वोटर लिस्ट विवाद के खिलाफ बिहार बंद के दौरान पटना में विपक्षी नेताओं को सुनने के लिए बुधवार को लोग उमड़ पड़े। भारत का चुनाव आयोग (ECI) सभी नेताओं के निशाने पर रहा लेकिन नेता विपक्ष राहुल गांधी ने उसकी विश्वसनीयता पर करारी चोट की।  

राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र चुनावों में जैसा 'मतदान में हेराफेरी' का पैटर्न देखने को मिला, वही कोशिश अब बिहार में की जा रही है। उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में एक करोड़ नए वोटर जोड़कर वोटों की चोरी की गई और सभी नए वोट भारतीय जनता पार्टी (BJP) को गए।
राहुल गांधी ने कहा, "लोकसभा चुनाव के कुछ ही महीनों बाद महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। लोकसभा में इंडिया गठबंधन को महाराष्ट्र में बहुमत मिला, लेकिन विधानसभा में प्रदर्शन बहुत खराब रहा। हमने तब कुछ नहीं कहा, पर डेटा की पड़ताल शुरू की। हमने पाया कि लोकसभा और विधानसभा के बीच एक करोड़ नए वोटर जुड़े, और 10 प्रतिशत ज्यादा मतदान हुआ। जब हमने देखा कि ये नए वोटर कहां से आए, तो चौंक गए—हर उस सीट पर जहां वोटर बढ़े, वहां भाजपा जीत गई। सभी नए वोट बीजेपी को मिले।"
पुलिस ने जुलूस को मैंगल्स रोड की ओर बढ़ने से रोकने की कोशिश की, जहां कार्यालय स्थित है, जबकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सैकड़ों कार्यकर्ता और समर्थक सड़कों पर उतर आए और दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद कराकर बंद को लागू करने की कोशिश की।
RJD और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के कार्यकर्ताओं ने पटना के मनेर में टायर जलाए और सड़कें जाम कर दीं। राज्य भर में रोकी गई ट्रेनों में श्रमजीवी एक्सप्रेस और विभूति एक्सप्रेस भी शामिल थीं।
इससे पहले राहुल गांधी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव के साथ पटना में चुनाव आयोग के विशेष तीव्र पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) के खिलाफ 'बिहार बंद' का नेतृत्व किया। इस बंद में इंडियन नेशनल डिवेलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) के कई वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए, जिनमें CPI महासचिव डी राजा, माले नेता दीपंकर भट्टाचार्य, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम, कन्हैया कुमार और संजय यादव प्रमुख थे।

बिहार के अन्य स्थानों पर भी प्रदर्शन 

बिहार में अन्य स्थानों पर भी मतदाता सूची संशोधन के खिलाफ जुलूस निकाले गए, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के खिलाफ नारे लगाते हुए बैनर ले रखे थे।
24 जून को, ईसीआई ने संशोधन की घोषणा की, जिसमें तेजी से शहरीकरण, लगातार प्रवास, पहली बार मतदाताओं की बढ़ती संख्या, मौतों की सूचना न देने और गैर-दस्तावेज विदेशियों के नामों को शामिल करने के कारण मतदाता सूची को साफ करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में कुछ बिल्डिंगों में 4,000-5,000 वोटर रजिस्टर किए गए, जबकि गरीब मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए। राहुल गांधी ने जनता को संबोधित करते हुए कहा, "हम बिहार आए हैं, जहां संविधान के लिए लोग शहीद हुए हैं। लेकिन आज संविधान के उस सबसे बड़े अधिकार — वोट देने के अधिकार — को छीनने की कोशिश हो रही है। जैसे महाराष्ट्र का चुनाव चुराया गया, वैसी ही साजिश अब बिहार में चल रही है। पर वे नहीं जानते कि यह बिहार है, यहां के लोग ऐसा कभी नहीं होने देंगे।"
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उन्होंने चुनाव आयोग पर भी गंभीर आरोप लगाए कि आयोग ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में वोटर डेटा और मतदान केंद्रों की वीडियोग्राफी साझा नहीं की। राहुल गांधी ने कहा, "हमने बार-बार आयोग से वोटर लिस्ट और बूथ की वीडियोग्राफी मांगी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। कानून कहता है कि ये सूचनाएं हमें मिलनी चाहिए, लेकिन आज तक हमें महाराष्ट्र की वोटर लिस्ट नहीं मिली। आयोग ने तो वीडियोग्राफी के नियम भी बदल दिए ताकि सच्चाई छिपाई जा सके।"
महत्वपूर्ण स्थानों पर पुलिस बलों की भारी तैनाती के बीच जहानाबाद, आरा, अररिया, सुपौल, सहरसा, कटिहार और किशनगंज से भी विरोध प्रदर्शन की खबरें आईं।
दरभंगा में, आरजेडी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने नंगे बदन विरोध प्रदर्शन किया और टायर जलाकर सड़कें जाम कर दीं। वैशाली में मुजफ्फरपुर और हाजीपुर के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)-22 को भैंसों की मदद से अवरुद्ध कर दिया गया। नवादा में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थकों ने झारखंड सीमा के पास रजौली में एनएच-20 पर वाहनों का आवागमन बाधित किया। विधायक अमरजीत कुशवाहा के नेतृत्व में राजद और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के कार्यकर्ताओं ने सीवान के जेपी चौक को जाम कर दिया। व्यावसायिक प्रतिष्ठान, शैक्षणिक और वित्तीय संस्थान बंद रहे।
इस पूरे घटनाक्रम ने बिहार चुनावों से पहले सियासी तापमान को काफी बढ़ा दिया है। विपक्ष ने पटना स्थित चुनाव आयोग कार्यालय तक जुलूस निकाला। बिहार में मतदाता सूची संशोधन ने मताधिकार से वंचित होने की चिंताओं को जन्म दिया है।
विपक्षी दलों ने चुनाव से महीनों पहले संशोधन की घोषणा में देरी पर सवाल उठाया है। उनका तर्क है कि इसे पहले किया जा सकता था। पिछले एक दशक में, चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में शामिल करने के लिए आधार और राशन कार्ड को स्वीकार किया है। संशोधन के लिए जन्म प्रमाण पत्र और माता-पिता के दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है। विपक्षी दलों का कहना है कि जिनके पास ऐसे दस्तावेज़ नहीं हैं, खासकर पिछड़े समुदाय, वे अपने मताधिकार से वंचित हो जाएँगे और उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ेगा।