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किसान नेताओं पर कार्रवाईः खट्टर सरकार का यूटर्न क्यों?

भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार राज्य की सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए), 1980 लागू करने के अपने फैसले से अब पीछे हट गई। किसान नेताओं के खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई करने की घोषणा के कुछ घंटे बाद, हरियाणा पुलिस ने अपना फैसला पलट दिया। अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस ने अभी तक किसान नेताओं के खिलाफ एनएसए लागू नहीं किया है और सिर्फ "प्रक्रिया शुरू की है।" लेकिन अब उसे भी रोक दिया गया है।

आईजी (अंबाला) सिबाश कबिराज ने कहा, “यह स्पष्ट किया जाता है कि अंबाला जिले में कुछ फार्म यूनियन नेताओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के मामले पर पुनर्विचार किया गया है और यह निर्णय लिया गया है कि ऐसा नहीं किया जाएगा।” 

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हरियाणा सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि किसान नेताओं के खिलाफ एनएसए लागू करना "प्रतिशोधात्मक" साबित होगा और इससे न सिर्फ किसानों बल्कि समाज के अन्य वर्गों में भी नाराजगी होगी। अधिकारी ने कहा, ''ऐसे में हमने इस पर तुरंत फैसला लिया।''

एनएसए लागू करने की घोषणा पंजाब के 22 वर्षीय आंदोलनकारी किसान शुभकरण की हरियाणा पुलिस के साथ टकराव के बाद मौत के ठीक एक दिन बाद हुई। किसान की मौत के बाद हरियाणा सरकार काफी दबाव में है। किसान की मौत सिर में गोली लगने से हुई। हालांकि अधिकारियों ने तमाम तरह से खंडन किया कि इस मौत से हरियाणा पुलिस का कोई संबंध नहीं है, लेकिन जो प्रत्यक्ष था, उसने खंडन की हवा निकाल दी। सरकार ने किसान नेताओं को डराने के लिए फौरन ही एनएसए लगाने की घोषणा कर दी थी। लेकिन अब पीछे हट गई है।

किसान नेताओं और अन्य कार्यकर्ताओं ने हरियाणा सरकार के एनएसए के कदम को उनकी आवाज दबाने के प्रयास के रूप में देखा। भारतीय किसान यूनियन (चादुनी) के नेता राकेश बैंस ने आरोप लगाया कि ऐसे कदम "तानाशाही का संकेत" हैं। बैंस ने कहा, "इस तरह के अत्याचारों का उद्देश्य हर किसी को अपने अधिकारों के लिए आंदोलन करने से रोकना है।"

जींद के एक अन्य किसान नेता आजाद सिंह पलवा ने कहा कि किसान ऐसे कदमों से विचलित नहीं होंगे। उन्होंने कहा, ''हम तब तक लड़ेंगे जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की हमारी मांग स्वीकार नहीं कर ली जाती।''

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कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने एनएसए के इस्तेमाल की आलोचना करते हुए कहा, “अगर हम आज किसान नेताओं के खिलाफ एनएसए का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो कल सभी यूनियनों और एसोसिएशनों को संदेश जाएगा कि अगर वे अपनी आवाज उठाने की कोशिश करेंगे या सड़कों पर उतरेंगे। उनके खिलाफ भी एनएसए लगेगा. यह कैसी लोकतांत्रिक परंपरा है?”

उन्होंने कहा- “(अधिकारी) किसानों को चुप कराने के लिए ये सभी मनमाने तरीके क्यों अपना रहे हैं। एक तरफ हम कहते हैं कि किसान हमारे परिवार का हिस्सा हैं। जबकि परिवार के घर के चारों ओर किलेबंदी है? कौन सा परिवार अपने घर के आसपास आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल करता है?” 

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क़मर वहीद नक़वी
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