loader

भारत जोड़ो यात्राः कांग्रेस को जिन्दा कर पाएंगे राहुल?

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा राहुल गांधी के नेतृत्व में ऐसे समय में हो रही है, जब पार्टी कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। 2014 का चुनाव हारने के बाद कांग्रेस कोमा में चली गई। उसके महत्वपूर्ण नेता पार्टी छोड़कर चले गए हैं या जा रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष पद का मसला लंबित है। राहुल गांधी ने तीन वर्षों से अध्यक्ष पद ठुकरा रखा है। पार्टी में हाल ही में तभी कुछ जान पड़ी,  जब केंद्रीय एजेंसियों ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से कथित नेशनल हेराल्ड मामले में पूछताछ की। लेकिन इससे पार्टी कहां खड़ी हो सकती है। जाहिर है कि भारत जोड़ो यात्रा न सिर्फ कांग्रेस पार्टी को फिर से जिन्दा करने और खासतौर से राहुल गांधी को मतदाताओं से सीधे जोड़ने की कोशिश है। लेकिन इस यात्रा के तमाम किन्तु-परन्तु हैं।  

कांग्रेस की यह यात्रा 7 सितंबर से शुरू होगी जो 150 दिनों में 12 राज्यों से होकर गुजरेगी। यात्रा की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसमें मुद्दों को कितनी अच्छी तरह से प्रचारित किया जाता है और अच्छी तरह से उसे लागू करने के लिए जनता को भरोसा दिया जाता है। देश का एक बहुत बड़ा वर्ग बीजेपी-आरएसएस की नफरत भरी राजनीति से छुटकारा चाहता है। इस यात्रा के दौरान राहुल को भरोसा देना होगा कि सत्ता में आने के बाद कांग्रेस किस तरह इस दानव से निपटेगी, जो भारत की जड़ों को खोखला कर रहा है।
ताजा ख़बरें

कैसे अलग है यात्रा

इस यात्रा की सबसे बड़ी विशेषता है कि अब तक कांग्रेस पार्टी को जिन्दा करने की जितनी भी छोटी-मोटी कोशिशें हुई हैं, उनसे यह यात्रा अलग है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह जनता से संपर्क का सबसे पहला जन संपर्क कार्यक्रम है जो कांग्रेस पार्टी कई वर्षों बाद राष्ट्रीय स्तर पर शुरू करेगी। आमतौर पर कांग्रेस के बड़े नेता बड़ी रैलियों को संबोधित करते हैं या रोड शो करते हैं। इस तरह के जनसंपर्क कार्यक्रम कांग्रेस कम ही करती है।
पिछली यात्राओं के नतीजेः कांग्रेस ने जब-जब जनसंपर्क अभियान चलाया है, उसे बेहतर नतीजे मिले हैं। यानी भारत जोड़ो यात्रा के पॉजिटिव नतीजे आना ही हैं। याद कीजिए मध्य प्रदेश के मंदसौर में जब किसानों पर लाठी चार्ज और फायरिंग हुई तो इन्हीं राहुल गांधी ने उसे राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया था। वो वहां खुद पहुंचे और आंदोलन का नेतृत्व किया। 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इससे काफी मदद मिली, उसने लगभग बहुमत हासिल किया।
उसी साल, भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में 9 महीने की पैदल यात्रा का नेतृत्व किया, ताकि लोगों को कांग्रेस के वादों से अवगत कराया जा सके, जिसमें बैंक कृषि लोन माफी मुख्य मुद्दा था। बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी ने दो तिहाई बहुमत हासिल किया। राहुल ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनवाने में देर नहीं लगाई। यह कांग्रेस का परिपक्व फैसला था।
अगर कांग्रेस से बाहर ऐसी किसी यात्रा को देखें तो लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा याद आती है। जिसने बीजेपी की किस्मत रातोंरात बदल दी थी और वो मंदिर जैसे मुद्दे पर केंद्र की सत्ता में आ गई थी। धार्मिक मुद्दों के लिए जब यात्रा निकाल कर सफलता पाई जा सकती है तो क्या जनता के सरोकारों के लिए यात्रा निकालने पर संभावनाएं कम हो जाएंगी।

यात्रा का समय महत्वपूर्ण

कांग्रेस और राहुल गांधी ने मौजूदा यात्रा का समय बहुत सही चुना है। कई राज्यों में चुनाव होने हैं लेकिन वो अभी जरा दूर हैं। इसलिए जनता में सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी यह प्रचार नहीं कर पाएगी कि वोट मांगने के लिए कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा आयोजित की है। जनता में यह संदेश जाना जरूरी है कि चुनाव के बिना भी नेता या राजनीतिक दल उसके मुद्दों और उसके सरोकारों को उठाने के लिए आवाज बन सकते हैं। यात्रा का प्रारूप शक्तिशाली है। क्योंकि यह नेतृत्व और जनता के बीच एक जुड़ाव बनाएंगे। सिविल सोसाइटी की 120 संस्थाएं उस नैरेटिव को गढ़ने में मदद करेंगी, जो कांग्रेस की सेकुलर छवि को और मजबूत बनाएंगे, जो कांग्रेस के किसान हितैषी होने के दावे को मजबूत करेंगे।
आम चुनाव 2024 में अभी एक साल से ज्यादा का समय बाकी है। यह यात्रा जनवरी-फरवरी के आसपास खत्म हो जाएगी। जनता के साथ कांग्रेस पार्टी का जुड़ाव मुद्दों और चुनाव के बारे में होना चाहिए। जब शांति का समय होता है, तो सेना को युद्ध के लिए तैयार किया जाता है। कांग्रेस का यह गैर चुनाव अभियान भारत जोड़ो यात्रा के जरिए एक ऐसा मंच बनाए, जहां कांग्रेस अपनी छवि, अपने पार्टी संगठन, अपने नेतृत्व को जनता से जोड़ सके। अपनी विचारधारा को बेहतर ढंग से परिभाषित कर सकती है। 

कांग्रेस पार्टी की विचारधारा में सभी 'वाद' का समावेश है। जनता पहले उसी वजह से कांग्रेस से जुड़ती रही है। उसके नारों में वही ताकत है जो आज बीजेपी के 'जयश्रीराम' के नारे में है। कांग्रेस का 'जय हिन्द' का नारा सभी समुदायों को एक धागे में पिरोने की बात करता है। जय हिन्द की पहचान सिर्फ उत्तरी भारत में ही नहीं दक्षिणी भारत में भी है। जरूरत है कि कांग्रेस उस नारे को पुनर्जीवित करे।


नई कहानी की जरूरत

भारत जोड़ो यात्रा मतदाताओं और राहुल गांधी के बीच एक नया संबंध बनाने में मदद कर सकती है। राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिए तीन साल हो चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष न होने से उनके खिलाफ मीडिया और बीजेपी की नकारात्मक टिप्पणियों को कम करने में मदद मिलेगी।

समय आ गया है कि राहुल गांधी अपने खुद के नेतृत्व के बारे में एक नई कहानी गढ़ें। भारत जोड़ो यात्रा को वो एक ब्लैक बोर्ड समझें और नई कहानी उस पर दर्ज करें। उन्हें जनता को भरोसा देना होगा कि वो उसके सरोकारों को अच्छी तरह समझते हैं और मौका मिलने पर उनकी प्राथमिकताएं क्या होंगी। उनसे शुद्ध हिन्दी या अंग्रेजी की दरकार नहीं है उनसे मुद्दों को समझने की दरकार है। जनता के मनोभावों को समझने की जरूरत है। उनको अपनी शैली बदलने की जरूरत है। 
बहुत मुमकिन है कि भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस को आशा के अनुरूप नतीजे न दे। लेकिन रिस्क लेने में कोई हर्ज नहीं है। ऐसा कोई कारण नहीं है कि लगभग 12 करोड़ वोट हासिल करने वाली पार्टी लोगों को यात्रा के लिए आकर्षित नहीं कर पाए। हालांकि कांग्रेस पार्टी का संगठन आज इतना कमजोर हो गया है कि वह शायद जनता को लामबंद न कर पाए। हो सकता है कि वह घर-घर जाकर लोगों को यह न समझा सके कि उन्हें इस यात्रा में क्यों शामिल होना चाहिए। लेकिन यह बहुत बड़ा मसला नहीं है।

पुरानी रणनीति, नई पहल

2013- 2014 में कांग्रेस की सरकार के खिलाफ कैसे माहौल बना था। उसी रणनीति को दोहराने की कोशिश यह यात्रा भी हो सकती है। 2014 से पहले इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) के बैनर तले कई संगठनों ने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ माहौल बनाया था। तत्कालीन विपक्षी दल बीजेपी ने यूपीए सरकार में करप्शन और नीतिगत पंगुता के मुद्दों को उठाया था। यह वह दौर था जब एक अखिल भारतीय आंदोलन शुरू किया गया था। योग गुरु रामदेव के साथ अन्ना हजारे, किरण बेदी, शांति भूषण, प्रशांत भूषण, कुमार विश्वास, रिटायर्ड सेना अधिकारी और पूर्व नौकरशाहों ने भी यूपीए सरकार के खिलाफ माहौल बनाया। इस आंदोलन के पीछे आरएसएस और उससे जुड़े कई संगठन भी काम कर रहे थे। उस माहौल ने बीजेपी की मदद की और वो 2014 में केंद्र की सत्ता पाने में सफल रही।

2013-14 में जो करप्शन था, क्या वो अब खत्म हो चुका है। हालात उस वक्त से भी बदतर हैं। नफरत और लिंचिंग का बाजार गर्म है। तमाम समुदाय आपस में छोटे-छोटे मुद्दों पर टकरा रहे हैं। भारत को एक सशक्त आंदोलन की जरूरत आज भी है। इसी तर्ज पर राहुल गांधी आम लोगों से मिलकर बीजेपी सरकार के काम के आधार पर मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव बना सकते हैं। कांग्रेस नेता अपने भाषणों में संवैधानिक संस्थानों के कथित दुरुपयोग, बेरोजगारी, समाज में विभाजन, किसानों के मुद्दों और अर्थव्यवस्था की स्थिति से संबंधित मुद्दों को जरूर उठाएंगे।

मीडिया की भूमिका

इस यात्रा को सफल या असफल बनाने में मीडिया की भूमिका बहुत बड़ी होने वाली है। देश में मीडिया पर जो दबाव बना हुआ है, वो किसी से छिपा नहीं है। मीडिया का एक वर्ग तो दबाव से भी ज्यादा खुद को सरेंडर कर चुका है। इसलिए कांग्रेस के सामने यह बड़ा जोखिम भी है कि मीडिया का खास वर्ग जो सत्तारूढ़ पार्टी की बांसुरी बजाता है, शायद इस यात्रा को महत्व नहीं दे लेकिन मीडिया की बहुत ज्यादा परवाह न करते हुए कांग्रेस पार्टी उन प्रेशर ग्रुप की तलाश करे जो सरकार की हर बात का समर्थन आंख बंद नहीं करते। वो सोशल मीडिया के जरिए अपना प्रचार कर सकती है, वो महत्वपूर्ण यूट्यूब चैनलों को अपने साथ यात्रा में जोड़ सकती है।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें