क्या पहलगाम आतंकी हमले के लिए ज़िम्मेदार 'खुफिया नाकामी' और 'सुरक्षा चूकों' पर बात हो पाएगी? कम से कम कांग्रेस कार्य समिति यानी सीडब्ल्यूसी ने इस हमले को पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित बताते हुए खुफिया विफलताओं और सुरक्षा चूकों की जांच की मांग की है।

कांग्रेस ने अपनी आपातकालीन बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि तीन-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था से लैस एक अति-सुरक्षित क्षेत्र माने जाते वाले पहलगाम में इतना बड़ा हमला खुफिया और सुरक्षा तंत्र की विफलता को दिखाता है। पार्टी ने केंद्र सरकार से इस मामले की निष्पक्ष और विस्तृत जाँच की मांग की है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह हमला 'हमारी गणतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला' है और इसे पाकिस्तान ने सुनियोजित तरीक़े से अंजाम दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी इस त्रासदी का इस्तेमाल सामाजिक ध्रुवीकरण और विभाजन को बढ़ावा देने के लिए कर रही है। पार्टी ने यह भी उल्लेख किया कि हमले में हिंदुओं को निशाना बनाया गया, जिसका मक़सद देश में सांप्रदायिक तनाव भड़काना था।

कांग्रेस ने अमरनाथ यात्रा के आगामी आयोजन को देखते हुए तत्काल मज़बूत और पारदर्शी सुरक्षा व्यवस्था लागू करने की मांग की। पार्टी ने 25 अप्रैल को देशव्यापी कैंडल मार्च का ऐलान किया है ताकि पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी जाए और आतंकवाद के ख़िलाफ़ एकजुटता दिखाई जाए।

कांग्रेस कार्य समिति की बैठक गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में हुई। यह केंद्र द्वारा आतंकी हमले पर चर्चा के लिए बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से कुछ घंटे पहले हुई। कांग्रेस ने 22 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक आयोजित करने की मांग की थी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सीपीपी अध्यक्ष सोनिया गांधी, और पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी ने बैठक में हिस्सा लिया और हमले की निंदा की।

सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव में कहा गया, 'यह कायरतापूर्ण और सुनियोजित आतंकी कृत्य हमारे गणतंत्र के मूल्यों पर सीधा हमला है। हमले को पाकिस्तान ने मास्टरमाइंड किया। हिंदुओं को जानबूझकर निशाना बनाया गया ताकि देश भर में भावनाओं को भड़काया जा सके।' प्रस्ताव ने इस गंभीर उकसावे के सामने शांति बनाए रखने की अपील की।

सीडब्ल्यूसी द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया,

पहलगाम एक भारी सुरक्षा वाला क्षेत्र माना जाता है, जहां तीन-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था है। यह ज़रूरी है कि खुफिया विफलताओं और सुरक्षा चूक पर एक व्यापक विश्लेषण किया जाए, जिनके कारण एक केंद्र शासित प्रदेश में ऐसा हमला संभव हुआ। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है।
सीडब्ल्यूसी प्रस्ताव

प्रस्ताव में आगे कहा गया है, 'ये सवाल व्यापक जनहित में उठाए जाने चाहिए। यही एकमात्र तरीक़ा है जिससे उन परिवारों के लिए न्याय सुनिश्चित हो सकता है, जिनके जीवन को इतनी क्रूरता से तबाह कर दिया गया।'

जल्द ही शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा को लेकर पार्टी ने कहा कि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में लिया जाना चाहिए। प्रस्ताव में कहा गया, 'मज़बूत, पारदर्शी और सक्रिय सुरक्षा व्यवस्थाएँ बिना देरी के लागू की जानी चाहिए। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा, साथ ही जम्मू-कश्मीर के लोगों की आजीविका को पूरी ईमानदारी और गंभीरता के साथ संरक्षित करना चाहिए।'

कांग्रेस ने बीजेपी की भी आलोचना की, जिसने कथित तौर पर इस त्रासदी का उपयोग 'आधिकारिक और प्रॉक्सी सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से और अधिक कलह, अविश्वास, ध्रुवीकरण और विभाजन को बढ़ावा देने के लिए किया, ऐसे समय में जब एकता और एकजुटता की सबसे ज्यादा ज़रूरत है।'

बता दें कि इस हमले ने राजनीतिक दलों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। कांग्रेस ने जहाँ एक ओर राष्ट्रीय एकता की बात की, वहीं उसने केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। पार्टी ने कहा कि 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद सरकार ने दावा किया था कि कश्मीर में शांति स्थापित हो जाएगी, लेकिन यह हमला उस दावे पर सवाल उठाता है।

पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने इस हमले को स्थानीय खुफिया तंत्र की विफलता करार दिया और कहा कि सरकार को पहले आतंकियों की तलाश करनी चाहिए और फिर सुरक्षा चूकों की समीक्षा करनी चाहिए।

दूसरी ओर, भाजपा ने कांग्रेस के रुख को राजनीतिक अवसरवाद करार दिया। कुछ बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस पर पाकिस्तान को 'क्लीन चिट' देने का आरोप लगाया।

शिवसेना (यूबीटी) ने भी इस हमले को खुफिया विफलता बताया और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए। इस बीच, सरकार ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाई, लेकिन कांग्रेस ने मांग की थी कि इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करें ताकि राष्ट्रीय एकजुटता का संदेश जाए।

सुरक्षा और खुफिया विफलता के सवाल

पहलगाम हमले ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए लोकप्रिय होने के साथ-साथ सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील भी है। जांच से पता चला है कि हमले में पांच आतंकी शामिल थे, जिनमें से तीन पाकिस्तान से थे। यह तथ्य कि आतंकियों ने बिना किसी तकनीकी उपकरण के हमला किया और लगातार अपनी लोकेशन बदलते रहे, खुफिया तंत्र की सीमाओं को उजागर करता है।

पहलगाम में तीन-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद हमला होना गृह मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्थानीय खुफिया नेटवर्क को और मजबूत करने की जरूरत है। साथ ही, पर्यटक स्थलों पर निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र को उन्नत करना होगा।