वैद्यनाथन ने यह भी दावा किया कि पत्थर की जिस पट्टी पर संस्कृत का लेख लिखा है, उसे विवादित ढाँचा विध्वंस के समय एक पत्रकार ने गिरते हुए देखा था, इसमें साकेत के राजा गोविंद चंद्र का नाम है।
इस तरह की तसवीरें इसलामी प्रथाओं के विपरीत थीं। उनके (मुसलमानों) में किसी भी मानव या जीव-जंतु की कोई तसवीर (एक मसजिद में) नहीं होती है..., बाबरी मसजिद के भीतर की तसवीरें और मूर्तियाँ यह दर्शाती हैं कि यह सही अर्थों में मसजिद नहीं थी। ऐसी चीजें आमतौर पर मसजिदों में नहीं देखी जाती हैं।