओर से ईडी, सीबीआई और आईटी जैसी केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई को लेकर भी संसद में सवाल उठाये जा सकते हैं।
 इस सत्र में विपक्ष एकजुट होकर सरकार को घेरने की कोशिश कर सकता है। वहीं सूत्रों के मुताबिर संसद के शीतकालीन सत्र में भाजपा यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भी बहस छेड़ सकती है। हालांकि इस मुद्दे पर अभी विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी है। इस सत्र में सरकार आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट का स्थान लेने वाले तीनों विधेयकों को पारित करा सकती है।   
ताजा ख़बरें

महुआ मोइत्रा की जा सकती है संसद सदस्यता

 इसके साथ ही संसद के शीतकालीन सत्र में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर लगे आरोपों को लेकर लोकसभा की एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर लोकसभा अध्यक्ष कोई फैसले ले सकते हैं। 
माना जा रहा है कि एथिक्स कमेटी की ओर से महुआ मोइत्रा को लोकसभा से बर्खास्त करने की  सिफारिश की गई है। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्डा के निलंबन का मामला भी इस सत्र में आयेगा। 
संसद के इस शीतकालीन सत्र में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित एक लंबित विधेयक पर भी अहम निर्णय लिये जा सकते हैं। 

इसको लेकर मानसून सत्र में पेश किए गए प्रस्ताव को सरकार ने विपक्ष और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों के विरोध के बीच संसद के विशेष सत्र में पारित करने पर जोर नहीं दिया था। सरकार मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की स्थिति को कैबिनेट सचिव के बराबर लाना चाहती है। जबकि वर्तमान में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश का दर्जा प्राप्त है।  
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

दिल्ली से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें