लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शनिवार को एक सनसनीखेज दावा करते हुए कहा कि 2020 में कृषि कानूनों के विरोध के दौरान तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली को उन्हें धमकाने के लिए भेजा गया था। इस बयान ने बीजेपी और कांग्रेस के बीच तीखी राजनीतिक जंग छेड़ दी है। जहां बीजेपी ने राहुल के दावे को 'फर्जी' और 'मृत नेता की याद का अपमान' करार दिया, वहीं कांग्रेस ने दावा किया कि जेटली ने 10 जनपथ पर राहुल गांधी से मुलाकात की थी। इस विवाद में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी कूद पड़ीं, जिससे मामला और तूल पकड़ गया है।

राहुल गांधी ने क्या कहा 

दिल्ली में आयोजित वार्षिक कानूनी सम्मेलन 2025 (Annual Legal Conclave 2025) में राहुल गांधी ने कहा, "मुझे याद है जब मैं कृषि कानूनों (Farm Law) के खिलाफ लड़ रहा था, अरुण जेटली जी को मुझे धमकाने के लिए भेजा गया था। उन्होंने मुझसे कहा, 'अगर आप सरकार का विरोध करते रहे और कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ते रहे, तो हमें आपके खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ेगी।' मैंने उनसे कहा, 'आपको नहीं पता कि आप किससे बात कर रहे हैं।'" राहुल ने उनसे कहा कि कांग्रेस के लोग डरने वाले नहीं हैं और न ही वे कभी झुकेंगे।

बीजेपी की फौज उतरी

बीजेपी की फौज राहुल गांधी पर हमले के लिए उतर पड़ी। अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत अनगिनत मंत्री, बीजेपी आईटी सेल के अमित मालवीय आदि ने फौरन बयान जारी करके राहुल पर एक मृत नेता को बदनाम करने की कोशिश करार दे दिया। कांग्रेस की ओर से इसका जवाब देने की कोशिश की गई। लेकिन पहले बीजेपी नेताओं के बयान जानिए।  
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रोहन जेटली का बयान

अरुण जेटली के बेटे और दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (DDCA) के अध्यक्ष रोहन जेटली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "राहुल गांधी दावा कर रहे हैं कि मेरे दिवंगत पिता अरुण जेटली ने उन्हें कृषि कानूनों को लेकर धमकाया था। मैं उन्हें याद दिलाना चाहता हूं कि मेरे पिता का निधन 24 अगस्त 2019 को हो गया था, जबकि कृषि कानून 2020 में पेश किए गए थे।" रोहन ने कहा कि उनके पिता का स्वभाव किसी को धमकाने का नहीं था, बल्कि वे एक कट्टर लोकतांत्रिक थे, जो सहमति बनाने में विश्वास रखते थे। उन्होंने राहुल से मृतकों के बारे में बोलते समय सावधानी बरतने और उनकी स्मृति का सम्मान करने की अपील की।

निर्मला सीतारमण का बयान 

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा- अगर गैरज़िम्मेदारी का कोई चेहरा है, तो वह लोकसभा में विपक्ष के नेता Rahul Gandhi हैं। सार्वजनिक जीवन में लोगों पर, यहाँ तक कि जो अब हमारे बीच नहीं हैं, बेबुनियाद आरोप लगाना उनका व्यक्तित्व बनता जा रहा है। दिवंगत अरुण जेटली पर उनकी टिप्पणी निंदनीय है। भारत को एक मज़बूत विपक्षी दल की ज़रूरत है। एक गैरज़िम्मेदार नेतृत्व उनकी पार्टी कांग्रेस और देश को नुकसान पहुँचाता है। लेकिन क्या उन्हें इसकी परवाह है?
बीजेपी के आईटी सेल के अमित मालवीय ने भी राहुल पर निशाना साधते हुए इसे 'फर्जी खबर' करार दिया। उन्होंने X पर लिखा, "राहुल गांधी दावा कर रहे हैं कि अरुण जेटली ने 2020 में कृषि कानूनों के विरोध को कम करने के लिए उन्हें धमकाया। तथ्य यह है कि जेटली जी का निधन 2019 में हो गया था, और कृषि विधेयक 3 जून 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल में लाए गए थे।" मालवीय ने राहुल से तथ्यों के साथ रहने की सलाह दी। बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी से जेटली के परिवार और देश से माफी मांगने की मांग की। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी हर दिन एक नया झूठ और प्रोपेगेंडा लेकर आते हैं। जेटली जी का निधन 2019 में हुआ, जबकि कृषि कानून 2020 में आए। राहुल को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।"

क्या राहुल से चूक हुई

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर और अन्य नेताओं ने भी राहुल के दावे का समर्थन किया। टैगोर ने X पर लिखा, "राहुल गांधी ने गलती से कृषि कानून का जिक्र किया, लेकिन सच्चाई यह है कि यह मुलाकात हुई थी और अरुण जेटली ने वही किया, जो राहुल जी ने कहा। सच्चाई से न भागें।" कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि जेटली की मुलाकात 2017-2018 में प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण विधेयक (Land Acquisition Bill) या कृषि सुधारों को लेकर हुई थी, जिसे बाद में 2020 में कृषि कानूनों के रूप में पेश किया गया। टैगोर ने हिन्दू बिजनेसलाइन का जो लिंक अपने ट्वीट में दिया है, उसके मुताबिक जनवरी 2018 में जेटली ने राहुल से जाकर मुलाकात की थी। यह मुलाकात 10, जनपथ पर हुई थी।

कांग्रेस सासंद मणिकम टैगोर का ट्वीट

कांग्रेस से जुड़े सोशल मीडिया पर सक्रिय अंशुमन सेल नेहरू ने भी इस पर हमला बोला। अंशुमन ने लिखा- राहुल गांधी ने जो कहा है वह 100% सही है। 10 जनपथ के रजिस्टर में दर्ज है कि पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली उनसे मिलने आए थे। और हाँ, यह मुलाकात कृषि कानूनों के बारे में थी। मोदी सरकार 2017 से ही कृषि कानून लाने की कोशिश कर रही थी और वह इन पर आम सहमति चाहती थी। कानून तो 2020 में श्री जेटली के दुखद निधन के बाद पारित हुए थे, लेकिन असल में यह मुलाकात कृषि कानूनों को लेकर हुई थी।

अंशुमन सेल नेहरू का ट्वीट

क्या था फॉर्म लॉ


मोदी सरकार ने 3 विवादित कृषि कानून सितंबर 2020 में पारित किए लेकिन इन्हें लाने की कोशिश 2017-2018 से ही शुरू हो गई थी। देश में बड़े किसान आंदोलन की वजह से मोदी सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेना पड़ा। इन तीन विवादित कानूनों में कृषि कानून- किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम 2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020, और किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 को अध्यादेश के रूप में पेश किया गया था। इन कानूनों का किसानों, खासकर पंजाब और हरियाणा के किसानों ने भारी विरोध किया था, जिसके बाद नवंबर 2021 में इन्हें निरस्त कर दिया गया। अरुण जेटली का निधन 24 अगस्त 2019 को हुआ था, जो इन कानूनों के पेश होने से पहले का था।
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विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान उनकी रणनीति का हिस्सा लग रहा है। उन्होंने जेटली के बहाने तीनों रद्द हो चुके कृषि कानूनों का जिक्र किया। दरअसल वो देश के एक बड़े तबके को उन तीनों कृषि कानूनों की याद दिला रहे हैं कि किस तरह किसानों ने इसको वापस कराया। राहुल गांधी और विपक्ष इस समय बिहार एसआईआर पर उसी तरह का आंदोलन खड़ा करना चाहते हैं। किसान आंदोलन में जनता की बड़े पैमाने पर भागीदारी हुई थी। बिहार की विवादित मतदाता सूची के मुद्दे पर जनता अगर विपक्ष के साथ खड़ी होती है तो उसकी बड़ी कामयाबी मानी जाएगी।