अमेरिका के बाद अब चीन ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में मध्यस्थता का दावा किया है। कांग्रेस ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा पर चिंता जैसा बताया और पीएम नरेंद्र मोदी से जवाब की मांग की है। यह कितना गंभीर मुद्दा है?
भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता किए जाने का 'भूत' फिर से पीएम मोदी के पीछे पड़ गया है। ट्रंप द्वारा कम से कम 65 बार किए गए मध्यस्थता के दावे के बाद अब चीन ने भी ऐसा ही दावा कर दिया। कांग्रेस ने अब इसको लेकर कहा है कि पीएम मोदी को ही इस पर जवाब देना चाहिए। कांग्रेस ने कहा कि ट्रंप द्वारा इतनी बार लगातार दावे किए जाने के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी ने चुप्पी साध रखी है। विदेश मंत्रालय की ओर से किसी तीसरे देश की मध्यस्थता के दावे का बार-बार खंडन किया गया है। कांग्रेस सवाल करती रही है कि यदि ट्रंप ने मध्यस्थता नहीं की है तो पीएम साफ़ कहते क्यों नहीं कि ट्रंप साफ़ झूठ बोल रहे हैं।
बहरहाल, कांग्रेस ने चीन के उस दावे को चिंताजनक बताया है, जिसमें कहा गया है कि उसने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की थी। पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर चुप्पी तोड़ने और देशवासियों को साफ-साफ जवाब देने की मांग की है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह दावा भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा का मजाक उड़ाने जैसा लगता है।
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप लंबे समय से दावा करते आ रहे हैं कि उन्होंने 10 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर को रुकवाने में व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप किया था। वे यह दावा कम से कम सात अलग-अलग देशों में विभिन्न मंचों पर 65 बार कर चुके हैं। प्रधानमंत्री ने अपने तथाकथित अच्छे मित्र द्वारा किए गए इन दावों पर आज तक अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है।'
हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा का मज़ाक?
उन्होंने आगे कहा, 'अब चीन के विदेश मंत्री भी ऐसा ही दावा कर रहे हैं और कह रहे हैं कि चीन ने भी मध्यस्थता की थी। 4 जुलाई 2025 को उप सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत असल में चीन का सामना कर रहा था और उससे लड़ रहा था। चूंकि चीन निर्णायक रूप से पाकिस्तान के साथ खड़ा था, ऐसे में भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने के चीन के दावे चिंताजनक हैं-सिर्फ इसलिए नहीं कि वे देश की जनता को अब तक बताई गई बातों के उलट हैं, बल्कि इसलिए भी कि वे हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा का मज़ाक बनाते लगते हैं।'उन्होंने कहा, 'यह दावा हमारे चीन के साथ रिश्तों के संदर्भ में भी समझना चाहिए। हमने चीन के साथ फिर से जुड़ाव शुरू किया है, लेकिन दुर्भाग्य से यह चीन की शर्तों पर हो रहा है। प्रधानमंत्री का 19 जून 2020 को चीन को क्लीन चिट देना भारत की बातचीत की स्थिति को काफी कमजोर कर चुका है।'
कांग्रेस नेता ने चीन के साथ आर्थिक रिश्तों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हमारा व्यापार घाटा रिकॉर्ड स्तर पर है और देश के कई निर्यात चीन से आयात पर निर्भर हैं।
उन्होंने कहा, 'अरुणाचल प्रदेश में चीन की उकसाने वाली कार्रवाइयाँ लगातार जारी हैं। ऐसे असंतुलित और शत्रुतापूर्ण रिश्ते के बीच, देशवासियों को यह स्पष्टता चाहिए कि ऑपरेशन सिंदूर को अचानक रोकने में चीन की क्या भूमिका थी।'
चीन के विदेश मंत्री का दावा क्या है?
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को कहा कि इस साल चीन ने कई ज्वलंत मुद्दों पर मध्यस्थता की, जिनमें भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव भी शामिल है। उन्होंने इसे अपनी उपलब्धियों की सूची में गिनाया। अब मीडिया रिपोर्टों में भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि भारत ने किसी तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की है।भारत का आधिकारिक रुख क्या है?
भारत सरकार लगातार कहती आ रही है कि 7 से 10 मई 2025 के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष को दोनों देशों की सेनाओं के डीजीएमओ यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस के बीच सीधी बातचीत से सुलझाया गया था। भारत का साफ़ मानना है कि भारत-पाकिस्तान के मामलों में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई जगह नहीं है।
क्या था ऑपरेशन सिंदूर?
ऑपरेशन सिंदूर मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक सैन्य अभियान था, जिसमें सीमा पर तनाव चरम पर पहुंच गया था। भारत ने दावा किया कि यह पाकिस्तान की आतंकवादी घुसपैठ के खिलाफ था, जबकि पाकिस्तान ने इसे आक्रमण बताया। संघर्ष तीन दिनों तक चला और फिर अचानक रुक गया। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कई बार कहा कि उन्होंने हस्तक्षेप करके इसे रोका। अब चीन का दावा इसे और जटिल बना रहा है।कांग्रेस का कहना है कि ये दावे भारत की विदेश नीति और सुरक्षा पर सवाल उठाते हैं। पार्टी ने मांग की है कि प्रधानमंत्री संसद या जनता से सीधे बात करें और सच्चाई बताएँ। विपक्षी नेता राहुल गांधी ने भी पहले चीन के साथ रिश्तों पर सरकार को घेरा है और अब यह मुद्दा फिर गर्म हो गया है।