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सीबीडीटी चेयरमैन प्रमोद चंद्र मोदी।

विपक्षी नेता के ख़िलाफ़ ‘कार्रवाई’ से सीबीडीटी चेयरमैन ने बचाई कुर्सी!

केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन प्रमोद चंद्र मोदी पर बेहद गंभीर आरोप लगे हैं। मोदी पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने एक ‘संवेदनशील मामले’ को दबाने या ख़त्म करने के लिए ‘हैरान करने वाला निर्देश’ दिया था। साथ ही उन्होंने एक विपक्षी नेता के ख़िलाफ़ ‘पूरी तरह सफल सर्च ऑपरेशन’ चलाया था और इसी वजह से वह अपनी कुर्सी को सही-सलामत रख सके। 

सीबीडीटी के चेयरमैन पर यह आरोप उन्हीं के विभाग की एक शीर्ष महिला अफ़सर अल्का त्यागी ने लगाये हैं। त्यागी देश के प्रमुख कर प्रशासकों में से एक हैं और उनके द्वारा यह आरोप लगाये जाने के बाद देश की सियासत में हंगामा मच सकता है। सीबीडीटी इनकम टैक्स के मामलों में निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था है। हाल ही में केंद्र सरकार ने प्रमोद चन्द्र मोदी का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया था। 

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अलका त्यागी ने इस बारे में बीती 21 जून को अपनी शिकायत केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजी थी। अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, त्यागी की ओर से वित्त मंत्री को 9 पन्नों की शिकायत भेजी गई है और इसमें आरोप लगाया गया है कि मोदी की ओर से उन पर बहुत ज़्यादा ‘दबाव’ बनाया गया। अख़बार के मुताबिक़, महिला अफ़सर ने इसी तरह की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्रीय सतर्कता आयोग और कैबिनेट सेक्रेटरी को भी भेजी है। त्यागी 1984 बैच की भारतीय राजस्व सेवा की अधिकारी हैं। 

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने इस महीने की शुरुआत में ख़बर दी थी कि अलका त्यागी ने उनके दफ़्तर में संदिग्ध कार्रवाई के बारे में प्रिंसिपल चीफ़ कमिश्नर एस. के. गुप्ता को लिखित शिकायत भेजी थी। त्यागी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि एक पुराने मामले को लेकर उन पर दबाव बनाया जा रहा है और इस मामले को ख़ुद सीबीडीटी चेयरमैन मोदी ने ही निरस्त कर दिया था और उन्हें क्लीन चिट दे दी थी। 

अलका त्यागी ने आरोप लगाया है कि बाद में मोदी ने इस मामले को फिर से खोल दिया और अब ब्लैकमेलिंग के हथियार के तौर पर उनके ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया जा रहा है। 

त्यागी इनकम टैक्स विभाग के प्रिंसिपल चीफ़ कमिश्नर के पद पर नियुक्त किये जाने के इंतजार में थीं लेकिन गुरुवार को उन्हें नागपुर स्थित राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी का प्रिंसिपल डायरेक्टर जनरल (ट्रेनिंग) बना दिया गया। त्यागी ने अपनी शिकायत में कई तरह की अनियमितताओं का भी ज़िक्र किया है। 

त्यागी ने अपनी शिकायत में कहा है कि सीबीडीटी चेयरमैन मोदी ने किस तरह एक संवेदनशील मामले में उनसे बार-बार कार्रवाई को रोकने के लिए कहा जबकि इस मामले में बेहद गंभीर आरोप थे।

अपनी शिकायत में त्यागी ने आरोप लगाया है कि मोदी ने इस बात को स्वीकार किया कि विपक्ष के नेता के ख़िलाफ़ ‘सफल सर्च ऑपरेशन’ की वजह से उन्होंने सीबीडीटी चेयरमैन की अपनी कुर्सी पक्की कर ली और अब वह कुछ अफ़सरों के ख़िलाफ़ कोई भी कार्रवाई कर सकते हैं। 

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त्यागी ने आरोप लगाया है कि 2019 के अप्रैल के अंतिम और मई के शुरुआती हफ़्ते में मोदी ने उन्हें बताया कि संवेदनशील आकलन के मामलों में की जा रही कार्रवाई को बंद किया जाना है और यह काम हर हार में मई 2019 से पहले होना है। शिकायत में उन्होंने लिखा है, मोदी का यह निर्देश बेहद चौंकाने वाला था। मोदी ने निर्देश दिये थे कि जिस मामले को बंद करने को कहा है उनमें क़तई इस बात का ज़िक्र नहीं होना चाहिए कि वह (मोदी) कहीं से भी इसमें शामिल हैं। त्यागी ने कहा है कि सीबीडीटी चेयरमैन ने उन पर इस मामले को बंद करने के लिए बहुत ज़्यादा दबाव बनाया और कहा कि किसी भी क़ीमत पर इस मामले को बंद किया जाए।

त्यागी के ऑफ़िस की ओर से आईसीआईसीआई बैंक के दीपक कोचर मामले का, काले धन के अधिनियम के तहत उद्योगपति मुकेश अंबानी के परिवार के सदस्यों को नोटिस भेजे जाने की जांच की जा रही थी। इसके अलावा जेट एयरवेज मामले सहित कई और मामलों की भी जांच त्यागी का ऑफ़िस कर रहा था। 

त्यागी ने अपने पत्र में लिखा है कि उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था कि उन्हें इन बातों का ख़ुलासा करना पड़ेगा लेकिन उन्हें सीबीडीटी चेयरमैन के जोड़ तोड़ और बेईमानी भरे व्यहार की वजह से ऐसा करना पड़ा। उन्होंने प्रमोद चंद्र मोदी पर यह भी आरोप लगाया है कि जो अफ़सर उनकी बात को नहीं मानते थे वह उनके ख़िलाफ़ झूठी शिकायतें बना देते थे। 

त्यागी ने कहा है कि एक बार मोदी ने उन्हें रात को 8.45/9 के बीच नॉर्थ ब्लॉक में अपने दफ़्तर में मीटिंग के लिए बुलाया लेकिन उन्होंने इतनी रात को जाने से मना कर दिया। उन्होंने पत्र में लिखा है कि यह मीटिंग किसी और वक्त भी हो सकती थी। 

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क़मर वहीद नक़वी
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