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कुछ के किये के लिए समुदाय ज़िम्मेदार नहीं : भागवत, क्या डैमेज कंट्रोल में है संघ?

कोरोना वायरस संक्रमण के लिए मुसलमानों को ज़िम्मेदार ठहराने के मुद्दे पर बदनामी होने के बाद क्या आरएसएस डैमेज कंट्रोल की कोशिश में है?

यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक यानी प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि कोई समूह कुछ करे तो इसके लिए पूरे समुदाय को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। 
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उन्होंने कहा, 'कुछ लोगों की ग़लती के लिए हम पूरे समुदाय के प्रति दुर्भावना नहीं रख सकते।'
हालाँकि मोहन भागवत ने किसी का नाम नहीं लिया, पर समझा जाता है कि उनका इशारा तबलीग़ी जमात की ओर था।

भागवत के कहने का मतलब?

तबलीग़ी जमात के दिल्ली कार्यक्रम के बाद उसके कुछ लोगों में संक्रमण पाया गया था। इसके बाद बीजेपी के कुछ लोगों और मीडिया के एक हिस्से ने पूरे मुसलिम समुदाय को निशाना बनाया था।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इसके आगे कहा, 'कोरोना से लड़ाई में सब अपने हैं। हम मनुष्यों में भेद नहीं करते।'
भागवत ने कहा, 'गु्स्सा मत होइए, उत्तेजित मत होइए, भारत तेरे टुकड़े होंगे गैंग के लोग हैं, जो लोगों को भड़काते हैं।'

महाराष्ट्र की लिन्चिंग पर क्या कहा?

संघ प्रमुख ने महाराष्ट्र में दो भगवाधारियों की पीट-पीट कर हत्या किए जाने के मुद्दे पर भी अपनी बात कही। उन्होंने इसके लिए वहाँ मौजूद लोगों और तैनात पुलिस वालों पर दोष मढ़ा। 

भागवत ने कहा, 'दो संन्यासियों की हत्या हुई, उसे लेकर बयानबाजी हो रही है। लेकिन, ये कृत्य होना चाहिए क्या, कानून हाथ में किसी को चाहिए क्या, पुलिस को क्या करना चाहिए? संकट के वक्त ऐसे किंतु, परंतु होते हैं, भेद और स्वार्थ होता है। हमें इन पर ध्यान ना देते हुए देशहित में सकारात्मक बनकर रहना चाहिए।'

याद दिला दें कि इसके पहले यही काम सरकार के स्तर पर हुआ।  'इसलामोफ़ोबिया' को लेकर मुसलमानों के साथ भेदभाव की ख़बरें सामने आने के बाद भारत ने खाड़ी के देशों से संबंध सुधारने की क़वायद तेज कर दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने इस मामले में मोर्चा संभाला है।

मोदी की कोशिश!

मोदी ने खाड़ी के देशों और बाक़ी इसलामिक देशों के नेताओं से भी बात की। इसके बाद जयशंकर आगे आए और उन्होंने फ़लीस्तीन के विदेश मंत्री रियाद अल मलिकी, यूएई के विदेश मंत्री शेख़ अब्दुल्लाह बिन ज़ायद से बात की। इसके अलावा उन्होंने क़तर और ओमान के विदेश मंत्रियों से भी बात की।
इसके पहले इसलामिक देशों के समूह ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इसलामिक को-ऑपरेशन (आईओसी) ने बयान जारी कर कहा कि भारत में 'इसलामोफ़ोबिया' के नाम पर मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सामने आना पड़ा और उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस किसी को शिकार बनाने से पहले उसका धर्म, जाति, रंग आदि नहीं देखता है और हमें इस वायरस से मिलकर लड़ना है। 
मोहन भागवत के बयान को इसी के साथ जोड़ कर देखा जा रहा है। उनके पहले केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने भी बिल्कुल ही बात कही थी। ऐसा लग रहा है कि संघ और बीजेपी स्थिति सुधारने की कोशिश में हैं। 
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क़मर वहीद नक़वी
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