सीमा पर जवानों के साथ दिवाली मनाने वाले प्रधानमंत्री मोदी की सरकार में उन्हीं जवानों को भोजन और कपड़ा नहीं मिलने की क्या कल्पना भी की जा सकती है? सेना के बलिदान और 'राष्ट्रवाद' जैसे मुद्दों के दम पर सत्ता में आई पार्टी से क्या ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि देश की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी संभाल रही सेना के साथ ऐसा व्यवहार हो? वह भी उन जवानों के साथ जो सियाचिन और लद्दाख जैसी दुर्गम जगह पर तैनात हों। ऐसी जगह जहाँ ज़िंदगी बचा पाना ही अपने आप में एक बड़ी चुनौती हो। ऐसा क्यों हो रहा है? सरकार की ही एजेंसी कंप्रट्रोलर ऑडिटर जनरल यानी सीएजी ने इस पर रिपोर्ट दी है।
सियाचिन-लद्दाख के जवानों के लिए भोजन-कपड़े के पैसे भी नहीं मोदी सरकार के पास?
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- 4 Feb, 2020
सीमा पर जवानों के साथ दिवाली मनाने वाले प्रधानमंत्री मोदी की सरकार में उन्हीं जवानों को भोजन और कपड़ा नहीं मिलने की क्या कल्पना भी की जा सकती है?

फ़ाइल फ़ोटो
सीएजी ने सियाचिन और लद्दाख में तैनात सैनिकों को दी जा रही सुविधाओं में गड़बड़ी को उघाड़ कर रख दिया है। सीएजी ने इस रिपोर्ट को संसद की पटल पर रखा है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उन जवानों को उतनी ऊँचाई पर रहने के लिए ज़रूरी पहनने वाले कपड़े (हाई एल्टिट्यूड क्लोथ्स), स्नो गोगल्स और बूट्स की भारी कमी है। इस कारण उन्हें पुरानी और दुबारा तैयार की गई ऐसी चीजों को इस्तेमाल करना पड़ रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उस तरह की दुर्गम जगह पर रहने के लिए ज़रूरी विशेष राशन भी अपर्याप्त है। यह इतना कम है कि जवानों को शरीर के लिए ज़रूरी कैलोरी 82 फ़ीसदी तक कम मिल पा रही है। सीएजी की यह रिपोर्ट 2015-16 से 2017-18 पर आधारित है।