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केरल के सीएम पी. विजयन

केंद्र का सौतेलापनः केरल के सीएम विजयन के साथ विपक्ष का प्रदर्शन

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के नेतृत्व में, वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के मंत्रियों और विधायकों ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ गुरुवार को जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया। आरोप है कि केंद्र की मोदी सरकार केरल का "वित्तीय गला घोंट" रही है। इसी तरह का विरोध ऐसे ही मुद्दों पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, मंत्रियों और कांग्रेस विधायकों के नेतृत्व में बुधवार को दिल्ली में हुआ था। जंतर-मंतर पर सभा को संबोधित करते हुए विजयन ने कहा, "हम टैक्स ट्रांसफर को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए यहां आए हैं।" मुख्यमंत्री ने सभी विपक्षी दल के नेताओं को उनके "समर्थन" के लिए धन्यवाद दिया, और दोहराया कि केंद्र सरकार ने "राज्यों की राय पूछे बिना" निर्णय लिए हैं। विजयन ने कहा, "हम अपना कड़ा विरोध दर्ज कराने और भारत के संघीय ढांचे को संरक्षित करने के लिए एक साथ आए हैं। आज (8 फरवरी) हम एक एकजुट लड़ाई की शुरुआत कर रहे हैं जो राज्यों के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करने की शुरुआत करेगी। यह लड़ाई भी प्रयास करेगी। केंद्र-राज्य संबंधों में संतुलन बनाए रखने के लिए 8 फरवरी भारत के इतिहास में लाल अक्षर वाला दिन होने जा रहा है।"

कई विपक्षी नेता विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। जिनमें डीएमके नेता और पूर्व वित्त मंत्री पलानीवेल त्यागराजन, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेता अब्दुल वहाब, आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
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केरल यह सुनिश्चित करने के लिए बेहतर राजकोषीय संघवाद की वकालत कर रहा है कि राज्य सरकारों को राजस्व का उनका उचित हिस्सा दिया जाए। इसने केंद्र सरकार के राजकोषीय संघवाद के "उल्लंघन" के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है। राज्य सरकार ने दावा किया है कि केंद्र ने चालू वित्त वर्ष में राज्य की प्राप्तियों में 57,400 करोड़ रुपये की कटौती की है, और राज्य को केंद्र द्वारा एकत्र किए गए टैक्स से अपना उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है। साथ ही, राज्य ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएशटी) मुआवजे की समाप्ति के कारण उसे अतिरिक्त 12,000 करोड़ रुपये से वंचित होना पड़ रहा है, जिससे राजस्व का एक बड़ा स्रोत समाप्त हो गया है।

कई राज्य सरकारों, जिनमें ज्यादातर गैर-भाजपा शासित राज्य, जिनमें कर्नाटक, पंजाब, तमिलनाडु शामिल हैं, ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की केंद्रीकरण नीतियों पर समान चिंता व्यक्त की है और करों में उचित हिस्सेदारी की मांग की है, जो सभी राज्यों का अधिकार है।


विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए अरविन्द केजरीवाल ने कहा- केंद्र में बैठी भाजपा हमारे संविधान और लोकतंत्र को ख़त्म करना चाहती है। देश के संघीय ढाँचे और लोकतंत्र को बचाने की ये लड़ाई हम सबकी लड़ाई है। केजरीवाल ने कहा- केंद्र सरकार 3 तरीक़ों से विपक्ष की सरकारों को प्रताड़ित कर रही है। विपक्ष की राज्य सरकारों के यहां Fund रोककर,  राज्यपाल या एलजी के ज़रिए हर काम में टांग अड़ा कर, सभी एजेंसियों को विपक्षी सरकारों के पीछे छोड़ कर। यहाँ केरल के सीएम, पंजाब के सीएम और हम भीख माँगने नहीं आये बल्कि अपने राज्य के लोगों के हक़ के पैसे माँगने आये हैं। केजरीवाल ने कहा- विपक्ष की सरकारों को प्रताड़ित करने के लिए भाजपा सभी हथकंडे अपना रही है। आज देश के आधे राज्यों में विपक्ष की सरकारें हैं लेकिन केंद्र सरकार उन्हें काम नहीं करने देती। क्या केंद्र सरकार तमिलनाडु, कर्नाटक, दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल के लोगों को अपना नहीं मानती ? आज केंद्र सरकार की ज़्यादती के ख़िलाफ़ केरल के सीएम को अपने सारे काम छोड़कर जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने आना पड़ा है।

केरल के मुख्यमंत्री के एक बयान में कहा गया है कि आंदोलन का उद्देश्य केवल केरल ही नहीं, बल्कि सभी राज्यों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना है। उनके कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, केरल के मुख्यमंत्री ने दिल्ली में कहा, "इस संघर्ष का उद्देश्य किसी पर विजय प्राप्त करना नहीं है, बल्कि आत्मसमर्पण करने के बजाय वह हासिल करना है जिसके हम हकदार हैं।"
उन्होंने कहा कि वाम मोर्चे को स्टालिन का समर्थन "हमारे संविधान में निहित संघीय सिद्धांतों को कमजोर करने के शातिर प्रयासों के लिए खड़े होने और विरोध करने" के प्रयासों को मजबूती देगा। विजयन ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के कार्यों ने संघवाद को कमजोर कर दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा और एनडीए शासित राज्यों से ठीक व्यवहार किया जा रहा है। उन्हें पूरा बजट और आर्थिक मदद मिलती है। विजयन ने उम्मीद जताई कि विरोध को बड़े पैमाने पर समर्थन मिलेगा और गैर-भाजपा शासित राज्यों के कई नेताओं के इसमें भाग लेने की उम्मीद है।

विजयन ने कहा, "केंद्र का भेदभावपूर्ण नदरिया राज्य के सामाजिक कल्याण को प्रभावित कर रहा है। इसे 'उत्तर और दक्षिण के बीच विभाजन के रूप में स्थिति को नहीं देखा जाना चाहिए।'' मुख्यमंत्री ने कहा, "केरल के सभी इलाकों में अनदेखी की जा रही है। भेदभाव और वित्तीय संकट ने राज्य को विरोध करने को मजबूर किया है।"

राज्य के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने इस आरोप का खंडन किया कि विरोध एक राजनीतिक नाटक है। बता दें कि केरल का यह विरोध प्रदर्शन तब हो रहा है जब सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली सरकार के मंत्रियों सहित कर्नाटक के कांग्रेस विधायकों और सांसदों ने बुधवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि केंद्र सरकार राज्य को हुए नुकसान की भरपाई करे। 

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क़मर वहीद नक़वी
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