दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में भारी जीत के ठीक दो दिन बाद हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU) छात्र संघ चुनावों में ABVP-एसएलवीडी गठबंधन ने सभी छह केंद्रीय पदों पर क्लीन स्वीप किया। शिवा पालेपु को अध्यक्ष चुना गया (9 वोटों के मामूली अंतर से), जबकि देवेंद्र उपाध्यक्ष, श्रुति प्रिया महासचिव, सौरभ शुक्ला संयुक्त सचिव, ज्वाला प्रसाद खेल सचिव और वीनस सांस्कृतिक सचिव बने। 81 प्रतिशत मतदान के बीच लेफ्ट गठबंधन को करारी शिकस्त मिली। ABVP ने स्कूल स्तर पर काउंसलर और बोर्ड सदस्य पदों पर भी बहुमत हासिल किया। बीजेपी और एबीवीपी ने इस जीत का श्रेय जेन ज़ी यानी युवाओं की मौजूदा पीढ़ी को दिया। बीजेपी इसे भगवा लहर कह रही है। हालांकि पिछले दिनों जब नेता विपक्ष राहुल गांधी ने जेन ज़ी को लेकर बयान दिया था तो कहा गया कि राहुल गांधी जेन ज़ी से आह्वान कर देश में नेपाल जैसी अराजकता फैलाना चाहते हैं। जेन ज़ी को लेकर बीजेपी और कांग्रेस अपने अपने ढंग से दावे और बयानबाज़ी कर रहे हैं।
पिछले सप्ताह ही दिल्ली यूनिवर्सटी छात्र संघ (DUSU) चुनावों में ABVP ने तीन प्रमुख पदों अध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पर कब्जा जमाया। आरएसएस समर्थित ABVP के आर्यन मान ने अध्यक्ष पद पर 28,841 वोटों के साथ कांग्रेस समर्थित एनएसयूआई की जोस्लिन नंदिता चौधरी को 16,196 वोटों के भारी अंतर से हराया। एनएसयूआई को उपाध्यक्ष पद ही मिला, जहां राहुल झांसला ने 29,339 वोट हासिल किए। कुल 39.45 प्रतिशत मतदान के बीच ABVP की यह जीत पिछले साल एनएसयूआई के अध्यक्ष पद पर कब्जे के बाद एक बड़ा उलटफेर मानी जा रही है।
ABVP ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर जारी प्रेस रिलीज में हैदराबाद की जीत को 'ऐतिहासिक' बताया, जबकि भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, "ABVP ने HCU में क्लीन स्वीप किया! राहुल गांधी को 'जेन ज़ी क्रांति' का भ्रम हो रहा है, जबकि एनएसयूआई केंद्रीय विश्वविद्यालयों में साफ हो रही है। पिछले एक साल में ABVP ने पटना, पंजाब, जेएनयू, डीयू, गुवाहाटी, मणिपुर और उत्तराखंड की कई यूनिवर्सिटियों में धमाल मचाया। दुखी राहुल जी, सिक्स पैक दिखाना या स्टेज पर उछलना जेन ज़ी को प्रभावित नहीं करता। विजन, स्पष्टता और नेतृत्व करता है।" मालवीय का यह बयान ABVP के ट्रेंडिंग वीडियो के साथ वायरल हो गया, जिसमें छात्रों को 'मोदी विजन' का समर्थन करते दिखाया गया।

राहुल गांधी का आह्वान: 'जेन जेड संविधान की रक्षा करेगी' 

18 सितंबर को राहुल गांधी ने 'वोट चोरी' अभियान के दूसरे दौर में कर्नाटक के आलंद निर्वाचन क्षेत्र में 6,018 मतदाताओं के नाम कथित रूप से हटाने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग के अंदर से जानकारी मिल रही है और भाजपा-चुनाव आयोग की सांठगांठ से 70-100 सीटों पर ऐसी धांधली हो रही है। इसके बाद एक्स पर पोस्ट में गांधी ने लिखा, "देश का युवा, देश के छात्र, देश का जेन ज़ी संविधान को बचाएगा, लोकतंत्र की रक्षा करेगा और वोट चोरी रोकेगा। मैं हमेशा उनके साथ खड़ा हूं। जय हिंद!" राहुल गांधी के इस बयान पर तूफान मच गया। बीजेपी के हर महत्वपूर्ण नेता, मंत्री, छुटभैया नेताओं ने राहुल पर आरोप लगाया कि राहुल जेन ज़ी से आह्वान करके देश में नेपाल जैसी अराजकता फैलाना चाहते हैं।
नेपाल में हाल ही में जेन ज़ी के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के दौरान 8-10 सितंबर को भ्रष्टाचार और 'नेपो किड' संस्कृति के खिलाफ प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली सरकार गिर गई। सुशीला कार्की को अंतरिम पीएम बनाया गया। नेपाल में 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध और सेना की तैनाती के बीच 27 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया। राहुल गांधी का बयान इसी संदर्भ में देखा गया, जहां युवाओं ने वहां की सरकार को उखाड़ फेंका।
भाजपा ने राहुल गांधी के बयान को नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों की अस्थिरता से जोड़ते हुए तीखा हमला बोला। निशिकांत दुबे ने एक्स पर लिखा, "जेन ज़ी परिवारवाद के खिलाफ है। नेहरू, इंदिरा, राजीव, सोनिया के बाद राहुल को क्यों बर्दाश्त करेंगे? भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं, तो तुम्हें क्यों न भाग दें? बांग्लादेश में इस्लामी राष्ट्र और नेपाल में हिंदू राष्ट्र चाहते हैं, तो भारत में हिंदू राष्ट्र क्यों न बनाएं? देश छोड़ने को तैयार हो जाओ, वे आ रहे हैं!" दुबे ने गांधी पर 'सोरस फाउंडेशन' से सांठगांठ का आरोप लगाते हुए कहा कि वे 'गृहयुद्ध' भड़काना चाहते हैं।

फडणवीस और बाकी बीजेपी नेताओं का बयान

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे 'दिमाग चोरी' बताते हुए कहा, "यह वोट चोरी का मामला नहीं, राहुल गांधी का दिमाग चोरी हो गया है।" पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, "चुनाव आयोग निष्पक्ष है, लेकिन राहुल लोकतंत्र कमजोर कर बांग्लादेश-नेपाल जैसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं।" भाजपा सांसद कंगना रनौत ने भी कहा, "राहुल हमेशा देश को शर्मसार करने वाले बयान देते हैं।"

जेन ज़ी पर राजनीतिक होड़ और विरोधाभास 

यह विवाद जेन ज़ी (1997-2012 में जन्मे युवा) को राजनीतिक हथियार बनाने की होड़ को बताता है। एक ओर ABVP की जीत को भाजपा 'भगवा लहर' और 'मोदी विजन' की पुष्टि बता रही है, जो राष्ट्रवाद, विकास और कथित भ्रष्टाचार विरोध पर टिकी है। नेपाल के प्रदर्शनों में जेन ज़ी ने 'नेपो किड' और भ्रष्टाचार के खिलाफ विद्रोह किया। तो बीजेपी इसे कांग्रेस के कथित 'परिवारवाद विरोधी' नैरेटिव से जोड़ रही है। अमित मालवीय का ट्वीट इसी का उदाहरण है। वे राहुल को 'इंस्टाग्राम गिमिक्स' वाला नेता बता रहे हैं, जबकि ABVP को 'क्लैरिटी' वाला। हालांकि बीजेपी खुद परिवारवाद के आरोपों से घिरी हुई है। तमाम राज्यों में उस पर परिवारवाद को बढ़ाने का आरोप है। इसी तरह भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार के बड़े आरोप बीजेपी के समय में लगे हैं। कांग्रेस ने चुनावी बांड, पीएम केयर्स आदि का उदारहण देकर सदी की सबसे भ्रष्ट मोदी सरकार को बताया है। 
राहुल गांधी का आह्वान 'संविधान बचाओ' और 'वोट चोरी रोको' पर केंद्रित है, जो कांग्रेस के लिए युवाओं को जोड़ने की कोशिश है। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल युवा पीढ़ी यानी जेन ज़ी को अपनी विचारधारा की राष्ट्रीय राजनीति से जोड़ने की रणनीति बनाने में लगे हैं। लेकिन जेन ज़ी की वास्तविक चिंताएं जैसे रोजगार, शिक्षा और डिजिटल धांधली इन दलों के नैरेटिव से आगे हैं। यानी जेन ज़ी धीरे-धीरे अपने हित से जुड़े मुद्दों को समझ रहे हैं।

क्या सच में Gen Z ने 'रुख' बदल दिया?


छात्रसंघ चुनाव = राष्ट्रीय रुझान? 
छात्र चुनावों में जीत अक्सर संगठित कार्यशैली, सक्रिय कैडर और स्थानीय मुद्दों पर निर्भर होती है। ABVP का मजबूत बूथ नेटवर्क और सक्रिय ज़मीना कार्यकर्ता विश्वविद्यालयों उसकी जीत को तय कर रहे हैं। यहां किसी भी तरह से Gen Z का रुझान उसके लिए नज़र नहीं आता। 

'Gen Z' एक एकरूप समूह नहीं 
1995–2010 में जन्मे लोगों की एक विस्तृत आबादी की श्रेणी के मत अलग-अलग संदर्भों में भिन्न होंगे: शहर-ग्रामीण, शिक्षा-स्तर, आर्थिक पृष्ठभूमि, और सूचना-स्रोतों के आधार पर। राजनीति में किसी भी पार्टी के लिए 'Gen Z' को अपना बताना एक नारेबाज़ी के अलावा कुछ नहीं है। जब जीत होती है तो उसकी तारीफ; जब विपक्ष वही बात करे तो उसे अराजक बताया जाता है।

सियासी कम्युनिकेशन की रणनीति 
भाजपा और ABVP द्वारा 'Gen Z' को अपने पक्ष में दिखाने का मकसद स्पष्ट: युवा वोटर की स्वीकार्यता का दावा करना है। जबकि कांग्रेस की Gen Z अपील का उद्देश्य युवाओं को सक्रिय कराना और 'vote chori' मसले पर जनाक्रोश बनाना है। दोनों ही स्थितियों में 'Gen Z' शब्द का उपयोग राजनीतिक संवाद का हिस्सा बन गया है।



किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले राष्ट्रीय मतदाता बनाम छात्र-मतदाता के बीच मौजूद फर्क को ध्यान में रखना ज़रूरी है। मीडिया पर चलने वाली त्वरित टैगलाइन—"Gen Z साथ है" या "Gen Z बदलेगी" अक्सर दावे हैं। सच्चाई नहीं।