अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) ने न्यूयॉर्क के अमेरिकी जिला न्यायालय को बताया कि गौतम अडानी और सागर अडानी को अभी तक समन और शिकायत पत्र नहीं तामील किए गए हैं। यह मामला एसईसी द्वारा गौतम अडानी और सागर अडानी के खिलाफ लगाए गए रिश्वत के कथित आरोपों से संबंधित है। आरोप है कि अडानी समूह ने कॉन्ट्रैक्ट पाने के लिए भारत में सरकारी अधिकारियों को मोटी रिश्वत दी थी। हालांकि अडानी समूह ने हमेशा इसका खंडन किया है।
नवंबर 2024 में, एसईसी ने आरोप लगाया था कि गौतम अडानी और सागर अडानी ने सितंबर 2021 में अडानी ग्रीन एनर्जी के लिए 175 मिलियन डॉलर की ऋण निधि जुटाने के संबंध में "झूठे और भ्रामक" बयान देकर अमेरिकी संघीय कानूनों का उल्लंघन किया।
एसईसी ने अपनी याचिका में स्पष्ट किया कि गौतम अडानी और सागर अडानी भारत में हैं। एसईसी ने अमेरिकी अदालत को सूचित किया कि उसने हेग कन्वेंशन के तहत समन तामील करने में सहायता के लिए भारत के विधि मंत्रालय से अनुरोध किया है। एसईसी ने बताया कि वह भारतीय अदालतों के माध्यम से समन तामील करने के लिए विधि मंत्रालय के साथ समन्वय कर रहा है। मार्च में, विधि मंत्रालय ने एसईसी के समन को गुजरात की एक सत्र अदालत के साथ साझा किया था, ताकि इसे गौतम अडानी और सागर अडानी को तामील किया जा सके।
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एसईसी की अदालत में दाखिल याचिका के अनुसार, भारतीय अदालतों ने अभी तक समन तामील नहीं किया है। एसईसी को अपनी अगली स्थिति रिपोर्ट 11 अगस्त तक अमेरिकी अदालत में दाखिल करने की उम्मीद है। एसईसी ने फरवरी में गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी के खिलाफ अभियोग के संबंध में अपनी शिकायत पहुंचाने के लिए भारत सरकार से मदद मांग रहा है। लेकिन इस बारे में सरकार का रवैया ढीलाढाला है। विपक्ष का आरोप है कि अडानी के संबंध सीधे सरकार के साथ है। इसलिए उन्हें सरकारी संरक्षण मिल रहा है।

एसईसी ने हेग सर्विस कन्वेंशन के तहत भारत के विधि मंत्रालय से भी सहायता का अनुरोध किया था। लेकिन भारत की ओर से अभी इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। सरकार की ओर से विधि मंत्रालय ने अभी तक कोई सूचना नहीं भेजी है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, एसईसी ने फरवरी ने अपने दस्तावेज में कहा था, "प्रक्रिया जारी है, और एसईसी प्रतिवादियों को न्याय दिलाने के लिए अपने प्रयास जारी रखेगा।"

2100 करोड़ की रिश्वत का मामला

पिछले साल नवंबर में, अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) और प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) ने गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी, और अडानी ग्रीन एनर्जी के अन्य अधिकारियों के खिलाफ आरोप दायर किए थे। आरोप है कि समूह ने 2020 से 2024 के बीच भारतीय सरकारी अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर (लगभग 2,100 करोड़ रुपये) की रिश्वत दी ताकि सौर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध हासिल किए जा सकें, जिनसे 20 साल में 2 बिलियन डॉलर का मुनाफा होने की उम्मीद थी। इसके अलावा, अडानी समूह पर अमेरिकी निवेशकों और वैश्विक वित्तीय संस्थानों से 3 बिलियन डॉलर से अधिक की फंडिंग के लिए गलत जानकारी देने का भी आरोप है। जब ये आरोप सार्वजनिक हुए तो अडानी समूह की नौ सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार मूल्य में लगभग 13 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।
अडानी समूह 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद भी विवादों में घिरा था। जिसमें समूह पर शेयर बाजार में हेराफेरी, एकाउंट्स धोखाधड़ी, और ऑफशोर टैक्स हेवन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था। इस रिपोर्ट के बाद समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई और लगभग 150 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। अडानी समूह ने इन आरोपों को "निराधार" बताकर खारिज किया था और कानूनी कार्रवाई की धमकी दी थी, लेकिन आजतक कोई मुकदमा दायर नहीं किया गया।