देश का विपक्ष और गांधीवादी संगठन एकतरफ और मोदी सरकार दूसरी तरफ। सरकार ने लोकसभा में गुरुवार को मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने वाला बिल पास करा लिया है। अब राज्यसभा में पास होने की औपचारिकता बची है।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार को लोकसभा में
इतिहास में 18 दिसंबर का दिन दर्ज हो गया है। इस दिन मोदी सरकार ने मनरेगा स्कीम से महात्मा गांधी का नाम हटा दिया। लोकसभा में सांसदों को मंत्री शिवराज सिंह चौहान के जवाब के बाद, मनरेगा (MGNREGA) की जगह विकसित भारत - रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 (वीबी-जी राम-जी विधेयक) गुरुवार दोपहर को पास कर दिया गया। अब इस पर राज्यसभा में गुरुवार को बहस हो रही है और वहां भी इसे पास होने की औपचारिकता बची है। लोकसभा को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
विपक्ष ने बिल फाड़ा, स्पीकर की तरफ उछाला
वीबी जी राम जी बिल पास किए जाने के दौरान विपक्षी सांसदों ने सदन के वेल में घुसकर सरकार के खिलाफ नारे लगाए। उन्होंने विधेयक की प्रतियां फाड़ीं और उन्हें स्पीकर की कुर्सी की ओर फेंका। इससे पहले संसद परिसर के अंदर विधेयक को वापस लेने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया गया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस विधेयक को गांधी जी का अपमान और ग्रामीण भारत में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन लाने वाले काम के अधिकार पर प्रहार बताया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी मकर द्वार पर हुए प्रदर्शन में सांसदों के साथ शामिल हुईं।
इस विवादित विधेयक पर संसद में बुधवार देर रात तक बहस हुई थी और चर्चा को गुरुवार के लिए बढ़ा दिया गया था। संसद शुरू होने पर गुरुवार को कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने स्पीकर से रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक (वीबी-जी राम जी) को स्थायी समिति या संयुक्त संसदीय समिति को भेजने का अनुरोध किया। स्पीकर ने यह कहते हुए अनुरोध अस्वीकार कर दिया कि विधेयक पर पहले ही आठ घंटे से अधिक की बहस हो चुकी है। इसी बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चर्चा जारी रखने की कोशिश की, जबकि विपक्षी सांसदों ने विरोध में नारे लगाने शुरू कर दिए।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि महात्मा गांधी का नाम एनआरईजीए में "2009 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए" जोड़ा गया था। यानी महात्मा गांधी का नाम हटाने का यह सतही आधार सरकार ने गुरुवार को बताया है।
चौहान ने लोकसभा में कहा कि "शुरुआत में यह एनआरईजीए (नरेगा) था और विधेयक में महात्मा गांधी का नाम शामिल नहीं था। बाद में, जब 2009 के आम चुनाव आए, तो कांग्रेस ने वोट पाने के लिए बापू गांधी का नाम याद किया। मैं कहना चाहूंगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमजीएनईजीए को सही ढंग से और मजबूती से लागू किया।"
चौहान ने कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी की इस आलोचना का भी खंडन किया कि मोदी सरकार मनमाने ढंग से योजनाओं के नाम बदल रही है। केंद्रीय मंत्री ने जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के नाम पर रखे गए कई कल्याणकारी कार्यक्रमों का उदाहरण दिया।
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने मनरेगा से नाम गांधी जी के नाम हटाने के विरोध को "लोकतांत्रिक संघर्ष" बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य महात्मा गांधी की विरासत की रक्षा करना है। उन्होंने आरोप लगाया कि "गोडसे विचारधारा" से प्रेरित लोग गांधी जी का नाम मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले भी इस तरह के प्रयास शारीरिक रूप से किए गए थे और अब अन्य तरीकों से किए जा रहे हैं। टैगोर ने कहा कि कांग्रेस इसे होने नहीं देगी। उन्होंने पार्टी की इस मांग को दोहराया कि इस मामले को स्थायी समिति को भेजा जाए और संसद में वापस लाने से पहले इस पर विस्तार से चर्चा की जाए।
सांसदों को खुला पत्र
गांधी जी के आदर्श वाक्य का हवाला देते हुए, आरजेडी सांसद मनोज झा ने गुरुवार को साथी सांसदों को एक खुला पत्र लिखकर एमजीएनआरईजीए की रक्षा करने और वीबी-जी राम जी विधेयक का विरोध करने की अपील की। उन्होंने इस योजना को भारत के सबसे गरीब लोगों के प्रति एक नैतिक प्रतिबद्धता बताया, जो गरिमा, आजीविका और सामाजिक न्याय का प्रतीक है।
मनरेगा की जगह लाया गया विकसित भारत जी राम जी विधेयक ग्रामीण क्षेत्रों के उन परिवारों को प्रति वर्ष 125 दिनों के वेतन के बराबर रोजगार की वैधानिक गारंटी प्रदान करता है। जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम के लिए स्वेच्छा से काम करते हैं। राज्यों को अधिनियम के लागू होने के छह महीने के भीतर अपनी योजनाओं को नए कानून के प्रावधानों के अनुरूप बनाना होगा।