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प्रतीकात्मक और फाइल फोटो

चुनाव से पहले भाजपा ने यूपी में क्यों बदल दिए 69 जिला स्तरीय अध्यक्ष?    

लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने रणनीतियां बनानी शुरु कर दी है। इसी कड़ी में भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई ने पार्टी के जमीनी स्तर के संगठन में बड़ा बदलाव किया है। पार्टी ने शुक्रवार को अपने 98 जिला स्तरीय अध्यक्षों में से 69 को बदल दिया।

उत्तर प्रदेश में यूं तो 75 जिले ही हैं लेकिन यहां भाजपा ने अपने राज्य संगठन को पांच क्षेत्रों,पश्चिमी, ब्रज, कानपुर, अवध, गोरखपुर और काशी के तहत 98 जिला स्तरीय इकाइयों में बांट कर रखा है। माना जा रहा है कि ये बदलाव जिला अध्यक्षों के परफॉरमेंस से लेकर विभिन्न तरह के समीकरणों को ध्यान में रख कर किए गए हैं। 
पिछले कुछ महीनों से उत्तर प्रदेश में भाजपा के जिला स्तरीय संगठन में फेरबदल की उम्मीद की जा रही थी। 2024 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए, उन प्रमुखों को बदल दिया गया है, जो दो कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। साथ ही उन प्रमुखों को भी बदल दिया गया है, जिनके खिलाफ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने उनके प्रदर्शन के बारे में नकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी। यह बदलाव ऐसे समय में हुआ है जब लोकसभा चुनाव को एक वर्ष से भी कम समय रह गया है। 

 उभरते राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए हुआ है यह बदलाव 

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक लोकसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय रह जाने के बीच उत्तर प्रदेश भाजपा ने शुक्रवार को 71 प्रतिशत जिला इकाइयों में बदलाव कर दिया है।
पार्टी ने 98 संगठनात्मक जिलों के अध्यक्षों की सूची की घोषणा की। राज्य के छह क्षेत्रों में से, भाजपा ने पश्चिम यूपी में 17, कानपुर क्षेत्र में 13, ब्रज, काशी और अवध क्षेत्र में 10-10 और गोरखपुर में नौ जिला अध्यक्षों को बदल दिया है। सबसे ज्यादा बदलाव पश्चिम यूपी में किए गए हैं।  जहां पार्टी की 19 जिला इकाइयां हैं। इस क्षेत्र में केवल दो जिला इकाइया है जिनके नेताओं को बरकरार रखा गया, वे दोनों गाजियाबाद महानगर और सहारनपुर जिला इकाई हैं। 
बड़े पैमाने पर हुए इस संगठनात्मक बदलावों पर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा है कि जिन्हें बदला गया है उनमें से कई ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया था। कुछ जन प्रतिनिधि बन गए हैं तो कुछ को पार्टी संगठन में अलग-अलग भूमिकाएं दे दी गई हैं।  
नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति करते समय लोकसभा चुनाव से पहले उभरते राजनीतिक परिदृश्य पर भी विचार किया गया है। चौधरी ने यह भी कहा कि जल्द ही जिला प्रभारियों की नियुक्ति की जाएगी।पार्टी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कुछ जिला अध्यक्षों को उनके खिलाफ शिकायतों के कारण बदला गया था या क्योंकि पार्टी को लोकसभा चुनाव से पहले उन इकाइयों में अधिक सक्रिय नेताओं की आवश्यकता महसूस हुई थी
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वाराणसी - गोरखपुर के महानगर और जिला अध्यक्ष बरकरार 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि घोषित किए गए बदलावों में महत्वपूर्ण मऊ जिले के अध्यक्ष को हटाने का निर्णय था। जहां पार्टी इस महीने की शुरुआत में घोसी विधानसभा उपचुनाव हार गई थी। पार्टी ने प्रवीण गुप्ता की जगह नूपुर अग्रवाल को नया जिला अध्यक्ष नियुक्त किया है। मुजफ्फरनगर में जिला अध्यक्षों को बदल दिया गया है, जहां पार्टी दिसंबर 2022 में खतौली विधानसभा उपचुनाव हार गई थी। साथ ही मैनपुरी में भी उसे पिछले साल लोकसभा उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। 
वहीं भाजपा ने वाराणसी और गोरखपुर जैसे हाई-प्रोफाइल जिलों के महानगर और जिला अध्यक्षों को बरकरार रखा है। वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकसभा क्षेत्र है जबकि गोरखपुर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह क्षेत्र है। वाराणसी में, विद्यासागर राय को भाजपा के महानगर अध्यक्ष के रूप में बरकरार रखा गया है, जबकि हंसराज विश्वकर्मा जिला इकाई में पार्टी के मामलों के प्रभारी बने रहेंगे। इस साल की शुरुआत में विश्वकर्मा के यूपी विधान परिषद के सदस्य बनने के बाद वाराणसी जिला इकाई में बदलाव की उम्मीद की जा रही थी। 
भाजपा के एक नेता ने बताया कि विद्यासागर राय को दूसरा कार्यकाल और विश्वकर्मा को लगातार तीसरा कार्यकाल मिला है, शायद इसलिए क्योंकि लोकसभा चुनाव नजदीक हैं और पीएम वाराणसी से सांसद हैं, इसलिए पार्टी वहां अनुभवी हाथ चाहती थी।  गोरखपुर में राजेश गुप्ता महानगर अध्यक्ष और युधिष्ठिर सिंह जिला इकाई के अध्यक्ष बने रहेंगे। 
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एक-चौथाई सांसदों को भी हटाने पर विचार कर रही है पार्टी

भाजपा की अयोध्या महानगर जिला इकाई में, कमलेश श्रीवास्तव ने अभिषेक मिश्रा की जगह ली है, हालांकि अयोध्या जिला में पार्टी ने संजीव सिंह को बरकरार रखा है। नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में पिछले छह महीने से देरी हो रही थी, लेकिन अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने आखिरकार कुछ हफ्ते पहले नामों को अंतिम रूप देने के लिए हर जिले में पर्यवेक्षक भेजे है। 
रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ जिला स्तर के नेता ही नहीं, भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए राज्य में अपने लगभग एक-चौथाई सांसदों को भी हटाने पर विचार कर रही है। भाजपा के सूत्रों ने कहा है कि हटाए गए लोगों में कुछ केंद्रीय मंत्री भी शामिल हो सकते हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, इनमें से ज्यादातर बदलाव पश्चिम और पूर्वी यूपी में हो सकते हैं।
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क़मर वहीद नक़वी
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