चुनाव आयोग ने साफ़ किया है कि अब पुरानी मतदाता सूची पर सवाल उठाने का समय समाप्त हो चुका है। आयोग ने यह टिप्पणी चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और समयसीमा को लेकर की है।
एसआईआर और पुरानी मतदाता सूची में गड़बड़ियों को लेकर लग रहे गंभीर आरोपों के बीच चुनाव आयोग ने शनिवार को कहा है कि अब पुरानी मतदाता सूची पर सवाल उठाने का समय नहीं है। इसने कहा है तब आपत्ति के लिए दिए गए समय के दौरान शिकायत की जानी चाहिए थी। यह वह समय होता है जब लोग मतदाता सूची में सुधार के लिए अपनी शिकायतें या सुझाव दे सकते हैं। ईसीआई ने कहा कि अगर उस समय शिकायत की जाती, तो गलतियों को ठीक किया जा सकता था, और अब इस तरह के सवाल उठाने से विवाद बढ़ रहा है। ईसीआई ने शनिवार को आधिकारिक बयान जारी कर उन राजनीतिक दलों और लोगों को कड़ी फटकार लगाई है, जो पुरानी मतदाता सूचियों में गड़बड़ी के बारे में अब सवाल उठा रहे हैं। चुनाव आयोग का यह बयान तब आया है जब रविवार को राहुल गांधी बिहार में वोटर अधिकार यात्रा शुरू कर रहे हैं और चुनाव आयोग एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाला है।
चुनाव आयोग ने एक बयान में बताया कि भारत में मतदाता सूचियां तैयार करने का काम बहुत व्यवस्थित तरीके से होता है। यह काम बूथ लेवल अधिकारी और मतदाता पंजीकरण अधिकारी करते हैं। मतदाता सूची का ड्राफ्ट तैयार होने के बाद इसे सभी राजनीतिक दलों को भेजा जाता है और ईसीआई की वेबसाइट पर भी डाला जाता है। इसके बाद एक महीने का समय दिया जाता है, जिसमें कोई भी व्यक्ति या पार्टी अपनी शिकायत या सुझाव दे सकती है। अगर कोई गलती रह जाती है तो इसके खिलाफ जिला मजिस्ट्रेट या राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास अपील की जा सकती है।
ईसीआई ने कहा, ‘कुछ दल और लोग अब पुरानी मतदाता सूचियों पर सवाल उठा रहे हैं। ये सवाल 'दावे और आपत्ति' के समय उठाए जाने चाहिए थे। अगर उस समय शिकायत की होती, तो गलतियां ठीक हो सकती थीं। अब इस तरह सवाल उठाने से सिर्फ विवाद हो रहा है।’
बिहार में मतदाता सूची संशोधन पर विवाद
यह विवाद बिहार में चल रहे विशेष गहन संशोधन यानी एसआईआर 2025 को लेकर शुरू हुआ। 1 अगस्त को बिहार में ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की गई थी। विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक ने आरोप लगाया कि इस संशोधन से लाखों मतदाताओं के नाम हटाए जा सकते हैं। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने संसद में इस मुद्दे को उठाया और कहा कि यह प्रक्रिया गलत है।
ईसीआई ने जवाब दिया कि 1 अगस्त से शुरू हुई 'दावे और आपत्ति' अवधि में अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने कोई शिकायत दर्ज नहीं की। हालांकि, व्यक्तिगत मतदाताओं से 7252 शिकायतें आई हैं और 43000 नए मतदाताओं ने पंजीकरण के लिए आवेदन किया है। आयोग ने यह भी कहा कि बिना जांच और मौका दिए किसी का नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जा सकता।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने विशेष रूप से चुनाव आयोग पर महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक जैसे प्रमुख राज्यों में मतदाता सूची में फर्जी मतदाताओं को जोड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बिहार में मतदाता सूची संशोधन के जरिए ‘वोट चोरी’ की जा रही है। उन्होंने कर्नाटक के महादेवपुरा क्षेत्र का उदाहरण दिया, जहां 2024 के लोकसभा चुनाव में 1 लाख से ज्यादा वोटों की ‘चोरी’ का दावा किया। राहुल ने बिहार में 'वोट अधिकार यात्रा' शुरू करने की घोषणा की है। यह रविवार से शुरू होकर 16 दिनों तक 20 से ज्यादा जिलों में जाएगी। उन्होंने कहा, ‘हम वोट का अधिकार बचाने के लिए लड़ रहे हैं। यह संविधान को बचाने की लड़ाई है।’
कांग्रेस ने यह भी कहा कि यह संशोधन उन मतदाताओं को निशाना बना रहा है, जो सत्तारूढ़ गठबंधन के खिलाफ हैं, खासकर गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को।
ECI का जवाब: ‘गलत भाषा का इस्तेमाल न करें’
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के वोट चोरी जैसे शब्दों पर नाराजगी जताई और इसे गलत नैरेटिव बनाने की कोशिश बताया। ईसीआई ने राहुल से अपनी शिकायत को औपचारिक रूप से हलफनामे के जरिए दर्ज करने को कहा, लेकिन राहुल ने जवाब दिया कि उन्होंने पहले ही संविधान की शपथ ली है। आयोग ने कहा कि वह मतदाता सूचियों की जांच का स्वागत करता है, क्योंकि इससे गलतियां ठीक हो सकती हैं।
ईसीआई ने बताया कि बिहार में 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ की जानकारी मिल चुकी है। लगभग 36 लाख लोग या तो दूसरी जगह चले गए या उनका पता नहीं चला और 7 लाख लोगों ने एक से ज्यादा जगहों पर पंजीकरण कराया था। इन गलतियों को 1 अगस्त तक की जांच के बाद ठीक किया जाएगा।
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने ईसीआई पर बीजेपी कार्यकर्ताओं को दोहरे मतदाता पहचान पत्र देने का आरोप लगाया। सीपीआई (एमएल) के नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि ईसीआई पारदर्शिता की कमी को छिपाने की कोशिश कर रहा है।
बहरहाल, चुनाव आयोग ने साफ़ कहा कि मतदाता सूची में गलतियां ठीक करने का सही समय 'दावे और आपत्ति' की अवधि थी। अब पुरानी सूचियों पर सवाल उठाने से विवाद बढ़ रहा है। बिहार में एसआईआर को लेकर विपक्ष और ईसीआई के बीच तनातनी जारी है। कांग्रेस का कहना है कि यह प्रक्रिया मतदाताओं के अधिकार छीन रही है, जबकि ईसीआई इसे पारदर्शी और निष्पक्ष बता रहा है।