छत्तीसगढ़ में ननों की गिरफ्तारी ने केरल और छत्तीसगढ़ बीजेपी के भीतर ही तनाव खड़ा कर दिया है? जानें बरामद लड़कियों ने बजरंग दल की भूमिका पर कैसे सवाल खड़ा कर दिया।
ननों की गिरफ्तारी पर छत्तीसगढ़, केरल बीजेपी में ही घमासान
छत्तीसगढ़ में मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोप में दो ननों की गिरफ्तारी पर छत्तीसगढ़ बीजेपी और केरल बीजेपी ही आमने-सामने हैं। केरल बीजेपी और कैथोलिक चर्च ने इसे अल्पसंख्यकों पर हमला बताया है, जबकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कार्रवाई को जायज ठहराया है। इधर, ननों के पास से बरामद लड़की के बयान ने बजरंग दल की भूमिका पर बड़े सवाल कर दिए हैं।
ननों पर क्यों हुई कार्रवाई?
25 जुलाई 2025 को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के एक स्थानीय कार्यकर्ता की शिकायत पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने केरल की दो ननों, सिस्टर वंदना व सिस्टर प्रीति और एक अन्य व्यक्ति सुकमन मंडावी को गिरफ्तार किया। आरोप है कि ये लोग नारायणपुर की तीन आदिवासी लड़कियों को नर्सिंग प्रशिक्षण और नौकरी का लालच देकर आगरा के फातिमा अस्पताल ले जा रहे थे। आरोप यह भी है कि इसके पीछे जबरन धर्मांतरण और मानव तस्करी का इरादा था। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 143 याी मानव तस्करी और छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया। गिरफ्तार नन और अन्य आरोपी वर्तमान में दुर्ग केंद्रीय जेल में न्यायिक हिरासत में हैं और उनकी जमानत याचिका सेशन कोर्ट ने खारिज कर दी है। अब यह मामला बिलासपुर की एनआईए अदालत में सुना जाएगा।
लड़की का सनसनीखेज खुलासा
ननों के साथ बरामद तीन आदिवासी लड़कियों में से एक ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बजरंग दल की कार्यकर्ता ज्योति शर्मा ने उसे डराकर और मारपीट कर पुलिस के सामने बयान बदलने के लिए मजबूर किया। लड़की का दावा है कि वह अपनी मर्जी से नौकरी के लिए आगरा जा रही थी और ननों ने उसे कोई ग़लत प्रलोभन नहीं दिया था। इस खुलासे ने मामले को और उलझा दिया है। 'घर वापसी' अभियानों और धर्मांतरण विरोधी बयानों के लिए जाने जानी वाली ज्योति शर्मा ने आजतक को बताया, 'लड़कियां रो रही थीं और घर लौटना चाहती थीं। ननों के पास कोई सहमति पत्र नहीं था। मैं हिंदू बेटियों को गुमराह होने से बचा रही हूँ। मैं यह लड़ाई जारी रखूंगी।' रिपोर्ट के अनुसार एक महिला की बड़ी बहन ने बताया, 'हमारे माता-पिता अब जीवित नहीं हैं। मैंने अपनी बहन को ननों के साथ भेजा था ताकि वह आगरा में नर्सिंग की नौकरी कर सके। मैंने पहले लखनऊ में उनके साथ काम किया था। यह अवसर उसे आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा।'
केरल बीजेपी का विरोध
केरल बीजेपी के अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने छत्तीसगढ़ सरकार के दावों को खारिज करते हुए ननों की गिरफ्तारी को गलत ठहराया। उन्होंने कहा, 'नन किसी भी तरह के जबरन धर्मांतरण या मानव तस्करी में शामिल नहीं थीं। वे तीन वयस्क महिलाओं को नौकरी के लिए ले जा रही थीं और उनके पास सभी जरूरी दस्तावेज थे।'
केरल बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने कहा है कि बीजेपी ननों की रिहाई और सुरक्षित वापसी के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। उन्होंने पार्टी महासचिव अनूप एंटनी को छत्तीसगढ़ भेजा है और जरूरत पड़ने पर स्वयं वहां जाने की बात कही।
हालाँकि, छत्तीसगढ़ बीजेपी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस कार्रवाई का समर्थन किया है। साय ने सोशल मीडिया पर कहा, 'यह मानव तस्करी और धर्मांतरण का गंभीर मामला है। नारायणपुर की बेटियों को झाँसा देकर ले जाया जा रहा था। पुलिस ने क़ानून के तहत कार्रवाई की है।' इस बयान के 24 घंटे के भीतर केरल बीजेपी के विरोध ने पार्टी के अंदर मतभेद को उजागर किया।
कैथोलिक चर्च का विरोध
केरल में सीरो-मालाबार चर्च और भारतीय कैथोलिक बिशप सम्मेलन यानी सीबीसीआई ने ननों की गिरफ्तारी को अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ साज़िश क़रार दिया। सीबीसीआई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से हस्तक्षेप की मांग की है। बिशप एसोसिएशन ने एक कड़ा बयान जारी कर 'राजनीतिक दबाव में निर्दोष ननों के उत्पीड़न' की निंदा की और उनकी बिना शर्त रिहाई की मांग की। आज तक की रिपोर्ट के अनुसार फादर सेबेस्टियन पूमट्टम ने कहा, "यह स्पष्ट रूप से निशाना बनाने का मामला है। ये लड़कियां नौकरी के लिए सहमति से आई थीं। धर्मांतरण विरोधी कानून वाले सभी भाजपा शासित राज्य धर्मांतरण का एक भी मामला साबित करने में विफल रहे हैं।' केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखकर निष्पक्ष जाँच की मांग की। उन्होंने कहा, 'ननों को ग़ैरक़ानूनी रूप से हिरासत में लिया गया और उन्हें अपने परिवार से बात करने की भी इजाजत नहीं दी गई।'
केरल में विपक्षी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी यूडीएफ के सांसदों ने दिल्ली में संसद परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा, 'ननों के पास सभी क़ानूनी दस्तावेज थे, फिर भी बजरंग दल और पुलिस ने उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए।' लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी सोशल मीडिया पर इस कार्रवाई की निंदा की और ननों की तत्काल रिहाई की मांग की।
वोट बैंक की राजनीति?
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब केरल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। केरल में ईसाई समुदाय का प्रभावशाली वोट बैंक है और बीजेपी इस समुदाय के बीच अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है। जानकारों का मानना है कि केरल बीजेपी का ननों के समर्थन में खड़ा होना एक रणनीतिक कदम हो सकता है, ताकि अल्पसंख्यक समुदाय में पार्टी की छवि बेहतर हो। दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार का सख्त रुख आदिवासी वोटरों को साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
कांग्रेस और वामपंथी दलों ने इस मामले को बीजेपी शासित राज्यों में अल्पसंख्यकों पर हमले का उदाहरण बताया है। केरल के शिक्षा मंत्री आर बिंदु ने कहा, 'यह आरएसएस और बीजेपी की फासीवादी नीतियों का परिणाम है।' दिल्ली, तिरुवनंतपुरम और अन्य शहरों में ईसाई संगठनों और मानवाधिकार समूहों ने विरोध प्रदर्शन किए।
अल्पसंख्यक अधिकार मुद्दे पर बहस
इस मामले ने धर्मांतरण, मानव तस्करी और अल्पसंख्यक अधिकारों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बहस छेड़ दी है। कांग्रेस ने इसकी जाँच के लिए एक समिति गठित की है जो पीड़ितों से मुलाक़ात कर जल्द ही अपनी रिपोर्ट पार्टी आलाकमान को सौंपेगी। इस बीच, लड़की के मारपीट के आरोपों ने बजरंग दल की भूमिका पर सवाल उठाए हैं, जिससे जांच की निष्पक्षता को लेकर और विवाद बढ़ सकता है।
केरल और छत्तीसगढ़ में इस मुद्दे ने सियासी माहौल को गर्मा दिया है। जहां केरल में बीजेपी अल्पसंख्यक समुदाय के समर्थन की कोशिश कर रही है, वहीं छत्तीसगढ़ में सरकार का जोर धर्मांतरण विरोधी कानूनों को सख्ती से लागू करने पर है। यह मामला 2026 के विधानसभा चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।