जामनगर की एक स्थानीय अदालत ने 1990 में हिरासत में मौत के मामले में गुजरात कैडर के बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। पुलिस कांस्टेबल प्रवीण सिंह झाला को भी यही सजा दी गई है। जामनगर ज़िला और सत्र न्यायाधीश डीएम व्यास ने सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष के अनुसार भट्ट ने एक सांप्रदायिक दंगे के दौरान सौ से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया था और इनमें से एक व्यक्ति की रिहा किए जाने के एक दिन बाद मौत हो गई थी। बता दें कि संजीव भट्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ खुलकर बोलने के लिए चर्चा में रहे हैं। उन्होंने गुजरात दंगों में हाथ होने का आरोप लगाते हुए नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा तक दे दिया था। मोदी के ख़िलाफ़ कोई आरोप साबित नहीं हो पाए। लेकिन इसके बाद संजीव भट्ट के बुरे दिन शुरू हो गए। उनको पहले निलंबित किया गया था और बाद में 2015 में नौकरी से ही बर्खास्त कर दिया गया। अब एक ऐसे केस में उन्हें सजा हुई है जो क़रीब 30 साल पहले दर्ज की गई थी।