क्या अहमदाबाद में एयर इंडिया के बोइंग-787 विमान हादसे की वजह एक छोटा सा फ्यूल स्विच हो सकता है? हादसे से जुड़ी प्राथमिक जाँच रिपोर्ट में कहा गया है कि टेकऑफ़ के तुरंत बाद फ्यूल स्विच बंद हो गया था। तो सवाल है कि क्या किसी ने फ्यूल स्विच को ग़लती से या जानबूझकर बंद कर दिया था या फिर विमान में तकनीकी ख़राबी से यह अपनेआप बंद हो गया था?
विमान हादसे की रिपोर्ट के आधार पर कहा जा रहा है कि 260 लोगों की जान लेने वाले इस हादसे की वजह एक छोटा सा ईंधन स्विच हो सकता है। हैरानी की बात यह है कि 7 साल पहले 2018 में अमेरिका की एक एजेंसी ने ऐसी ही समस्या के बारे में चेतावनी दी थी। हालाँकि तब यह चेतावनी एडवाइजरी के रूप में सामने आई थी। उस एडवाइजरी में क्या कहा गया था, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर यह विमान हासदा क्या था और इसको लेकर क्या रिपोर्ट सामने आई है।
एयर इंडिया उड़ान AI-171 हादसा
एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान 12 जून 2025 को अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डे से लंदन के लिए उड़ान भर रहा था। लेकिन टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद यह विमान पास के बीजे मेडिकल कॉलेज के छात्रावास परिसर में गिर गया। इस हादसे में 260 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई। इसमें यात्री, चालक दल और कुछ स्थानीय लोग शामिल थे।
भारत के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो यानी एएआईबी ने अपनी शुरुआती जांच में बताया कि हादसे का कारण विमान के दोनों इंजनों का अचानक बंद होना था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि विमान के ईंधन नियंत्रण स्विच 'रन' की स्थिति से 'कटऑफ' की स्थिति में चले गए। इसका मतलब है कि इंजनों को ईंधन मिलना बंद हो गया। इसके कारण विमान गिरने लगा और 92 सेकंड में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। कॉकपिट में रिकॉर्ड हुई बातचीत में एक पायलट को दूसरे से पूछते सुना गया, 'आपने ईंधन क्यों बंद किया?' दूसरा पायलट जवाब देता है, 'मैंने ऐसा नहीं किया।' इससे साफ़ है कि पायलटों को भी समझ नहीं आया कि स्विच कैसे बंद हो गए।
2018 में अमेरिका ने क्या चेताया था?
सात साल पहले दिसंबर 2018 में अमेरिका की संघीय उड्डयन प्रशासन यानी एफ़एए ने एक स्पेशल एयरवर्थीनेस इंफोर्मेशन बुलेटिन (SAIB NM-18-33) जारी किया था। इसमें बोइंग 737 सहित कई बोइंग मॉडलों में फ्यूल कंट्रोल स्विच की लॉकिंग सुविधा में संभावित खराबी की ओर ध्यान दिलाया गया था।
अमेरिकी उड्डयन एजेंसी के उस बुलेटिन में कहा गया था कि कुछ बोइंग 737 विमानों में फ्यूल कंट्रोल स्विच की लॉकिंग फैसिलिटी डिसएंगेज थी यानी लॉकिंग सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा था। इस कारण स्विच को बिना उठाए 'रन' से 'कटऑफ' स्थिति में जा सकता था।
इससे अनजाने में स्विच के हिलकर बंद होने का ख़तरा था। एफ़एए ने पाया कि कुछ विमानों में यह लॉकिंग सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा था, जिसके कारण स्विच आसानी से 'रन' से 'कटऑफ' स्थिति में जा सकता था। अगर ऐसा उड़ान के दौरान होता, तो इंजन बंद हो सकता था, जो बहुत ख़तरनाक है।
उस बुलेटिन में यह भी ज़िक्र किया गया कि यह डिज़ाइन बोइंग 787-8 जैसे अन्य मॉडलों में भी उपयोग किया गया था, जिसमें एयर इंडिया का दुर्घटनाग्रस्त विमान VT-ANB शामिल था। बुलेटिन ने स्विच की जाँच और सुधार के लिए सिफारिश की थी, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं बनाया गया था क्योंकि इसे 'असुरक्षित स्थिति' नहीं माना गया था। इसका नतीजा यह हुआ कि एयर इंडिया सहित कई एयरलाइनों ने इन सिफारिशों को लागू नहीं किया।
हालाँकि, एएआईबी की शुरुआती रिपोर्ट में अभी तक स्विच के डिज़ाइन या डिवाइस की विफलता को दुर्घटना का साफ़ कारण नहीं बताया गया है। जांच में यह साफ़ नहीं हो सका है कि स्विच का हिलना पायलट की गलती, अनजाने में हुई गड़बड़ी, या किसी अन्य तकनीकी समस्या के कारण था। जाँच अभी जारी है, और इसके जवाब के लिए और समय चाहिए।
पायलटों पर सवाल
इस हादसे में पायलटों की भूमिका भी जाँच के दायरे में है। विमान के कमांडिंग पायलट सुमीत सभरवाल के पास 15,638 घंटों का उड़ान अनुभव था और सह-पायलट क्लाइव कुंदर के पास 3,403 घंटों का अनुभव था। दोनों बहुत अनुभवी थे। फिर भी कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या पायलटों से कोई गलती हुई। लेकिन कई जानकारों का कहना है कि इतने अनुभवी पायलटों से ऐसी गलती की उम्मीद कम है।
बोइंग और एफ़एए का रुख
बोइंग ने कहा कि वह इस जांच में भारत के जांचकर्ताओं के साथ पूरा सहयोग कर रहा है। कंपनी ने अभी तक अपने 787 विमानों के लिए कोई नई चेतावनी या निरीक्षण का आदेश जारी नहीं किया है। दूसरी ओर, एफ़एए ने भी कोई तत्काल कार्रवाई नहीं की है, लेकिन वह एएआईबी की जांच में मदद कर रही है।
एएआईबी की जाँच अभी शुरुआती दौर में है। इसमें भारतीय वायु सेना, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, और अमेरिका के राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड के लोग शामिल हैं। अंतिम रिपोर्ट आने में कई महीने लग सकते हैं। तब तक, यह हादसा विमानन उद्योग के लिए एक बड़ा सबक है कि छोटी-छोटी चेतावनियों को भी गंभीरता से लेना ज़रूरी है।