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हादसे का शिकार उद्योगपति साइरस मिस्त्री की कार। फाइल फोटो

बढ़ते हादसे, फिर कार में एयरबैग पर जोर क्यों नहीं?

सड़क हादसों में किसी बड़ी शख्सियत की मौत पर ही हम लोगों का ध्यान गाड़ियों की सुरक्षा, एयर बैग, सीट बेल्ट पर जाता है। लेकिन भारत में सड़क हादसे पूरी दुनिया के मुकाबले सबसे ज्यादा होते हैं और वाहनों को लेकर नियम सख्त नहीं हैं। आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि भारत में 90 फीसदी गाड़ियों में 6 एयरबैग नहीं होते हैं। हालांकि ऑटो कार इंडिया के मुताबित जनवरी 2022 में रोड और ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि भारत में 1 अक्टूबर से सभी वाहनों में 6 एयरबैग अनिवार्य होंगे।
भारत में गाड़ियों की निर्माता कंपनियां वाकई जान से खिलवाड़ कर रही है। उन्हें भारत में सड़कों की हालत का अच्छी तरह अंदाजा है, इसके बावजूद वाहनों में सेफ्टी फीचर बढ़ाने पर उनका ध्यान नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार ने मंगलवार 6 सितंबर को इस बारे में एक चौंकाने वाली रिपोर्ट छापी है।

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कारों में एयरबैग एक खास सेफ्टी उपाय है जो हादसा होने की हालत में खुल जाता है और यात्रियों की सुरक्षा करता है। लेकिन विडंबना ये है कि भारत की सड़कों पर दौड़ रहे वाहनों में से 90 फीसदी वाहनों में 6 एयरबैग नहीं होते। यह खासियत सिर्फ महंगी कारों यानी उनके कुछ महंगे मॉडलों में ही होती है। ऑटो कार इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ किया मोटर्स के सभी वेरिएंट में 6 एयरबैग आ रहे हैं, जबकि भारत में मार्केट लीडर मारुति, हुंडई, होंडा आदि के महंगे वेरिएंट में ही 6 एयरबैग है।
सस्ती कार यानी जान जोखिम मेंः टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि ज्यादातर कार खरीदने वाले सस्ते के चक्कर में उसी वेरिएंट को चुनते हैं जो जेब का बोझ घटा दे। हालांकि भारत में कम से कम दो एयरबैग का होना हर गाड़ी में अनिवार्य है। अभी यही नियम लागू है। लेकिन पैसेंजर की जिन्दगी के लिए सस्ते वेरिएंट में दो से ज्यादा एयरबैग देने को कार कंपनियां तैयार नहीं हैं। सरकार ने आदेश दिया था कि जनवरी से हर कार में कम से कम दो एयरबैग जरूर हो। दो से अधिक एयरबैग वाली कारों की हिस्सेदारी बहुत कम है।

हर चार मिनट पर हादसा

भारत में कोविड महामारी से पहले, भारत में हर चार मिनट में एक घातक सड़क हादसा हो रहा है, जबकि ग्लोबल लेवल पर हादसों से होने वाली मौत सिर्फ 11 फीसदी है।सरकार का मानना ​​है कि वाहनों में अगर ज्यादा एयरबैग होंगे तो सड़कों पर जान गंवाने वालों की संख्या को कम करने में मदद मिलेगी। हालांकि भारत में ग्लोबल वाहन आबादी का सिर्फ 1 फीसदी है। यानी भारत में बाकी दुनिया के मुकाबले वाहन अभी भी कम हैं लेकिन हादसे यहां ज्यादा हो रहे हैं।

वाहन कंपनियों के तर्क

टाइम्स ऑफ इंडिया ने ऑटो इंडस्ट्री के लोगों से बात की है। उनके एक वर्ग का मानना ​​​​है जब तक सरकार के ट्रैफिक नियम सख्त नहीं होंगे, तब तक हादसों कम होना मुश्किल होगा। कार कंपनियों के लोग यह कहना चाहते हैं कि सीट बेल्ट, नशे पर कंट्रोल करने, तेज स्पीड के नियमों को अगर सही ढंग से लागू कर दिया जाए तो हादसे अपने आप कम हो जाएंगे। इसी तरह गलत लेन ड्राइविंग पर चालान काटे जाएं।

कार कंपनियां यह कहने या नैतिक जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है कि वे गाड़ियों में सेफ्टी उपाय और मजबूत करेंगे। वे हादसों को सिर्फ लापरवाही से की गई ड्राइविंग का नतीजा मानते हैं, अपने सेफ्टी उपाय पर मौन हैं।


सरकार क्या कर रही है

सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में कहा था कि अगर वाहनों में छह एयरबैग होते तो 2020 में 13,000 से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकती थी। गडकरी ने पहल करके 1 अक्टूबर से सभी वाहनों में 6 एयर बैग को अनिवार्य कराने का प्रस्ताव तैयार है। इस बात को 8 महीने तैयार हैं। ड्राफ्ट का नोटिफिकेशन तैयार है। लेकिन उसे जारी नहीं किया जा रहा है। अगर सरकार कार निर्माता कंपनियों के दबाव में आए बिना उसे जारी कर दे तो कुछ राहत मिलेगी। लेकिन 1 अक्टूबर से सभी नए वाहनों में 6 एयरबैग का नियम शायद ही लागू हो पाए। क्योंकि इससे रेट बढ़ेंगे और कार कंपनियों को डर है कि बिक्री प्रभावित हो जाएगी।
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6 एयरबैग वाले वाहन

फिलहाल सिर्फ किया मोटर्स के सभी वेरिएंट में 6 एयरबैग होने का दावा है। मारुति, हुंडई और टाटा मोटर्स के कुछ ही ऊपरी मॉडलों में छह एयरबैग हैं। मर्सिडीज-बेंज, ऑडी और वोल्वो जैसी कार कंपनियां भी छह एयरबैग दे रही हैं। खास बात ये है कि इन तीनों कंपनियों का मॉडल जैसे-जैसे बढ़ता जाएगा, उसमें एयरबैग भी बढ़ते जाएंगे। उदाहरण के लिए मर्सिडीज एस-क्लास सेडान में नौ एयरबैग देती है, जबकि मेबैक में 13 एयरबैग हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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