केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को शनिवार देर रात को फिर से एम्स में भर्ती कराया गया है। इससे क़रीब एक पखवाड़े पहले भी उन्हें अस्पताल में ले जाया गया था लेकिन बाद में छुट्टी दे दी गई थी। तब उन्हें कोरोना बीमारी से ठीक होने के बाद के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती काराया गया था। 
इससे पहले 2 अगस्त को अमित शाह कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे और उन्हें गुरुग्राम के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब ट्वीट कर उन्होंने ख़ुद इसकी जानकारी दी थी कि लक्षण दिखने पर उन्होंने जाँच करवाई और उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई। उन्होंने यह भी कहा था कि वह डॉक्टरों की सलाह पर अस्पताल में भर्ती हुए। 
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इस बीच 14 अगस्त को अमित शाह ने ख़ुद जानकारी दी थी कि उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई और डॉक्टरों की सलाह पर अब वह कुछ दिन तक होम क्वॉरंटीन में रहेंगे। कोरोना संक्रमण से ठीक होने के कुछ दिन बाद ही गृह मंत्री को कुछ दिक्कतें आ गई थीं। इसके बाद उन्हें 18 अगस्त को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में भर्ती कराया गया। तब रिपोर्टों में कहा गया था कि अमित शाह को थकान और शरीर में दर्द जैसी शिकायतें थीं।
इस बीच 30 अगस्त को एम्स की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को कोरोना के बाद के इलाज के लिए दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया है। वह ठीक हो चुके हैं और जल्द ही उनको छुट्टी दे दी जाएगी। 13 दिन अस्पताल में रहने के बाद उन्हें 31 अगस्त को एम्स से छुट्टी दी गई थी। 
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गृह मंत्री ऐसे समय में अस्पताल में भर्ती कराए गए हैं जब एक दिन बाद ही यानी सोमवार से संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के पहले चरण में भाग नहीं लेंगे। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सोनिया गाँधी आज विदेश में अपने वार्षिक चेक-अप के लिए दिल्ली से बाहर जा रही हैं। वह कम से कम दो सप्ताह के लिए देश से बाहर रहेंगी। उनके बेटे और कांग्रेस सांसद राहुल गाँधी भी इस दौरान उनके साथ रहेंगे।
बता दें कि कोरोना संक्रमण के कारण काफी लंबे समय के बाद संसद का मानसूत्र सत्र बुलाया गया है। इसमें भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का सख्ती से पालन किया जाना है। देश भर में अब कोरोना संक्रमण के मामले काफ़ी ज़्यादा क़रीब 1 लाख हर रोज़ आने लगे हैं। देश में अब तक 46 लाख से ज़्यादा संक्रमण के मामले आ चुके हैं और क़रीब 80 हज़ार लोगों की मौतें हो चुकी हैं।