आफ़ताब और श्रद्धा वालकर के बीच रिश्ते बेहद घनिष्ठ थे। घर छोड़कर लिव-इन में रह रहे थे। आम जोड़ों की तरह दोनों के बीच झगड़े भी होते थे, बहस होती थी। और ऐसे ही झगड़ों व बहस के ग़ुस्से में हत्या तक हो गई। जैसा कि आम तौर पर झगड़ों में कई ऐसी वारदतें हुई हैं, आफताब ने ग़ुस्से में गला घोंट कर मार डाला। अब तक यह एक आम हत्या की तरह ही वारदात थी। लेकिन इसके बाद जो हुआ वह आम वारदात नहीं थी। इसके बाद जो हुआ वह वहशीपन था। पूरे देश को झकझोरने वाली हैवानियत थी। यह सब इसलिए था कि हत्या की वारदात को छुपाया जा सके!