मणिपुर में लंबे समय से चली आ रही अशांति को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार और कुकी-ज़ो समूहों के बीच गुरुवार को एक त्रिपक्षीय समझौता (सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस - SoO) पर हस्ताक्षर किए गए। इसमें मणिपुर की क्षेत्रीय स्थिति को बनाए रखने, राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (एनएच-2) को यातायात और आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही के लिए खोलने, और उग्रवादी शिविरों को हटाने करने पर सहमति बनी।
यह समझौता नई दिल्ली में हाल के दिनों में गृह मंत्रालय (एमएचए) के अधिकारियों और कुकी-ज़ो काउंसिल (केसीसी) के प्रतिनिधियों के बीच हुई कई बैठकों के बाद हुआ। कुकी-ज़ो काउंसिल ने एनएच-2 पर शांति बनाए रखने के लिए भारतीय सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करने का वचन दिया है। यह राजमार्ग मणिपुर को नगालैंड और पूर्वोत्तर के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण लाइफलाइन है, जो मई 2023 में शुरू हुए जातीय संघर्ष के कारण अवरुद्ध था।
समझौते के तहत, कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (केएनओ) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) ने सात उग्रवादी शिविरों को संघर्ष वाले क्षेत्रों से दूर ले जाने, शिविरों की संख्या कम करने, हथियारों को निकटतम केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के शिविरों में ले जाने, और विदेशी नागरिकों को बाहर करने के लिए सख्त सत्यापन प्रक्रिया पर सहमति जताई है। यह समझौता एक वर्ष के लिए प्रभावी होगा।
ताज़ा ख़बरें
गृह मंत्रालय ने कहा कि संयुक्त निगरानी समूह अब नियमों को लागू करने पर ज़ोर देगा और किसी भी उल्लंघन को भविष्य में कड़ाई से निपटाया जाएगा। मणिपुर में मई 2023 से मेइती और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच चले आ रहे जातीय संघर्ष ने व्यापक हिंसा, जान-माल की हानि और हजारों लोगों के विस्थापन को जन्म दिया है। इस समझौते को सामान्य स्थिति बहाल करने और विस्थापित परिवारों की कठिनाइयों को कम करने की दिशा में एक विश्वास-निर्माण उपाय के रूप में देखा जा रहा है।
यह समझौता उस समय हुआ है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर यात्रा की करने वाले हैं। मोदी हिंसा के दौरान एक बार भी नहीं गए। मोदी मई 2023 में मणिपुर गए थे। हिंसा के बाद वहां नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने वहां की यात्रा की थी। उसके बाद विपक्ष लगातार मांग कर रहा था कि पीएम मोदी को मणिपुर जाना चाहिए। यहां दिल्ली में गृह मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि एनएच-2 के खुलने से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में आसानी होगी, जिससे राहत शिविरों में रह रहे लोगों को लाभ होगा।
इस समझौते से 2008 से चली आ रही SoO संधि फिर से शुरू हो सकती है। यह संधि फरवरी 2024 से अनिश्चितता के दौर में भी रही थी। उस समय मणिपुर सरकार ने इस समझौते के विस्तार के लिए अपनी भागीदारी से इनकार कर दिया था। बहरहाल, मणिपुर में शांति और स्थिरता की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, और सभी पक्षों ने दीर्घकालिक शांति के लिए बातचीत के माध्यम से समाधान खोजने पर जोर दिया है।