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भीलवाड़ा ने जिस सख़्ती से कोरोना को काबू किया, पूरे देश में भी वही मॉडल चलेगा?

21 दिन का लॉकडाउन जब 14 अप्रैल को पूरा होगा तब क्या होगा? क्या पूरे देश भर में लॉकडाउन जारी रहेगा या फिर कोरोना के हॉटस्पॉट की पहचान कर सिर्फ़ कुछ हिस्सों में सख़्ती जारी रहेगी? माना जा रहा है कि जब लॉकडाउन की मियाद ख़त्म होगी तो सरकार 'भीलवाड़ा मॉडल' अपना सकती है। राजस्थान के इस भीलवाड़ा ज़िले में जब काफ़ी संख्या में केस आने लगे थे तो उस ज़िले में काफ़ी सख़्ती बरती गई और जाँच, स्क्रीनिंग और सर्वे का काम ज़बरदस्त तरीक़े से किया गया। यह सख़्ती पूरे देश भर में लॉकडाउन से काफ़ी ज़्यादा है। यही कारण है कि भीलवाड़ा को एक समय कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट माना गया था जब 11 दिन में 26 पॉजिटिव केस आए थे, लेकिन अब पिछले एक हफ़्ते में सिर्फ़ एक पॉजिटिव केस सामने आया है। 

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जिस तरह से राजस्थान में भीलवाड़ा में सबसे ज़्यादा केस आए थे उसी तरह से पूरे देश में कुछ ज़िलों में ही ज़्यादा मामले आए हैं। देश भर में क़रीब 700 ज़िले हैं, लेकिन 80 फ़ीसदी कोरोना पॉजिटिव के मामले सिर्फ़ 62 ज़िलों से आए हैं। ऐसे में एक संभावना यह है कि उन ज़िलों में जहाँ कोरोना के मामले ज़्यादा नहीं आए हैं वहाँ कुछ ढील दी जाए जब लॉकडाउन की अवधि ख़त्म होगी। हालाँकि उन ज़िलों में सख़्ती बढ़ाई जा सकती है जिस तरह से भीलवाड़ा में की गई थी। उन तरीक़ों को अपनाया जा सकता है जिस तरह से भीलवाड़ा में अपना गया था और जिसे 'भीलवाड़ा मॉडल' कहा जा रहा है। 

क्या है भीलवाड़ा मॉडल में?

जब राजस्थान में भीलवाड़ा ज़िला कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बना तो सबसे पहला काम प्रशासन ने यह किया कि पूरे ज़िले को सील कर दिया। यानी आसपास के ज़िलों या पूरे राज्य को सील नहीं किया। सरकार ने 20 लाख से ज़्यादा लोगों का सर्वे किया। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) रोहित कुमार सिंह ने कहा कि ज़िले में पहला मामला आने के दिन ही यानी 18 मार्च को घर-घर जाकर सर्वे का काम शुरू कर दिया गया था। 850 टीमें बनाई गईं। 56025 घरों का सर्वे किया गया। कुछ दिनों में ही 2.81 लाख लोगों का सर्वे हो चुका था। 

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रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना संक्रमित पाए गए लोगों के संपर्क में आए लोगों को ढूँढा गया। 26 मार्च तक क़रीब साढ़े छह हज़ार संदिग्ध लोगों को घर पर ही क्वरेंटाइन किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने ऐप के ज़रिए उन पर नज़र रखी। 27 मार्च तक 30 लाख की जनसंख्या वाले ज़िले में 22 लाख लोगों का सर्वे किया जा चुका था। अधिकतर घरों का एक से ज़्यादा बार सर्वे किया गया। 

भीलवाड़ा कलेक्टर राजेंद्र भट्ट के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग ने सर्वे करने, ढूँढने, स्क्रीनिंग करने और जाँच करने के चार बिंदुओं को अपनाया। कर्फ्यू का सख़्ती से पालन किया गया। सभी दुकानें बंद रखी गईं और पुलिस ने सुनिश्चित किया कि घर-घर ज़रूरी चीजों की आपूर्ति की जाए। 3 अप्रैल को भीलवाड़ा में 10 दिन का महाबंद घोषित किया गया है जिसमें मीडिया कर्मियों और एनजीओ के पास भी रद्द कर दिए गए हैं। 

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क़मर वहीद नक़वी
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