राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने फिर से सरकार पर बड़ी चोट की है। उन्होंने कहा है कि देश में शिक्षा और स्वास्थ्य आम लोगों की पहुँच से बाहर हो गये हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि जो पहले सेवा थी उसको अब धंधा और मुनाफा का ज़रिया बना दिया गया है। भागवत का यह बयान तब आया है जब मोदी सरकार नयी शिक्षा नीति और ग़रीबों के मुफ़्त इलाज का ढोल पीट रहा है। उनके इस बयान ने न केवल सामाजिक और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या यह बयान केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज पर एक अप्रत्यक्ष हमला है? क्या भागवत सरकार की नीतियों से नाराज हैं? यदि हां, तो उनकी नाराजगी के पीछे क्या कारण हो सकते हैं?