बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लिए एक बड़ा झटका सामने आया है। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को आरजेडी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ आईआरसीटीसी घोटाले में आरोप तय करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने कहा कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग किया और साजिश रची। 

बिहार की जनता जानती है क्या हो रहा हैः तेजस्वी यादव 

कोर्ट के आदेश के फौरन बाद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, "यह सामान्य अदालती प्रक्रिया थी। अदालत ने आज (सोमवार) हमें बुलाया था, और हम वहाँ गए। हम केस लड़ेंगे। हम कई दिनों से कह रहे थे कि चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, इसलिए यह सब होना ही था। फिर भी, अदालत का सम्मान करते हुए, हम कहना चाहते हैं कि हमने हमेशा लड़ाई लड़ी है और लड़ते रहेंगे। हमने हमेशा संघर्ष का रास्ता चुना है। बिहार की जनता जानती है कि क्या हो रहा है।" यहां साफ करना ज़रूरी है कि लालू, तेजस्वी, राबड़ी को अभी मुजरिम नहीं ठहराया गया, न उन्हें कोई सजा हुई है। वर्षों बाद चार्ज फ्रेम हुआ है और अब मुकदमा भी लंबा चलेगा। तब कहीं जाकर फैसला आएगा।
इसी मुद्दे पर कांग्रेस एमएलसी शकील अहमद खान ने कहा, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हम दलितों और वंचितों की आवाज उठाने वाले लोग हैं। हम इंडी गठबंधन से हैं। कोई भी हमें किसी भी तरह से दबा या दबा नहीं सकता...।" कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा, "ये लोग पिछले 11 सालों से राजनीतिक प्रतिशोध और राजनीतिक पूर्वाग्रह का खेल खेल रहे हैं। यह सब राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाकर किया जा रहा है। मैं अदालत पर टिप्पणी नहीं कर रहा, लेकिन सत्ता में बैठी सरकार हमेशा अपने राजनीतिक विरोधियों को परेशान करती है, लेकिन इसका बिहार चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा।"

आरोप है कि 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्रालय में रहते हुए उन्होंने रांची और पुरी स्थित दो आईआरसीटीसी होटलों के रखरखाव के अनुबंध निजी कंपनी सुजाता होटल को अवैध रूप से दिलाए, जिसके मालिक विजय और विनय कोचर हैं। इसके बदले में, लालू परिवार को पटना में करीब तीन एकड़ जमीन एक बेनामी कंपनी के जरिए ट्रांसफर की गई।

सीबीआई ने की थी जांच, वर्षों पुराना है मामला

अदालत के आदेश में कहा गया है कि लालू यादव के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी करने के आरोप तय किए जाएंगे, जबकि राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ धोखाधड़ी और साजिश के आरोप लगाए गए हैं। सीबीआई की जांच में सामने आया कि लालू यादव ने टेंडर प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया, जमीन की कीमतें जानबूझकर कम आंकी गईं और बाद में इन ज़मीनों का स्वामित्व राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के पास पहुंच गया। अदालत ने माना कि इस प्रक्रिया से सरकारी खजाने को नुकसान हुआ और यह पूरी डील संदिग्ध है। अदालत ने टिप्पणी की कि शेयर और जमीन के कम मूल्यांकन से यह प्रतीत होता है कि कई लोग मिलकर साजिश में शामिल थे।
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यह फैसला उस समय आया है जब बिहार विधानसभा चुनाव में कुछ ही हफ्ते बचे हैं। आरजेडी ने इस आदेश को राजनीतिक साजिश बताया है और कहा है कि भाजपा और केंद्र सरकार चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है। पार्टी के प्रवक्ताओं का कहना है कि हर बार जब बिहार में चुनाव नजदीक आते हैं, लालू यादव और उनके परिवार के खिलाफ पुराने मामलों को फिर से उछाला जाता है ताकि विपक्षी दल को बदनाम किया जा सके। 
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला चुनावी नैरेटिव को बदल सकता है। जहां तेजस्वी यादव ने भ्रष्टाचारमुक्त शासन और बेरोज़गारी के मुद्दे को मुख्य विमर्श बनाया था, वहीं अब विपक्षी दल इस केस का इस्तेमाल आरजेडी की "साख" पर सवाल उठाने के लिए कर सकते हैं। इस तरह अदालत के आदेश ने चुनावी माहौल में नई गर्मी और सियासी टकराव पैदा कर दिया है।

चार्जशीट में आरोप 

  • टेंडर प्रक्रिया में हस्तक्षेप: न्यायालय ने पाया कि लालू प्रसाद यादव ने निविदा प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया, जिससे महत्वपूर्ण संशोधन हुए। 
  • भूमि भूखंडों का कम मूल्यांकन: लेन-देन में शामिल भूमि भूखंडों का कथित रूप से कम मूल्यांकन किया गया था। ये कम मूल्यांकन वाले भूखंड बाद में राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के पास आ गए। 
  • शेयर मूल्यांकन पर चिंताएँ: न्यायालय ने शेयरों के मूल्यांकन को लेकर गंभीर चिंताएँ जताईं और कहा कि इससे राज्य के खजाने को नुकसान हुआ। 
  • षडयंत्र का संदेह: इस बात का गंभीर संदेह है कि कई व्यक्ति कोचर बंधुओं से लालू यादव के परिवार को भूमि का नियंत्रण हस्तांतरित करने की साजिश में शामिल थे। 
  • शेयरों का धोखाधड़ीपूर्ण हस्तांतरण: न्यायालय ने कहा कि राबड़ी देवी को शेयरों का हस्तांतरण प्रथम दृष्टया धोखाधड़ीपूर्ण प्रतीत होता है।
  • अनुचित नुकसान का प्रबल संदेह: इस बात का प्रबल संदेह है कि राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव (A2 और A3) ने राज्य को अनुचित नुकसान पहुँचाया। 
  • लालू यादव पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) के तहत मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। हालाँकि, तीनों - लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव - पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और 120बी के तहत आरोप लगाए जाएँगे। 
  • सीबीआई के आरोपपत्र में आईआरसीटीसी के समूह महाप्रबंधक वीके अस्थाना और आरके गोयल, और सुजाता होटल्स के निदेशक और चाणक्य होटल के मालिक विजय कोचर और विनय कोचर का भी नाम है।