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सरकार ने वक़्फ़ क़ानून को किया कमज़ोर, क़ब्ज़ेदारों को दी मोहलत

मोदी सरकार ने वक़्फ़ की संपत्ति पर बरसों से क़ब्ज़ा जमाए बैठे लोगों को 10 साल और क़ाबिज़ रहने की मोहलत दे दी है। वक़्फ़ की संपत्तियों को क़ब्ज़ेदारों से आज़ाद कराने के लिए यूपीए सरकार ने एक बेहद मज़बूत क़ानून (वक़्फ़ क़ानून 2014) बनाया था। मोदी सरकार ने इस क़ानून के सख़्त प्रावधानों को कमजोर करके इसे बिना नाखून और बिना दाँतों वाला शेर बना दिया है। क़ानून में बदलाव एक कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर किए गए हैं।

क्या असर होगा इन बदलावों से

वक़्फ़ क़ानून 2014 में होने वाले बदलावों के साथ ही वक़्फ़ की बड़ी-बड़ी और बेहद महंगी संपत्तियों पर बरसोंं से क़ब्ज़ा जमाए लोगों के हौसले बुलंद होंगे। इससे बेसहारा बुज़ुर्ग, विधवा औरतों, यतीम बच्चों और समाज के दबे-कुचले तबक़ों के लोगों को राहत देने के लिए वक़्फ़ की गई संपत्तियों की लूट बदस्तूर जारी रहेगी। 

संपत्तियों पर है दबंगों का क़ब्ज़ा

ग़ौरतलब है कि वक़्फ़ की संपत्तियों से होने वाली आमदनी से मुसलिम समाज के बेहद ग़रीब तबक़े को सामाजिक सुरक्षा देने, उन्हें शिक्षा देने के लिए स्कूल बनाने, सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अस्पताल और जनहित के अन्य काम करने का प्रावधान है। लेकिन सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक़ देशभर में वक़्फ़ की संपत्तियों पर बरसों से दबंग लोग क़ब्ज़ा जमाए हुए हैं। 

तमाम कोशिशों के बावजूद वह इन संपत्तियों को आज़ाद करने को तैयार नहीं हैं। यूपीए सरकार ने इस मामले में सख़्त क़दम उठाते हुए क़ानून में संशोधन करके इसे काफ़ी मज़बूत बनाया था। लंबे समय से क़ब्ज़ा जमाए लोगों से संपत्ति खाली कराने की कोशिश भी की थी। यह अलग बात है कि ज़्यादातर क़ब्ज़ेदार अदालत चले गए थे। यूपीए सरकार को इस मामले में ज्यादा कामयाबी नहीं मिली थी।

मोदी सरकार के तर्क

इस संबंध में बनी कमेटी की रिपोर्ट को जारी करते हुए मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने बताया कि यूपीए सरकार में बना क़ानून व्यावहारिक नहीं था। इसे अमलीजामा पहनाने में काफ़ी दिक्कतें आ रही थींं। लिहाज़ा इसमें संशोधन के लिए एक कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने अलग-अलग राज्यों में जाकर वक़्फ़ की संपत्तियों से जुड़े विवादों का जायजा लिया। इसके अलावा यूपीए सरकार में बने क़ानून की व्यावहारिकता पर भी कमेटी ने ग़ौर किया। 

वक़्फ़ की संपत्तियों पर क़ब्ज़े को लेकर गहन अध्ययन और लंबे विचार-विमर्श के बाद कमेटी ने इस पर अपनी रिपोर्ट सरकार को दी है। इसी कमेटी की सिफ़ारिशों के अनुसार इस क़ानून में संशोधन किए जाएँगे।

यूपीए सरकार के दौरान बने क़ानून के आधार पर बरसों से वक़्फ़ की संपत्तियों पर क़ब्ज़ा जमाए बैठे लोगों को जब संपत्ति खाली करने के लिए कहा गया तो ज़्यादातर लोगों ने अदालत की शरण लेकर मामले को पेचीदा बना दिया।

नक़वी के मुताबिक़, लोगों के अदालत जाने से वक़्फ़ बोर्ड को कोई फ़ायदा नहीं हुआ। उल्टे संपत्तियों को लेकर अदालत में जाने से मामला और उलझ गया। इसलिए सरकार ने वक़्फ़ संपत्तियों के पुराने किरदारों को 10 साल की और मोहलत दे कर उसके बाद उनसे संपत्ति को आज़ाद कराना सुनिश्चित करने की कोशिश की है।

क़ब्ज़ेदारोंं को दी सशर्त मोहलत

मोदी सरकार ने इस कमेटी की सिफ़ारिशों के आधार पर वक़्फ़ की उन संपत्तियों पर क़ाबिज़ लोगों और संस्थाओं को 10 साल की सशर्त मोहलत देने का फ़ैसला किया है जिनका 3 जून 2014 तक मासिक किराया 3000 रुपये तक था। ग़ौरतलब है कि देशभर में 57,4,491 वक़्फ़ की संपत्तियाँ हैं और इनमें से ज़्यादातर पर अवैध क़ब्ज़ा है। मोदी सरकार के इस फ़ैसले से वक़्फ़ पर क़ाबिज़ क़रीब 70 फ़ीसदी परिवारों को राहत मिलेगी। 

मोदी सरकार ने 1995 या उससे पहले से वक़्फ़ की संपत्तियों पर क़ाबिज़ क़ब्ज़ेदारों को साफ़ कह दिया है कि 10 साल के बाद उन्हें आगे कोई मोहलत नहीं मिलेगी। इन संपत्तियों पर 10 साल और क़ाबिज़ रहने के लिए उन्हें वक़्फ़ बोर्ड के साथ एक क़रारनामा करके 4 शर्तें पूरी करने का वादा करना होगा।

क्या हैं ये शर्तें

  • किरायेदार 10 साल बाद लीज़ की अवधि खत्म होने पर वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति को शांतिपूर्वक तरीक़े से वक़्फ़ बोर्ड के हवाले कर देगा। 
  • किरायेदार या उनके उत्तराधिकारी इस अवधि के बाद संपत्ति को खाली करने के लिए और मोहलत नहीं माँगेंगे या किसी और तरह के फ़ायदे की माँग नहीं करेंगे। 
  • किरायेदारों को वक़्फ़ क़ानून 2014 के नियम 7 के तहत सभी बक़ाया राशि संबंधित वक़्फ़ बोर्ड को चुकानी होगी
  • किरायेदारों को अदालत, अथॉरिटी या ट्रिब्यूनल में किए गए सभी मुक़दमे वापस लेने होंगे।

किराये में में भी दी राहत

कमेटी की सिफ़ारिशों के आधार पर मोदी सरकार ने वक़्फ़ की संपत्तियों के किराये में भी बड़ी राहत दी है। वक़्फ़ क़ानून 2014 में जहाँ वक़्फ़ संपत्तियों का किराया उन की बाज़ार क़ीमत के हिसाब से ढाई फ़ीसदी तक किया गया था। वहीं, मोदी सरकार ने इसमें एक फ़ीसदी तक की राहत दे दी है। कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक वक़्फ़ की संपत्तियों पर चल रहे अस्पताल, शिक्षण संस्थाओं और सामाजिक संगठनों को किराये में छूट देते हुए उनका किराया 2% से घटाकर 1% कर दिया गया है।

वक़्फ़ की संपत्तियों का व्यावसायिक इस्तेमाल करने वालों का किराया 2.5 % से घटाकर 2% कर दिया गया है। खेती के लिए वक़्फ़ की ज़मीन के इस्तेमाल के मामले में किराया 1% रखा गया है।

एडवांस जमानत राशि जमा करने में छूट

यूपीए सरकार के दौरान बने वक़्फ़ क़ानून के तहत जहाँ वक़्फ़ की संपत्तियाँ किराये पर लेने के लिए एडवांस ज़मानत राशि जमा करने के लिए सख़्त क़ानून बनाए गए थे, वहीं मोदी सरकार ने इस मामले में भी किरायेदारों को काफ़ी राहत दी है। वक़्फ़ की ज़मीन एक साल की लीज़ पर लेने के लिए पहले 3 महीने का किराया बतौर जमानत राशि एडवांस देने का प्रावधान किया गया था, मोदी सरकार ने इसे घटाकर एक महीना कर दिया है। 

5 साल की लीज़ के लिए पहले 11 महीने का किराया बतौर ज़मानत राशि देने का प्रावधान था, मोदी सरकार ने इसे घटाकर 3 महीने कर दिया है। इसी तरह 10 साल की लीज़ पर 18 महीने के किराये से घटाकर इसे 6 महीने का कर दिया गया है। 30 साल की लीज़ के लिए 2 साल का किराया एडवांस में जमा कराने की जगह अब सिर्फ़ एक साल का किराया ही देना होगा।

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यूसुफ़ अंसारी
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