नेशनल हेराल्ड केस में कोर्ट के फ़ैसले के बाद ED के कथित दुरुपयोग को लेकर सियासी तापमान बढ़ गया है। संसद से लेकर सड़कों तक प्रदर्शन क्यों हुए? पढ़िए, विपक्ष के आरोप, सरकार का पक्ष और आगे की राजनीति।
संसद परिसर में कांग्रेस सांसदों का प्रदर्शन
नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली कोर्ट द्वारा सोनिया और राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग शिकायत पर संज्ञान लेने से इनकार करने के बाद कांग्रेस बुधवार को और बीजेपी के ख़िलाफ़ आक्रामक हो गई है। जहाँ कांग्रेस सांसदों ने बुधवार को 'ईडी के दुरुपयोग' का आरोप लगाते हुए संसद भवन परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया वहीं पार्टी कार्यकर्ताओं ने देशभर में कई शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया। इधर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि नेशनल हेराल्ड केस में फ़ैसला आने के बाद अब मोदी जी और शाह को इस्तीफा देना चाहिए।
कांग्रेस सांसदों ने मकर द्वार की सीढ़ियों के सामने लाइन लगाकर 'सत्यमेव जयते, ट्रुथ प्रिवेल्स' लिखे बैनर उठाए और सरकार के खिलाफ नारे लगाए। प्रदर्शन में कांग्रेस संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, एआईसीसी महासचिव मुकुल वासनिक, सांसद शशि थरूर, तारिक अनवर, कुमारी शैलजा, के सुरेश, मणिकम टैगोर सहित कई प्रमुख नेता शामिल हुए। उन्होंने केंद्र सरकार पर जाँच एजेंसियों, खासकर ईडी के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए नारे लगाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह से माफी की मांग की।
'कोर्ट का फ़ैसला मोदी, शाह के मुँह पर तमाचा जैसा'
पार्टी ने कोर्ट के इस फ़ैसले को अपनी स्थिति की पुष्टि बताते हुए कहा कि सत्य की जीत हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'नेशनल हेराल्ड केस में फ़ैसला आने के बाद अब मोदी जी और शाह को इस्तीफा देना चाहिए। कोर्ट का ये फ़ैसला मोदी जी और शाह के मुँह पर तमाचा जैसा है। उन्हें अब राजीनामा दे देना चाहिए ताकि भविष्य में वे लोगों को सताने का ऐसा काम ना करें।' खड़गे ने आगे कहा कि पार्टी संसद के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर लड़ाई जारी रखेगी और सरकार को सबक सिखाएगी। इसी के साथ कांग्रेस नेताओं ने देशभर में प्रदर्शन किया। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा, 'नेशनल हेराल्ड का फर्जी केस राजनीतिक बदले और द्वेष की भावना से किया गया है। ये अखबार 1938 में स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा शुरू किया गया था, जिसे बीजेपी सरकार मनी लॉन्ड्रिंग जैसी चीजों से जोड़कर बदनाम कर रही है। सच्चाई है कि इस केस में कुछ भी नहीं है, लेकिन फिर भी बीजेपी इसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस पार्टी के नेताओं को परेशान करने की कोशिश कर रही है। मोदी सरकार अपने राजनीतिक फायदे के लिए इसी तरह नेताओं पर ईडी के केस लगवाती आई है। बीजेपी ने इसी तरह लोगों को डराकर अपनी तरफ़ किया और सरकारें बनाईं। लेकिन अब फैसला न्याय के पक्ष में आया है। सत्य की जीत हुई है। हम इस फैसले का बहुत स्वागत करते हैं।'
दिल्ली की अदालत ने क्या कहा?
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पांच अन्य आरोपियों के खिलाफ ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग शिकायत पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ईडी की जांच एक निजी शिकायत पर आधारित थी, न कि एफआईआर पर, इसलिए पीएमएलए के तहत कार्रवाई क़ानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है। कोर्ट ने यह भी साफ़ किया कि दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा यानी ईओडब्ल्यू द्वारा हाल ही में दर्ज एफ़आईआर के कारण मेरिट पर फ़ैसला करना अभी जल्दबाजी होगी और ईडी अपनी जाँच जारी रख सकती है।यह मामला एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड यानी एजेएल की संपत्तियों के कथित गलत अधिग्रहण से जुड़ा है। एजेएल नेशनल हेराल्ड अखबार की प्रकाशक कंपनी है। ईडी का आरोप था कि कांग्रेस नेताओं ने यंग इंडियन कंपनी के ज़रिए एजेएल की क़रीब 2000 करोड़ रुपये की संपत्तियों पर कब्जा किया। कांग्रेस ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया और कोर्ट के फ़ैसले को अपनी जीत क़रार दिया।
कांग्रेस जनता को गुमराह कर रही: बीजेपी
दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर भ्रामक प्रचार चलाने का आरोप लगाया है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कोर्ट ने केवल शिकायत पर संज्ञान लेने से इनकार किया है, मामला खारिज नहीं हुआ है। दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रायल अभी लंबित है और ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में ईडी को जाँच जारी रखने की अनुमति दी है।
भाटिया ने बुधवार को कहा, 'कोर्ट ने कल कहा कि चूँकि यह निजी शिकायत है और एफ़आईआर दर्ज नहीं हुई है, इसलिए संज्ञान नहीं लिया जाएगा। यह तकनीकी मामला है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ईडी अपनी जांच आगे जारी रख सकती है। कोर्ट ने इसे खारिज नहीं किया।' उन्होंने आगे आरोप लगाया कि 'सोनिया गांधी अभी भी आरोपी नंबर-1 हैं और राहुल गांधी आरोपी नंबर-2। गांधी परिवार धोखे, छल और प्रचार पर पनपता है।'बीजेपी ने कांग्रेस के प्रदर्शन और इस्तीफे की मांग को राजनीतिक नाटक बताया और कहा कि मामला मेरिट पर अभी तय होना बाक़ी है।
यह घटनाक्रम संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान हुआ, जहाँ विपक्ष केंद्र पर एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप लगातार लगा रहा है। कांग्रेस ने कहा है कि वह अपने नेतृत्व के ख़िलाफ़ बदले की राजनीति को बेनकाब करती रहेगी और कार्यकर्ता पूरे देश में एजेंसियों के दुरुपयोग के खिलाफ ताकत दिखाएंगे। दूसरी तरफ, बीजेपी ने मामले को गंभीर आर्थिक अपराध करार देते हुए जांच जारी रखने का समर्थन किया है।
माना जा रहा है कि यह मामला 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले दोनों पार्टियों के बीच तीखी बहस को और बढ़ा सकता है। कोर्ट की आगे की कार्यवाही पर सभी की नज़रें टिकी हैं।