कांग्रेस ने मोदी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है कि पीली मटर पर आयात शुल्क हटाने के फ़ैसले से देश के किसानों को भारी नुकसान हुआ, जबकि अडानी समूह को सीधा आर्थिक लाभ पहुंचा।
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर सनसनीखेज आरोप लगाया है! 2024-25 में भारत ने 67 लाख टन दालों का आयात किया, जिसमें सस्ती पीली मटर ने किसानों की कमर तोड़ दी। आयातित पीली मटर की क़ीमत क़रीब 3500 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि घरेलू दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी 7000 से 8000 रुपये प्रति क्विंटल है। इस भारी अंतर के कारण घरेलू दालें बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रही हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया है कि पीली मटर पर आयात शुल्क हटने से अडानी समूह को मुनाफा हुआ, लेकिन महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों के किसानों का नुकसान।
जयराम रमेश ने बताया कि दिसंबर 2023 में खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने पीली मटर पर 50% बेसिक कस्टम ड्यूटी को अस्थायी रूप से हटा दिया था। हालाँकि, किसानों और कृषि विशेषज्ञों की बार-बार अपील के बावजूद इस छूट को न केवल जारी रखा गया, बल्कि इसे मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया है। रमेश ने इस फ़ैसले को किसान विरोधी करार देते हुए कहा कि यह सरकार की 'मोदानी-निर्भर भारत' की नीति को दिखाता है।
जयराम रमेश ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने कृषि लागत एवं मूल्य आयोग, नीति आयोग और यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट की सलाह को भी अनदेखा किया है। इन संस्थाओं ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए बिना रोक-टोक के आयात पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी। रमेश ने कहा, 'इन सुझावों को नजरअंदाज कर सरकार ने सस्ते आयात को बढ़ावा दिया, जिससे घरेलू किसानों की आजीविका खतरे में पड़ गई है।'
अडानी समूह पर निशाना
कांग्रेस नेता ने विशेष रूप से अडानी समूह पर निशाना साधते हुए कहा कि पीली मटर के सबसे बड़े आयातक के रूप में इस समूह को इस नीति से भारी मुनाफा हुआ है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार की नीतियां कॉर्पोरेट हितों को प्राथमिकता दे रही हैं, जबकि किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। रमेश ने कहा, "यह साफ़ है कि सरकार का 'आत्मनिर्भर भारत' का नारा वास्तव में 'मोदानी-निर्भर भारत' बनकर रह गया है।"
किसानों की स्थिति
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में दाल उत्पादक किसान इस स्थिति से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। सस्ती आयातित मटर के कारण बाजार में उनकी उपज की मांग कम हो गई है, जिससे उनकी आय में भारी कमी आई है। कई किसानों ने दालों की खेती को लाभकारी न पाकर अन्य फसलों की ओर रुख करना शुरू कर दिया है, जो देश की खाद्य सुरक्षा के लिए भी चिंताजनक है।
आयात शुल्क बहाल करने की मांग
जयराम रमेश ने केंद्र सरकार से तत्काल प्रभाव से पीली मटर पर आयात शुल्क बहाल करने और किसानों के हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार को एमएसपी को और प्रभावी ढंग से लागू करना चाहिए ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके।
अडानी सीमेंट प्लांट मामले में भी हमला
कांग्रेस ने अडानी ग्रूप की मुंबई के कल्याण में सीमेंट परियोजना को लेकर भी हमला किया है। इसने आरोप लगाया है कि अडानी के लिए मोदी सरकार ने नियमों में ऐसा बदलाव किया है कि अडानी को सीमेंट प्लांट के लिए पर्यावरण मंज़ूरी नहीं लेनी होगी। सुप्रिया श्रीनेत ने ट्वीट किया है, 'केंद्र सरकार ऐसा नया नियम बना रही है जिसके तहत कैप्टिव पावर प्लांट के बिना काम करने वाले सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट को पर्यावरण मंज़ूरी लेने की ज़रूरत नहीं होगी। पर्यावरण मंत्रालय ने 26 सितंबर को जारी अपने ड्राफ्ट अधिसूचना में यह प्रस्ताव रखा है। इससे अडानी ग्रूप की मुंबई के कल्याण में 1400 करोड़ रुपये की सीमेंट परियोजना आसान हो जाएगी।'
श्रीनेत ने कहा है कि, 'हर साल 6 मिलियन मीट्रिक टन क्षमता वाला यह प्लांट अंबुजा सीमेंट लिमिटेड का है, जो अडानी समूह की कंपनी है। इस प्रोजेक्ट का कल्याण के मोहने गांव और आसपास के 10 अन्य गांवों के स्थानीय लोग कड़ा विरोध कर रहे हैं। धारावी के बाद, यह मुंबई में अडानी समूह का दूसरा प्रोजेक्ट है जिसका स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं।'
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा है कि लोगों का कहना है कि सीमेंट प्लांट से स्वास्थ्य और पर्यावरण पर बुरा असर पड़ेगा और वो पूछ रहे हैं कि सरकार इतनी घनी आबादी वाले शहर में इसे क्यों लगाने दे रही है। उन्होंने कहा है कि बजाय उनकी समस्या का समाधान करने के सरकार तो अब इस फिराक में है कि इस प्लांट को पर्यावरण मंजूरी की भी ज़रूरत ना पड़े।