हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस प्रत्याशियों ने चुनाव प्रक्रिया और प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए। हरियाणा और पंजाब हाई कोर्ट में 16 शिकायतें पहुँचीं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव नतीजे आने के एक साल बाद भी उसकी चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठने कम नहीं हुए हैं। 2024 में हरियाणा प्रदेश के विधानसभा चुनावों में हुए कथित पक्षपात और गड़बड़ियों को लेकर चुनाव हार गए कांग्रेस पार्टी के कई प्रत्याशियों ने हरियाणा और पंजाब हाई कोर्ट में याचिकाएँ दायर की हैं। इन पर सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हरियाणा में ही पंचायत चुनाव के एक मामले में मतों की दुबारा गणना कराने और पहले हारे हुए प्रत्याशी को जीत मिलने से कई उम्मीदवारों की उम्मीदें बढ़ी हुई हैं।
हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के 16 प्रत्याशियों द्वारा 2024 के विधानसभा चुनावों में कई आरोप लगाए गए। कुल मतदान के प्रतिशत को बढ़ाने के गंभीर आरोप भी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष द्वारा सार्वजनिक तौर पर लगाए गए थे। मतदान गणना के दिन चुनाव परिणामों की शुरुआत में कांग्रेस पार्टी क़रीब 70 से अधिक सीटों पर आगे दिखाई दे रही थी। लेकिन चुनाव परिणाम पूरी तरह हतप्रभ करने वाले सामने आये। बीजेपी ने अप्रत्याशित रूप से 48 सीटों पर जीत दर्ज की और कांग्रेस केवल 37 सीटों पर ही जीत हासिल कर पायी। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हुए अपनी आपत्तियाँ चुनाव आयोग को दर्ज करवाई थीं। लेकिन चुनाव आयोग से कोई संतोषजनक समाधान न मिलने के चलते कांग्रेस प्रत्याशियों ने अदालत का रुख किया और याचिकाएँ अदालत में लगाई हैं।
बृजेन्द्र सिंह का केस हाई कोर्ट में
जींद जिले की उचाना विधानसभा के कांग्रेस प्रत्याशी बृजेन्द्र सिंह बनाम बीजेपी के देवेंद्र अत्री का मामला हरियाणा पंजाब उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। टोटल पोस्टल वोट की संख्या 1377 पोस्टल वोट बताई गई है जिनमें से 1158 वोट को वैध माना गया। इन 1158 में से कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह 636, बीजेपी के देवेंद्र अत्री 247, जेजेपी के दुष्यंत चौटाला 36, अन्य निर्दलीय को 239 नोटा 4 प्राप्त हुए।
दावा किया गया है कि कुल निरस्त वोट 215 किये गए और इनमें से 158 ऐसे वोट हैं, जो स्कैन ही नहीं हुए व उनके लिफाफे खोले ही नहीं गए और 57 वोट अन्य आधार पर अवैध घोषित किये गए। बीजेपी उम्मीदवार देवेंद्र अत्री कांग्रेस के उम्मीदवार बृजेन्द्र सिंह से मात्र 32 वोट से ही जीते घोषित हुए हैं। उचाना विधानसभा में 218373 पंजीकृत मतदाता हैं। 2024 चुनाव में 166006 कुल मतदान हुआ। देवेंद्र अत्री को 48968 मत प्राप्त हुए जबकि बृजेन्द्र सिंह को 48936 मत मिले। कांग्रेस के बागी उमीदवार निर्दलीय विरेंदर सिंह घोघड़िया को 31456 मत और एक अन्य निर्दलीय विकास को 13458 मत मिले थे।
बीजेपी के प्रत्याशी देवेंद्र अत्री ने न्यायालय में एक याचिका लगा कर बृजेन्द्र सिंह के इस केस को ही खारिज किये जाने की अपील की थी, जिसे न्यायाधीश 19 सितंबर की सुनवाई में ठुकरा दिया।
देवेंद्र अत्री ने दलील दी थी कि चुनाव परिणाम आने के बाद चुनावी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है इसलिए इस याचिका का कोई औचित्य नहीं। लेकिन न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्रारम्भिक तौर पर पेश किये गए, तथ्यों की गंभीरता से पड़ताल किया जना आवश्यक है। अब अगली सुनवाई के लिए न्यायाधीश ने आदेश जारी किया है कि कांग्रेस के प्रत्याशी बृजेन्द्र सिंह 23 सितंबर को स्वयं अदालत में पेश हों।
न्यायालय के रुख से इस केस की सुनवाई की गति भी तीव्र होती दिख रही है। बृजेन्द्र सिंह पूर्व आईएएस अधिकारी रहे हैं और चुनाव प्रक्रिया को पूरी तरह से जानते हैं। यह मामला सीधे तौर पर पारदर्शी तरीके से नियमों तहत चुनाव संचालन की पूरी प्रक्रिया को सवालों घेरे में लाता है। प्रदेश में बीजेपी शासन के अंतर्गत प्रशासनिक निर्वाचन अधिकारियों द्वारा प्रयोग की गई पद्धति भी गंभीर सवालों के दायरे से बाहर नहीं मानी जा सकती है।
610 मतों से पराजित
एक मामला डबवाली विधानसभा का है जहाँ कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक अमित सिहाग केवल 610 मतों से पराजित हुए हैं। अमित सिहाग ने जेजेपी के प्रत्याशी दिग्विजय सिंह चौटाला द्वारा जनप्रतिनिधि कानून की धारा 123 (भ्रष्ट आचरण) के उल्लंघन को आधार बना कर अपनी याचिका न्यायालय में पेश की है। दिग्विजय सिंह चौटाला पर निर्धारित धन ख़र्च की सीमा से अधिक धन उपयोग करके मतदान को प्रभावित करने और मतदाताओं को लुभा कर ईनेलो प्रत्याशी आदित्य चौटाला को प्रत्यक्ष लाभ पहुँचाने का आरोप को आधार बनाया है। चुनाव पर्यवेक्षक की उपेक्षापूर्ण कार्यप्रणाली भी यहां सवालों के घेरे में आती है। आदित्य चौटाला 2019 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी प्रत्याशी के रूप में अमित सिहाग से लगभग 15 हजार 400 मतों से पराजित हुए थे।
पलवल में पूर्व मंत्री और 5 बार के विधायक करण सिंह दलाल ने चुनाव प्रचार के दौरान धार्मिक आधार पर वोट मांगने के मामले को अपनी चुनावी याचिका का आधार बनाया है। जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 123 की उपधारा 3 और 3अ के अंतर्गत अदालत में याचिका दी है। करण सिंह दलाल के अनुसार बीजेपी प्रत्याशी गौरव गौतम ने चुनावों के दौरान जातीय और धार्मिकता के आधार पर नफ़रत फैलाने और सामाजिक सद्भाव को खंडित करने का भरपूर प्रचार किया और मतदाताओं का ध्रुवीकरण किया जिसके साक्ष्य वीडियो में मौजूद हैं और न्यायालय के समक्ष रखे जायेंगे।
मतदान प्रतिशत बढ़ने की शिकायत
दादरी जिला की विधानसभा दादरी में मतदान का प्रतिशत अप्रत्याशित रूप से बार बार बढ़ा। मतदान के ख़त्म होने के बाद चुनाव आयोग द्वारा 58.10% का आँकड़ा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर दिखाया गया लेकिन मतगणना से पहले 7 अक्टूबर की शाम को यह आँकड़ा 11.48% बढ़ा हुआ दिखाया गया। मनीषा सांगवान को 1957 मतों से हार मिली।
सिरसा जिले की रानियां विधानसभा के कांग्रेस प्रत्याशी सर्व मित्र काम्बोज ने कुछ मतदान बूथ की ईवीएम की फिर से गणना करवाए जाने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद भी जिला निर्वाचन अधिकारी ने ईवीएम में पड़े वोटों की फिर से गिनती करने से इंकार कर दिया तथा केवल डमी पोल करके ही नयी गणना करने की पेशकाश की।
अन्य विधानसभाओं से कांग्रेस के अन्य प्रत्याशियों ने भी कई बिंदुओं को उजागर करते हुए अपने स्तर पर न्यायालय में याचिका लगाई है। हिसार की नलवा विधानसभा से प्रत्याशी अनिल मान ने बताया कि पार्टी की ओर से व प्रदेश के नेतृत्व ने पूरी प्रक्रिया के लिए कोई सघन प्रशिक्षण नहीं दिया जिसके कारण विभिन्न विसंगतियों और धांधलियों को समझने और समय पर कार्यवाही करने में चूक रह गई। करनाल के इंद्री से राकेश कुमार काम्बोज ने आरोप लगाया कि मतगणना के समय कुछ अनधिकृत व्यक्तियों को मतगणना केन्द्र में प्रवेश दिया गया। जिस पर उनकी आपत्ति को चुनाव अधिकारियों द्वारा अनदेखा किया गया।
प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों में से 12 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी पांच हजार से कम मत अंतर से हारे हैं और 1 सीट पर छह हजार से कम, 1 अन्य सीट पर सात हजार से कम पर हारे हैं।
फरीदाबाद से लखन सिंगला, फरीदाबाद एनआईटी से नीरज शर्मा, बड़खल से विजय प्रताप, होडल से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदय भान, सोनीपत में राई से जय भगवान अंतिल, खरखौदा से जयवीर वाल्मीकि, सफीदों से सुभाष देसवाल और करनाल के नीलोखेड़ी धर्मपाल, इंद्री से राकेश कम्बोज ने अदालत में याचिकाएँ लगाई हैं।
राहुल गांधी वोट चोरी के आरोप लगा रहे हैं। इस बीच अब बृजेन्द्र सिंह के मामले में हरियाणा और पंजाब उच्च न्यायालय के फैसले पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।