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इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी समय पर सार्वजनिक करेंगे: मुख्य चुनाव आयुक्त

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा है कि चुनाव आयोग समय पर सभी राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए चुनावी बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक कर देगा। वह बुधवार को जम्मू में संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्रीय चुनाव आयोग सारी जानकारी जुटाकर अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर पूरी जारकारी 15 मार्च, 2024 शाम ​​5 बजे तक प्रकाशित करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने आदेश में कहा था कि जारीकर्ता बैंक चुनावी बॉन्ड जारी करना बंद कर दे। भारतीय स्टेट बैंक 12 अप्रैल, 2019 के न्यायालय के अंतरिम आदेश के बाद से आज तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को दे। इसमें प्रत्येक चुनावी बॉन्ड की खरीद की तारीख, बॉन्ड के खरीदार का नाम और खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का मूल्य शामिल हो। एसबीआई को यह जानकारी पहले 6 मार्च तक चुनाव आयोग को सौंपनी थी और ईसीआई 13 मार्च तक वेबसाइट पर प्रकाशित करता। लेकिन तारीख आगे बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाने की वजह से 12 मार्च तक एसबीआई जानकारी दे पाया। अब चुनाव आयोग को 15 मार्च का समय दिया गया है।

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मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि एसबीआई ने इसे हमें कल समय पर दे दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली वापस जाने के बाद मैं आंकड़ों को देखूंगा और निश्चित रूप से समय पर इसका खुलासा करूंगा।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सीईसी ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट में हमारा रुख रहा है कि चुनाव आयोग पारदर्शिता के पक्ष में है। हम आयोग में जो कुछ भी करते हैं और हमारे जिला मजिस्ट्रेट चुनाव के दौरान जो कुछ भी करते हैं वह दो चीजों पर आधारित होता है- पारदर्शिता, पारदर्शिता और पारदर्शिता।' उन्होंने कहा कि मतदाता को यह जानने का पूरा अधिकार है कि हम क्या कर रहे हैं।

बता दें कि चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के दो दिन बाद एसबीआई ने बुधवार को हलफनामा देकर बताया है कि उसने चुनावी बॉन्ड का डेटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है। उसने कहा है कि उसने चुनाव आयोग को एक पेन ड्राइव में डेटा दिया है। इसमें कहा गया है कि डेटा दो पीडीएफ फाइलों पर है जो पासवर्ड से सुरक्षित हैं।
बैंक के हलफनामे के अनुसार चुनावी बॉन्ड के खरीदारों के नाम, बॉन्ड की खरीद, मूल्यवर्ग और बॉन्ड को भुनाने वाले राजनीतिक दलों के नाम दिए गए हैं। इसके साथ ही तारीख और मूल्य की भी जानकारी दी गई है।
हालाँकि, हलफनामे में यह नहीं बताया गया है कि प्रत्येक चुनावी बॉन्ड पर यूनिक कोड दिया गया है या नहीं। इस यूनिक कोड का उपयोग प्रत्येक चंदा पाने वाली पार्टी से मिलान करने के लिए किया जा सकता है।
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एसबीआई ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा योजना को रद्द करने से पहले अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 के बीच कुल 22,217 चुनावी बॉन्ड जारी किए गए थे। इसमें से राजनीतिक दलों ने 22,030 बॉन्ड भुनाये। बैंक ने कहा है कि शेष 187 को भुना लिया गया और नियमों के मुताबिक पैसा प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय राहत कोष में जमा कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद भारतीय स्टेट बैंक ने मंगलवार को चुनावी बॉन्ड से संबंधित आँकड़े चुनाव आयोग को सौंप दिए। यह राजनीतिक दलों द्वारा गुमनाम रूप से खरीदे गए और भुनाए गए चुनावी बॉन्ड के विवरण से जुड़ा मामला है। दो दिन पहले सोमवार को ही एसबीआई ने ऐसा करने के लिए समय तीन माह बढ़ाने के लिए याचिका लगाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका ख़ारिज कर दी। अदालत ने एसबीआई को 24 घंटे के अंदर आँकड़े मुहैया कराने को कहा था।

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बहरहाल, मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि मंगलवार को उनके साथ एक बैठक में राजनीतिक दलों ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने में देरी के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें सितंबर की समय सीमा प्राप्त करने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि विधानसभा चुनाव जल्द से जल्द होंगे। उन्होंने कहा, 'संसदीय चुनावों के साथ-साथ या एक के बाद एक चुनाव कराने पर अंतिम निर्णय राजनीतिक दलों, जिला मजिस्ट्रेटों, सरकार और अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों की प्रतिक्रिया लेने के बाद सुरक्षा समीक्षा के बाद लिया जाएगा।'

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क़मर वहीद नक़वी
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