भारत में और खासकर महाराष्ट्र में मुगल शासक औरंगजेब पर बीजेपी नेताओं की आक्रामक बयानबाजी जारी है। इस सिलसिले में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बीजेपी नेता संगीत सोम के बयान देखे जा सकते हैं। लेकिन इन नेताओं के बयान आरएसएस के स्टैंड से बिल्कुल अलग है। आरएसएस प्रवक्ता सुनील अंबेकर ने एक दिन पहले जो बयान दिया था, पहले उसे जानिए।
सुनील अंबेकर ने कहा- "सवाल यह है कि क्या औरंगजेब आज प्रासंगिक हैं? अगर हां, तो क्या उनका मकबरा हटाया जाना चाहिए? जवाब है कि वह प्रासंगिक नहीं हैं। किसी भी प्रकार की हिंसा समाज के लिए हानिकारक है।" उन्होंने हिंसा को रोकने और शांति बनाए रखने की अपील की। आरएसएस पदाधिकारी के बयान का अर्थ यही है कि औरंगजेब का मुद्दा अब प्रासंगिक नहीं है। जब वो प्रासंगिक नहीं है तो उनकी कब्र हटाने का मुद्दा भी बेकार है। औरंगजेब के नाम पर हिंसा समाज के लिए नुकसानदेह है।
अब योगी आदित्यनाथ के बयान पर नजर डालिए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को बहराइच में कहा कि आक्रमणकारियों का महिमामंडन करना, जिन्होंने भारत की धरोहर पर हमला किया और इसके लोगों को अपमानित किया, देशद्रोह के समान है, जिसे 'नया भारत' कभी स्वीकार नहीं करेगा। आदित्यनाथ ने उन ऐतिहासिक व्यक्तियों का जश्न मनाने के खिलाफ चेतावनी दी, जिन्होंने सनातन संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश की।
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा, "आक्रमणकारियों का महिमामंडन करना मतलब देशद्रोह की जड़ों को मजबूत करना है। नया भारत उन लोगों को कभी स्वीकार नहीं करेगा जो हमारे महान पूर्वजों का अपमान करते हैं और उन लोगों की प्रशंसा करते हैं जिन्होंने हमारी सभ्यता पर हमला किया, हमारी महिलाओं का अपमान किया और हमारे विश्वास पर चोट पहुंचाई।"
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य
बीजेपी नेता संगीत सोम
यूपी के इन तीन नेताओं के बयानों को देखिए और फिर आरएसएस प्रवक्ता का बयान पढ़िए। आरएसएस इशारा कर रहा है कि औरंगजेब अब प्रासंगिक नहीं है और यूपी के ये तीनों नेता औरंगजेब से पहले और बाद वाले मुगल बादशाहों को आक्रमणकारी बताकर मुद्दे खड़े कर रहे हैं। नागपुर हिंसा से पहले आरएसएस से जुड़े विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल ने प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि अगर औरंगजेब की कब्र नहीं हटाई गई तो उसका हाल बाबरी मस्जिद जैसा करेंगे। महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने दोनों संगठनों के बयान का समर्थन किया। स्पष्ट है कि सारे बयान योजनाबद्ध तरीके से दिए जा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ, केशव और संगीत सोम आरएसएस से बड़े नहीं हैं। लेकिन आरएसएस के बयानों को तीनों ने सम्मान नहीं दिया।
बता दें कि नागपुर हिंसा में विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल वालों पर भी दंगा करने की एफआईआर दर्ज हुई है। इनके कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी होती, उससे पहले इन लोगों ने थाने में सरेंडर कर दिया। पुलिस ने फौरन ही तीन-तीन हजार के निजी मुचलके पर इन लोगों को थाने से ही छोड़ दिया।