Dalit IPS Y Puran Kumar Case: दलित आईपीएस वाई पुरन कुमार खुदकुशी के मामले में अपने टॉप अफसरों को बचाने के लिए हरियाणा सरकार अब लीपापोती में जुट गई है। अभी तक अंतिम संस्कार नहीं हुआ है। परिवार ने उसके लिए शर्त रख दी है।
आईपीएस अधिकारी वाई पुरन कुमार
दलित आईपीएस अधिकारी वाई पुरन कुमार के परिवार ने पोस्टमॉर्टम और अंतिम संस्कार के लिए शर्तें रख दी हैं। परिवार ने कहा है कि पोस्टमार्टम और दाह संस्कार तभी किया जाएगा जब तक एफआईआर में संशोधन करके डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिरजानिया के नाम शामिल नहीं किए जाते। पुलिस ने आरोपियों के नाम न लिखकर सीधे यह लिखा है कि सुसाइड नोट में जो नाम हैं वो आरोपी हैं। जबकि पुरन कुमार की आईएएस पत्नी अमनीत पी कुमार ने अपनी लिखित शिकायत में डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिरजानिया के नाम लिखे थे। क्योंकि उनके पति ने भी कुल 8 अफसरों में इन दोनों का खासतौर पर उल्लेख किया था। इस मामले में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आश्वासन के बावजूद चुप्पी साध ली है। 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी वाई पुरन कुमार ने चंडीगढ़ सेक्टर 11 स्थित अपने आवास पर खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी।
मुख्यमंत्री नायब सैनी क्यों कर रहे हैं लीपापोती
पुरन कुमार के परिवार के एक सदस्य ने कहा, "मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा दिए गए वादे के अनुसार इन दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर जाने के लिए कहा जाना चाहिए। उन्होंने गुरुवार को परिवार को आश्वासन दिया था कि दोनों अधिकारियों को भेजने का फैसला शाम 5 बजे तक ले लिया जाएगा। हालाँकि, कुछ नहीं हुआ। गिरफ़्तारियाँ बाद में भी हो सकती हैं, लेकिन न्यूनतम कार्रवाई बिना किसी देरी के होनी चाहिए।" सीएम के वादे को एक दिन होने जा रहा है लेकिन कोई एक्शन सरकार की ओर से नहीं हुआ।
मंत्री ने पुरन कुमार के परिवार से अंतिम संस्कार के लिए कहा
जानकारी के अनुसार, हरियाणा के मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने परिवार से मुलाकात की और उनसे अंतिम संस्कार की अनुमति देने का आग्रह किया। परिवार के एक सदस्य ने बताया, "हमने उनके माध्यम से सरकार को सूचित कर दिया है कि दोनों अधिकारियों को पहले छुट्टी पर भेजा जाना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा कि सरकार अच्छी तरह जानती है कि इस त्रासदी में परिवार की मदद के लिए उसे क्या करना है। इस बीच, आईएएस एसोसिएशन ने शाम को शोक सभा आयोजित की।
पुरन कुमार की पत्नी ने चंडीगढ़ पुलिस को पत्र लिखा
आईएएस अधिकारी पत्नी अमनीत पी. कुमार ने चंडीगढ़ पुलिस को पत्र लिखकर उसकी एफआईआर पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने एफआईआर में एससी/एसटी एक्ट की "कमजोर धाराओं" को ठीक करने की मांग की है। चंडीगढ़ पुलिस ने गुरुवार रात देर से (9 अक्टूबर, रात 10:22 बजे) एफआईआर दर्ज की, जिसमें आत्महत्या के लिए उकसाने (धारा 108 आरडब्ल्यू 3(5)) और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) एक्ट की धारा 3(1)(र) के तहत आरोप लगाए गए हैं। यह एफआईआर अमनीत की बुधवार को दर्ज शिकायत और 'फाइनल नोट' पर आधारित है। पुलिस ने बयान जारी कर कहा, "फाइनल नोट में उल्लिखित आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। आगे की जांच जारी है।"
हालांकि, एफआईआर के कॉलम नंबर 7 में आरोपियों के नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिखे गए हैं, बल्कि केवल "फाइनल नोट के अनुसार" लिखा है। अमनीत ने शुक्रवार को एसएसपी कंवरदीप कौर को लिखे पत्र में इसकी शिकायत की। उन्होंने कहा कि एफआईआर की अनसाइन कॉपी में अपूर्ण जानकारी है और आरोपीयों के नाम, खासकर डीजीपी शत्रुजीत कपूर तथा एसपी नरेंद्र बिजरनिया के नाम, दर्ज नहीं हैं, जो "आत्महत्या का ट्रिगर पॉइंट" थे।
अपने पत्र में अमनीत ने लिखा, "यह सूचित करने के लिए कि आप व्यक्तिगत रूप से मेरे चंडीगढ़ के सेक्टर-24 स्थित आवास पर एफआईआर की कॉपी सौंपने आईं। लेकिन यह अनसाइन कॉपी अपूर्ण जानकारी वाली है। आरोपियों के नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिखे गए हैं और दस्तावेज में निष्पक्ष एवं पारदर्शी जांच के लिए आवश्यक विवरणों का अभाव है।" उन्होंने कहा, "शिकायत और फाइनल नोट के अनुसार आरोपी (1) डीजीपी शत्रुजीत कपूर (2) नरेंद्र बिजरानिया (रोहतक एसपी) के नाम एफआईआर में दर्ज नहीं हैं। तय प्रारूप के अनुसार, सभी आरोपी कॉलम नंबर 7 में स्पष्ट रूप से सूचीबद्ध होने चाहिए। इसलिए एफआईआर में सभी आरोपीयों के नाम ठीक से दर्ज करने का अनुरोध है।"
यह घटना हरियाणा पुलिस विभाग में उच्च स्तरीय उत्पीड़न के आरोपों को नई बहस छेड़ रही है। पुरन कुमार के नोट में अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं, जो जांच का हिस्सा बन सकते हैं।