यह बेहद गंभीर है। हमें खेद है कि हमें एक संवैधानिक कोर्ट (इलाहाबाद हाईकोर्ट) के खिलाफ कठोर शब्दों का प्रयोग करना पड़ रहा है, लेकिन यह ऐसा मामला है जहां संवेदनशीलता की पूरी कमी दिखती है।
मुआवजे का आदेश और दिशानिर्देशः सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में पीडीए को सख्त निर्देश दिए कि वह छह सप्ताह के भीतर हर प्रभावित मकान मालिक को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दे। इसके साथ ही, कोर्ट ने नवंबर 2024 में जारी अपने व्यापक दिशानिर्देशों का हवाला दिया, जिसमें उसने मनमाने और भेदभावपूर्ण विध्वंस को रोकने के लिए नियम निर्धारित किए थे।
"बुलडोजर जस्टिस" पर बढ़ता विवादः उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में "बुलडोजर जस्टिस" का चलन बढ़ा है, जहां अपराधियों या संदिग्धों की संपत्तियों को बिना लंबी कानूनी प्रक्रिया के ध्वस्त कर दिया जाता है। बीजेपी शासित राज्य में इसे अपराध पर सख्ती का प्रतीक बताया जाता है, लेकिन आलोचक इसे "कानून का उल्लंघन" और "प्रतिशोध की राजनीति" करार देते हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस विवादित प्रक्रिया पर एक बड़ा सवालिया निशान लगाता है।