कांग्रेस ने नागपुर की रैली को 'हैं तैयार हम' नाम दिया है। पार्टी का कहना है कि यह देश में लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए लड़ने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए है। नागपुर को देश का भौगोलिक केंद्र माना जाता है। लोकतंत्र की सुरक्षा का संकल्प आरएसएस के गढ़ नागपुर से लेने का एक अलग ही संदेश जाएगा!
दिसंबर 1920 में कांग्रेस का नागपुर सत्र आयोजित हुआ था। इसमें महात्मा गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू करने का फ़ैसला लिया था। स्वतंत्रता के बाद 1959 में आयोजित कांग्रेस के नागपुर सत्र में इंदिरा गांधी को एआईसीसी अध्यक्ष बनाया गया था। नागपुर हमेशा कांग्रेस का गढ़ रहा था। 1980 से 2019 तक भाजपा नागपुर लोकसभा सीट से केवल तीन बार- 1996, 2014 और 2019 में ही जीत पाई है।
कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती 2024 जीतने की है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी ने नागपुर में एक रैली आयोजित की थी, जिसने तब विदर्भ से सभी सीटों को जीतने वाली पार्टी के लिए रास्ता साफ़ किया था। उनका दावा है कि पार्टी की गुरुवार की रैली इसी तरह देश की राजनीति में बड़ा बदलाव करेगी।
उत्तर प्रदेश की 80 सीटों के बाद 48 सीटों के साथ महाराष्ट्र लोकसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
आरएसएस का मुख्यालय नागपुर में है। इसकी स्थापना 1925 में शहर के डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी। बीजेपी आरएसएस की ही राजनीतिक शाखा है और कांग्रेस के सामने बीजेपी बड़ी चुनौती है। राहुल गांधी बीजेपी पर हमले करने के लिए आरएसएस को निशाना साधते रहे हैं और उसको बाँटने वाली विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने वाला क़रार देते रहे हैं।
यह नागपुर में था कि बीआर आंबेडकर ने 14 अक्टूबर, 1956 को दशेरा में अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म को अपनाया था। ऐतिहासिक स्थल का एक स्मारक है जिसे दीक्षाभूमि कहा जाता है। कांग्रेस के नेताओं ने कहा है कि पार्टी ने गुरुवार को एक वैचारिक कारण से गुरुवार की रैली के लिए नागपुर को चुना है। आंबेडकर की विरासत पर दावा करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा 'संविधान को बदलने' पर तुली हुई है।