5 अगस्त को हरियाणा सरकार ने लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत प्रदेश में 35000 हजार एकड़ भूमि को चिन्हित करके एक सूचना जारी की  है। प्रदेश में 10 औद्योगिक टाउनशिप बनाने की योजना के तहत अलग अलग जिलों में यह भूमि चिन्हित की गई है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी कहते हैं कि बीजेपी सरकार कांग्रेस की तरह नहीं है जो किसानों से कम दामों पर जबरदस्ती भूमि अधिग्रहण करती थी। हमारा लक्ष्य किसानों को विकास में भागीदार बना कर उनका उत्थान करना है। हरियाणा में बीजेपी सरकार द्वारा लाई गई इस लैंड पूलिंग पर आम आदमी पार्टी हरियाणा सरकार पर गंभीर आरोप लगा रही है। आम आदमी पार्टी ने कहा कि हरियाणा की बीजेपी सरकार अब सिर्फ किसानों की जमीन नहीं छीन रही, बल्कि उनकी पहचान, उनकी आजीविका और उनकी पीढ़ियों का हक भी निगलने पर आमादा है।

पंजाब में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री सहित अधिकतर नेता किसानों को लैंड पूलिंग पॉलिसी के लाभ समझाने में जुटे थे। पंजाब में हाल ही में आम आदमी पार्टी द्वारा लागू की लैंड पूलिंग पॉलिसी का बीजेपी ने जमकर विरोध किया। किसान संगठन और किसानों के भारी विरोध के बाद 14 मई को लागू की गयी लैंड पूलिंग नीति को पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार को 11 अगस्त को वापस लेना पड़ा है। 2020 के तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन के बाद बीजेपी के प्रति पूरे पंजाब में ग़ुस्से के कारण आम आदमी पार्टी को एक बड़ी सफलता 2022 के विधानसभा चुनावों में मिली थी। बीजेपी ने पंजाब में इस नीति को वापस लिए जाने को फतेह रैली में अपनी जीत बताया है और पंजाब में किसानों के हक में खड़े होने का दावा करती दीख रही है।
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लैंड पूलिंग नीति पर आरोप क्या?

आरोप लगाया जा रहा है कि सतत शहरी आवासीय और औद्योगिक विकास के लिए भूमि अधिग्रहण की कानूनी प्रक्रिया में मुआवजा देने और विस्थापितों के पुनर्वास से बचने के लिए लैंड पूलिंग की नीति को प्रयोग में लाया जा रहा है। पंजाब में आम आदमी पार्टी द्वारा लागू की गई लगभग ऐसी ही नीति को पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी जिस पर न्यायालय ने सरकार से जवाब माँगा था।
 
आम आदमी पार्टी द्वारा अब हरियाणा में इस नीति का तीखा विरोध किया जा रहा है। आम आदमी पार्टी ने कहा कि हरियाणा में  ‘ई-भूमि पोर्टल के माध्यम से जो कागज़ी विकास की स्कीम चलाई जा रही है, असल में वो दलालों और बिल्डर लॉबी के लिए खुला लूट खसोट का रास्ता बन चुकी है। बीजेपी सरकार ने जिस बेरहमी से किसानों की जमीनों को सर्किल रेट से भी नीचे खरीदने का षड्यंत्र रचा है, वो इस बात का सुबूत है कि उन्हें न किसान की चिंता है, न खेत की, और न ही हरियाणा की कृषि संस्कृति की। सरकार खुद दलालों को इनाम देकर किसानों को बर्बादी की ओर धकेल रही है। ये सरकार नहीं, जमीन हड़पने का कारखाना बन चुकी है।’

हरियाणा में आप की आपत्ति क्यों?

आम आदमी पार्टी हरियाणा में ये आरोप लगा रही है कि ‘जिन इलाकों में ई-भूमि पोर्टल के जरिए नीति लाई जा रही है, वहाँ पहले से बीजेपी के मंत्रियों और बड़े नेताओं ने सैकड़ों एकड़ जमीन खरीद रखी है। क्या ये सिर्फ संयोग है या सत्ता का दुरुपयोग? जब किसान अपनी जमीन बेचने के लिए मजबूर किया जाएगा, तो सबसे पहले उन्हीं नेताओं की जेबें भरेंगी जिन्होंने नीति लागू होने से पहले ही जमीनें खरीद लीं। ये सिर्फ नीति नहीं, पूरी सत्ता संरचना को चौराहे पर खड़ा करके किसानों की लाशों पर कारोबार करने का मॉडल है।’ लेकिन पंजाब में पिछले एक महीने से किसानों और किसान संगठनों ने हर जिला में 'केजरीवाल भागाओ जमीन बचाओ अभियान' चलाया हुआ था जिसके तहत ग्राम पंचायतों ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ सख्त प्रस्ताव पास किये है।
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पंजाब में बीजेपी का विरोध क्यों?

पंजाब में बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने 12 अगस्त को सार्वजनिक रूप से कहा था कि बीजेपी पहले दिन से लैंड पूलिंग नीति के खिलाफ थी। आम आदमी पार्टी को लैंड पूलिंग नीति वापस लेने के लिए दबाव बनाने में बीजेपी किसानों, मजदूरों के हक़ में खड़ी थी। अश्वनी शर्मा ने कहा था कि बीजेपी ने पंजाब में यह संकल्प किया गया है कि किसानों की एक इंच भी जमीन सरकार को लेने नहीं देंगे। अश्वनी शर्मा ने अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर आरोप लगाया कि ये पंजाब में किसानों की कृषि योग्य उपजाऊ जमीन लूट कर बिल्डर्स को देने की योजना लाये हैं।
बीजेपी ने पंजाब में तहसील और जिला स्तर पर ‘जमीन बचाओ किसान बचाओ’ अभियान आम आदमी पार्टी सरकार के विरुद्ध छेड़ दिया था। लैंड पूलिंग नीति के खिलाफ हर जिला तहसील में व्यापक प्रदर्शन बीजेपी ने किये हैं। तीन कृषि कानून के आंदोलन से बीजेपी को हुए नुकसान के बाद लैंड पूलिंग नीति से बीजेपी खुद को किसान वर्ग की हिमायती बनने के प्रयासों में जुटी है। फरवरी 2027 में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं। 

पंजाब में लैंड पूलिंग नीति का विरोध करके बीजेपी प्रदेश में किसानों को अपने पक्ष में करना चाहती है और ग्रामीण क्षेत्रों में अपना जनाधार बनाना चाहती है। लेकिन हरियाणा में वह लैंड पूलिंग नीति का समर्थन कर रही है।

आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को भी घेरा है और आरोप लगाए हैं कि, "कांग्रेस की भूमिका भी यहाँ उतनी ही शर्मनाक है। पूरे प्रदेश में विपक्ष का नाम तक लेने वाला कोई नहीं दिखता। एक साल से नेता प्रतिपक्ष तक तय नहीं किया गया, यानी बीजेपी को खुली छूट दे दी गई है कि वो किसान को लूटे और कांग्रेस आंख मूंदकर तमाशा देखती रहे।"
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हरियाणा के जींद जिले में सबसे ज़्यादा भूमि वर्तमान की लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत चिन्हित की गयी है। वहाँ के ग्रामीण निरंतर इसका विरोध कर रहे हैं। लेकिन बीजेपी की इस नीति के ख़िलाफ़ अभी तक हरियाणा कांग्रेस ने कोई अभियान छेड़ा नहीं। सवाल उठने लगे हैं कि जो भूमि पहले इंडस्ट्रीयल मॉडल टाउनशिप के तहत ली गई थी उसमें कितना औद्योगिक विकास हुआ है।

सवाल ये है कि जो नीति पंजाब में किसानों के लिए घातक है वो हरियाणा में कैसे लाभदायक है? क्या यह बीजेपी के दोहरे मानदंडों को यह साफ़ तौर पर उजागर नहीं करता है?