दादर और दमन के स्थानीय चुनावों में भाजपा ने 75% सीटें बिना किसी विरोध के जीत लीं। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ ‘षड्यंत्र’ बताते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। क्या स्थानीय निकाय चुनाव में भी 'वोट चोरी'?
स्थानीय निकाय चुनाव में भी क्या बड़े पैमाने पर 'वोट चोरी' हो रही है? कांग्रेस ने केंद्र शासित प्रदेश दादर और नगर हवेली तथा दमन और दीव में स्थानीय निकाय चुनावों में ऐसा ही आरोप लगाया है। दरअसल, बीजेपी ने कुल 122 सीटों में से 91 सीटें यानी क़रीब 75% बिना किसी विरोध के जीत लीं। यानी इन सीटों पर बीजेपी के ख़िलाफ़ कोई उम्मीदवार नहीं था और कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि ऐसा इसलिए हुए क्योंकि कांग्रेस के उम्मीदवारों के नामांकन फॉर्म खारिज कर दिए गए। कांग्रेस ने बीजेपी पर चुनाव आयोग की मदद से ‘चुनाव हाईजैक’ करने का आरोप लगाया है और नामांकन फॉर्मों को रद्द किए जाने को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
बीजेपी के केंद्र शासित प्रदेश अध्यक्ष महेश अगरिया के अनुसार, पार्टी ने जिला पंचायतों, ग्राम पंचायतों और नगरपालिकाओं के चुनावों में यह बड़ी सफलता हासिल की है। वहीं, कांग्रेस ने दावा किया कि उनके लगभग 80% नामांकन फॉर्म रद्द कर दिए गए। कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि यह एक सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा है।
केंद्र शासित प्रदेश में कुल 48 जिला पंचायत सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी ने 35 सीटें बिना विरोध के जीत लीं। पांच साल पहले यह संख्या केवल नौ थी। इसी तरह, 44 ग्राम पंचायत सीटों में से 30 और 30 नगरपालिका सीटों में से 26 सीटें भाजपा ने बिना विरोध के हासिल कीं। द इंडियन एक्सप्रेस ने यह ख़बर दी है। इसके अनुसार 2020 के चुनावों की तुलना में यह बढ़ोतरी काफ़ी ज़्यादा है। उस वर्ष आधिकारिक दस्तावेज़ फ़ॉर्म 21बी के अनुसार, 150 ग्राम पंचायत सीटों में से 84 सीटें बिना विरोध जीती गई थीं, जिनमें 47 निर्दलीयों के खाते में गईं। बाक़ी फॉर्मों में राजनीतिक संबद्धता का उल्लेख नहीं था।
किस जिले में कितनी सीटें जीतीं
- दमन जिला: 16 जिला पंचायत सीटों में से 10, 15 नगरपालिका वार्डों में से 12 और 16 ग्राम पंचायतों में से 10 सीटें भाजपा ने बिना विरोध के जीतीं।
- दीव जिला: 8 जिला पंचायत सीटों में से 5 और जोलावाड़ी तथा बुचारवाड़ा ग्राम पंचायतों में सरपंच पद भाजपा के खाते में।
- दादर और नगर हवेली जिला: 26 जिला पंचायत सीटों में से 20, 15 नगरपालिका वार्डों में से 14 और 26 ग्राम पंचायतों में से 18 सीटें बिना विरोध भाजपा की झोली में।
चुनाव विभाग के अधिकारियों के अनुसार, विजय प्रमाणपत्र 24 और 25 अक्टूबर को भाजपा उम्मीदवारों को सौंपे गए।
भाजपा की तैयारी और रणनीति
अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी नेता महेश अगरिया ने कहा, 'हमने तीन महीने पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। हमारे पार्टी नेता और कार्यकर्ताओं ने 50 पंचायतों और 43 नगरपालिका सीटों पर जाकर प्रचार किया। चुनाव से पहले बीजेपी ने सर्वेक्षण कराया और चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों की सूची तैयार की। उनके काम, जनसंपर्क और अच्छी छवि के आधार पर टिकट वितरित किए गए।'
कांग्रेस के आरोप और कानूनी कार्रवाई
ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के केंद्र शासित प्रदेश प्रभारी मणिकराव ठाकरे ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि उनकी पार्टी के 80% उम्मीदवारों के नामांकन फॉर्म अस्वीकार करना एक ‘षड्यंत्र’ है। उन्होंने कहा, “चुनाव की घोषणा 10 अक्टूबर को हुई और नामांकन भरने के लिए सात दिन दिए गए। पहले दो दिन फॉर्म उपलब्ध नहीं कराए गए। आवश्यक दस्तावेजों की सूची नहीं दी गई, हालांकि हम बार-बार मांगते रहे। 14-15 अक्टूबर को जब उम्मीदवारों को दस्तावेजों की जानकारी मिली, तो अधिकारियों को चुनाव प्रशिक्षण के बहाने भेज दिया गया। हमने वकीलों की एक समिति गठित की, जिसने फॉर्म जांचे और कोई समस्या नहीं पाई।'
ठाकरे ने आरोप लगाया कि फॉर्म जांच का स्थान आखिरी समय में बदल दिया गया, जिससे अफरा-तफरी मची। उन्होंने कहा, 'कलेक्टर कार्यालय पहुंचने पर उन्हें बताया गया कि उनके फॉर्म अस्वीकार कर दिए गए। न केवल कांग्रेस, बल्कि गैर-भाजपा उम्मीदवारों और निर्दलीयों के साथ भी यही हुआ। भाजपा का एक भी फॉर्म अस्वीकार नहीं हुआ।'
कांग्रेस के अनुसार जिला पंचायत चुनावों के लिए दाखिल 21 नामांकनों में से केवल चार वैध माने गए, जबकि नगर परिषद चुनावों के 12 में से 11 अस्वीकार कर दिए गए।
स्थानीय कांग्रेस नेता प्रभु टोकिया ने 26 अक्टूबर को दिल्ली में ठाकरे के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'भाजपा ने चुनाव विभाग के अधिकारियों की मदद से चुनाव प्रक्रिया हाईजैक कर ली है। हमने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है और बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।' अगरिया ने जवाब दिया कि कांग्रेस को कोर्ट जाने का अधिकार है और फैसला अदालत पर निर्भर है।
सांसद के रिश्तेदारों के नामांकन भी रद्द
दमन और दीव के निर्दलीय सांसद उमेश पटेल की पत्नी और बेटी के नामांकन भी रद्द कर दिए गए। श्वेता पटेल (45) ने भीमपोर और मगरवाड़ा सीटों के लिए, जबकि दिव्यांशी (23) ने वरकुंड और दमनवाड़ा के लिए फॉर्म भरा था। रिपोर्ट के अनुसार पटेल ने कहा, 'मेरी पत्नी ने भीमपोर और बेटी ने वरकुंड से नामांकन वापस लेने की अर्जी दी, लेकिन अधिकारियों ने स्वीकार नहीं किया और दोनों फॉर्म अस्वीकार कर दिए।'
सांसद ने आरोप लगाया, 'बीजेपी ने लोकतंत्र की हत्या की है। चुनाव अधिकारियों की शक्ति का दुरुपयोग कर लोगों के वोट देने और उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने के अधिकार छीन लिए गए। हमने चुनाव आयोग में शिकायत की है। निर्दलीय उम्मीदवारों के फॉर्म छोटी गलतियों पर अस्वीकार किए गए।'
कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रिका राजेश वाघ का दादर और नगर हवेली के वार्ड 9 के लिए फॉर्म अस्वीकार हो गया। उन्होंने कहा, 'दस्तावेज में समस्या बताकर फॉर्म अस्वीकार किया गया। मैं मूल दस्तावेज लेकर अधिकारी के पास गया, लेकिन उन्होंने देखने की कोशिश नहीं की। केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव प्रक्रिया अलोकतांत्रिक है। मेरी मित्र पूर्णिमा वाघली नामांकन के आखिरी दिन पांच मिनट देर से पहुंचीं, लेकिन फॉर्म स्वीकार नहीं किया गया।'
चुनाव विभाग का पक्ष
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार पंचायत और नगरपालिका चुनावों के निदेशक निखिल देसाई ने कहा, 'नामांकन फॉर्म चुनाव शाखा अधिकारी के समक्ष दाखिल करने के नियम हैं। यदि ये पूरे नहीं होते, तो निर्वाचन अधिकारी फॉर्म जांचते समय उम्मीदवारी अस्वीकार कर सकता है। उम्मीदवार किसी भी समय कानूनी उपाय अपना सकते हैं।'