बांग्लादेश द्वारा शेख हसीना को सौंपने की मांग के बाद सवाल उठा है कि भारत प्रत्यर्पण करेगा या नहीं। भारत के विदेश मंत्रालय ने क़रीब पड़ोसी होने की बात क्यों की?
मुहम्मद यूनुस, नरेंद्र मोदी, शेख हसीना
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फाँसी की सजा सुनाए जाने के बाद भारत से उनको तत्काल सौंपने की मांग की है। बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने हसीना को 2024 के छात्र आंदोलन पर क्रूर दमन के लिए मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराते हुए फाँसी की सजा सुनाई है। अगस्त 2024 से भारत में शरणार्थी के रूप में रह रहीं हसीना को ट्रिब्यूनल में उनकी गैर मौजूदगी में दोषी ठहराया गया। ट्रिब्यूनल ने पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल को भी फाँसी की सजा सुनाई है।
इसी बीच, अब बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक औपचारिक पत्र में भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की। इसमें कहा गया कि दोनों देशों के बीच 2013 के प्रत्यर्पण संधि के तहत यह अनिवार्य जिम्मेदारी है। मंत्रालय ने चेतावनी दी, 'मानवता के खिलाफ अपराधों के दोषी इन व्यक्तियों को किसी अन्य देश द्वारा शरण देना अत्यंत अशोभनीय कार्य होगा और न्याय के प्रति खुली अवहेलना।' पत्र में जोर दिया गया कि भारत को इन दोषियों को बांग्लादेशी अधिकारियों के हवाले करने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
यह मांग हसीना की सजा के कुछ घंटों बाद आई, जब ढाका में उच्च सुरक्षा के बीच फ़ैसला सुनाया गया। अदालत में पीड़ित परिवारों ने तालियां बजाकर खुशी जताई, जबकि ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने मिठाइयां बांटकर जश्न मनाया। बांग्लादेश के कानून, न्याय एवं संसदीय मामलों के सलाहकार आसिफ नजरुल ने कहा, 'हम भारत को फिर से पत्र लिखेंगे। यदि भारत इस सामूहिक हत्यारी को शरण देता रहा, तो इसे बांग्लादेश और उसके लोगों के खिलाफ शत्रुतापूर्ण कृत्य माना जाएगा।'
हसीना का भारत में शरण
शेख हसीना को अगस्त 2024 में छात्र-नेतृत्व वाले बड़े विद्रोह के बाद सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। सरकार के दमन में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार 1400 से अधिक लोग मारे गए और 25 हज़ार घायल हुए। हसीना हेलीकॉप्टर से भागकर भारत पहुंचीं और तब से दिल्ली के एक गुप्त सुरक्षित आवास में रह रही हैं, जहां भारतीय सुरक्षा एजेंसियां उन्हें पूरी सुरक्षा दे रही हैं।बांग्लादेशी अदालत ने हसीना को ट्रायल के लिए भारत से लौटने का आदेश दिया था, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया। हसीना ब्रिटेन में शरण की तलाश कर रही हैं, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है।
ट्रिब्यूनल के फ़ैसले पर आपत्ति
ट्रिब्यूनल के तीन सदस्यीय पैनल ने हसीना को तीन प्रमुख आरोपों पर दोषी ठहराया- भड़काना, हत्याओं का आदेश देना और अत्याचारों को रोकने में विफलता। सजा पर प्रतिक्रिया देते हुए हसीना ने एक लंबे बयान में आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, 'यह फैसला एक धांधली वाले ट्रिब्यूनल द्वारा सुनाया गया, जो गैर-निर्वाचित सरकार द्वारा स्थापित और संचालित है, जिसका कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है। ये पक्षपाती और राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं। मौत की सजा की उनकी घृणित मांग में अंतरिम सरकार के भीतर चरमपंथी तत्वों की खुली और हत्यारी मंशा झलकती है, जो बांग्लादेश की आखिरी निर्वाचित प्रधानमंत्री को हटाने और अवामी लीग को राजनीतिक शक्ति के रूप में ख़त्म करने का प्रयास है।'भारत की सतर्क प्रतिक्रिया, प्रत्यर्पण पर चुप्पी
भारतीय विदेश मंत्रालय यानी एमईए ने सोमवार को एक बयान जारी तो किया, लेकिन प्रत्यर्पण पर कोई टिप्पणी नहीं की। इसने कहा, 'भारत ने बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के संबंध में सुनाए गए फैसले का संज्ञान लिया है। एक निकट पड़ोसी के रूप में भारत बांग्लादेश के लोगों के सर्वोत्तम हितों के प्रति प्रतिबद्ध है, जिसमें शांति, लोकतंत्र, समावेशिता और उस देश में स्थिरता शामिल है। हम इस उद्देश्य के लिए सभी हितधारकों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ते रहेंगे।'
यह बयान बांग्लादेश के प्रत्यर्पण अनुरोध के बाद आया, लेकिन भारत ने साफ़ तौर पर प्रत्यर्पण से न तो इनकार किया और न ही सहमति जताई। जानकारों का मानना है कि भारत के लिए यह कूटनीतिक दुविधा है। हसीना को शरण देकर भारत ने बांग्लादेश में अपनी प्रभावशाली स्थिति बनाई थी, लेकिन अब प्रत्यर्पण से द्विपक्षीय संबंध खराब हो सकते हैं। पिछले महीनों में बांग्लादेश ने कई बार प्रत्यर्पण की मांग की, लेकिन भारत ने चुप्पी साधे रखी।
यह घटना भारत-बांग्लादेश संबंधों में नया मोड़ ला सकती है। फरवरी 2026 के चुनाव से पहले बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है। भारत को मानवीय आधार पर हसीना को शरण जारी रखने का अधिकार है, लेकिन प्रत्यर्पण संधि के तहत दबाव भी है। जानकारों का कहना है कि नई दिल्ली सभी पक्षों से संवाद बढ़ाएगी, लेकिन फैसला सावधानीपूर्वक लिया जाएगा।