हरियाणा के आईपीएस अधिकारी एडीजीपी वाई. पूरन कुमार की कथित आत्महत्या की घटना ने देश की पुलिस व्यवस्था को हिलाकर रख दिया है। यह सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि हरियाणा में भाजपा सरकार की नीतियों पर बड़ा सवाल बन गया है। कुमार ने अपने 8 पेज के आखिरी नोट में कई बड़े आईएएस और आईपीएस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने लिखा कि इन अधिकारियों ने उनकी जाति के आधार पर भेदभाव किया, मानसिक तौर पर परेशान किया, सार्वजनिक रूप से बेइज्जत किया और इतना सताया कि उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।

2001 बैच के आईपीएस अधिकारी पूरन कुमार की सेवानिवृत्ति 2033 में होनी थी। 7 अक्टूबर 2025 को लिखे गए उनके सुसाइड नोट में मौजूदा डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर समेत कई बड़े अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया है। नोट में अनुसूचित जाति के अधिकारियों के खिलाफ सिस्टम में भेदभाव और अपमान की डरावनी तस्वीर दिखाई गई है।
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कुमार की मौत ऐसे समय में हुई जब पुलिस में जातिवाद को लेकर गुस्सा बढ़ रहा है। उनके आरोपों में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के समय से चले आ रहे कथित भाई-भतीजावाद, तरक्की न देने और नियमों को चुनिंदा तरीके से लागू करने की बातें शामिल हैं। कुमार की पत्नी और 2001 बैच की आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने 8 अक्टूबर को चंडीगढ़ के सेक्टर 11 पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने डीजीपी कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया पर आत्महत्या के लिए उकसाने (आईपीसी की धारा 306) और अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून, 1989 के तहत मुकदमा दर्ज करने और दोषियों को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की।

सुसाइड नोट में दर्द और आरोपों की चीख

कुमार के लैपटॉप बैग और अलमारी से नोट मिले हैं। कुमार ने अपने हाथ से लिखे नोट में अगस्त 2020 से शुरू हुए अपने दुखों का जिक्र किया। इसकी शुरुआत पूर्व डीजीपी मनोज यादव से हुई। कुमार ने आरोप लगाया कि अंबाला में एक पुलिस स्टेशन के मंदिर में उनके दर्शन करने के बाद यादव ने उनकी जाति को लेकर गालियां दीं और भेदभाव शुरू किया। यहीं से बदले की शुरुआत हुई। कुमार ने लिखा, ‘जातिगत भेदभाव, सार्वजनिक अपमान, मानसिक उत्पीड़न और सताने की घटनाएं लगातार होती रहीं।’ 

पूरन कुमार ने अपने बैचमेट और बड़े अधिकारियों के नाम लिए हैं जिन्होंने छुट्टियां, गाड़ी, सरकारी आवास और तरक्की न देकर उनकी जिंदगी मुश्किल की।

नोट में ये बड़े आरोप हैं

डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर: इन्हीं पर सबसे बड़ा आरोप है। उन पर झूठे सबूत बनाने, फर्जी हलफनामे दाखिल करने और पुलिस के नेटवर्क (WAN) पर अपमानजनक टिप्पणियां करने का आरोप है, जिससे कुमार की बेइज्जती हुई। कुमार ने कहा कि कपूर ने उनकी शिकायतों को अनसुना किया और धमकियां भिजवाईं।

एडीजीपी अमिताभ ढिल्लों और संजय कुमार (1997 बैच): इन पर गोपनीय जानकारी लीक करने, जांच में हेरफेर करने और उच्च जाति के अधिकारियों के पक्ष में शिकायतों को दबाने का आरोप है।

आईजीपी पंकज नैन (2007 बैच): इन पर गुमनाम शिकायतें बनाने और कुमार की आर्थिक स्थिति की गलत जांच कर उनकी इज्जत खराब करने का आरोप है।

अन्य: इसमें रिटायर्ड अधिकारी जैसे मनोज यादव, पी.के. अग्रवाल और टी.वी.एस.एन. प्रसाद शामिल हैं, जिन्हें कुमार ने "जातिगत भेदभाव से प्रेरित क्रूर साजिश" का जिम्मेदार ठहराया।
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अनुसूचित जाति से आने वाले कुमार ने लिखा है कि उनकी एकमात्र गलती थी अपनी नौकरी में ईमानदारी। उन्होंने नवंबर 2023 में तत्कालीन गृह मंत्री अनिल विज के साथ हुई बैठक का जिक्र किया, जिसमें एससी अधिकारियों के मंदिरों में प्रवेश पर रोक और प्रमोशन के मुद्दे उठाए गए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अंत में कुमार ने अपनी सारी संपत्ति अपनी पत्नी को सौंप दी और लिखा, ‘मैं इस लगातार भेदभाव को और नहीं सह सकता... यह मेरा आखिरी फैसला है।’

पत्नी की न्याय की लड़ाई

जापान की सरकारी यात्रा से लौटीं अमनीत ने अपने पति की मौत को सामाजिक तौर पर सजाए जाने का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि बड़े अधिकारियों ने अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल कर कुमार को मानसिक रूप से परेशान किया। उन्होंने फर्जी मामले, अनसुनी शिकायतें और दबाई गई बातचीत की साजिश का आरोप लगाया, जो कुमार की अनुसूचित जाति पहचान के कारण और बढ़ गया। अमनीत ने लिखा, ‘मेरे पति को पता चला कि डीजीपी के इशारे पर साजिश रची जा रही थी।’ उन्होंने एक पुरानी एफआईआर का जिक्र किया, जिसमें ऐसी ही साजिश के लिए कार्रवाई हुई थी।
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अमनीत ने कहा कि यह कोई अकेली घटना नहीं, बल्कि एससी/एसटी कानून के तहत अत्याचारों का सिलसिला है। उन्होंने दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की और चेतावनी दी कि प्रभावशाली पदों पर बैठे आरोपी सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को डरा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘न्याय सिर्फ होना नहीं चाहिए, बल्कि दिखना भी चाहिए, खासकर हमारे जैसे परिवारों के लिए, जिन्हें ताकतवर लोगों की क्रूरता ने तोड़ा।’

पुलिस का जवाब

चंडीगढ़ पुलिस ने सुसाइड नोट, लैपटॉप और अन्य सबूतों को जांच के लिए केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला यानी CFSL भेजा है। सूत्रों के मुताबिक, कुमार की मौत से एक दिन पहले उनके खिलाफ रिश्वत का केस दर्ज हुआ था, जो एक शराब ठेकेदार की शिकायत से जुड़ा था। इससे साजिश की आशंका और बढ़ गई। लेकिन हरियाणा पुलिस ने इसे ‘निजी त्रासदी’ बताकर नौकरी की निराशा से जोड़ा। इस मामले ने सिविल सेवाओं में जातिगत भेदभाव पर बहस छेड़ दी है। कार्यकर्ताओं ने सीबीआई जांच की मांग की है। 

हाल ही में हुए चुनावों के बाद तीसरी बार बनी भाजपा सरकार के समय हुई इस घटना ने राजनीतिक दलों को झकझोर दिया है। अब सवाल यह है- क्या यह खुलासा बदलाव लाएगा, या नौकरशाही में दब जाएगा?