रूस द्वारा पाकिस्तान को चीनी JF-17 फाइटर जेट्स के लिए उन्नत RD-93MA इंजन सप्लाई करने के फैसले ने भारत की विदेश नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी कांग्रेस ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत कूटनीति की विफलता करार देते हुए सरकार से सफाई मांगी है। 

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि भारत का एक समय सबसे भरोसेमंद रणनीतिक साझेदार रूस अब नई दिल्ली की अपीलों को नजरअंदाज कर पाकिस्तान को सैन्य सहायता दे रहा है। यह विवाद मई 2025 के भारत-पाकिस्तान संघर्ष 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद और गहरा गया है, जब जेएफ़-17 जेट्स को भारत के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होने का संदेह जताया गया था।

रूस-पाकिस्तान डील

रूस की यूनाइटेड इंजन कॉर्पोरेशन यानी यूईसी-क्लिमोव द्वारा निर्मित RD-93MA इंजन पाकिस्तान वायुसेना के जेएफ़-17 थंडर ब्लॉक III फाइटर जेट्स का प्रमुख हिस्सा है। जेएफ़-17 को चीन के चेंगदू एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन के सहयोग से विकसित किया गया है, और पाकिस्तान के कामरा एयरक्राफ्ट फैसिलिटी में इसकी असेंबलिंग होती है। 2007 से JF-17 की शुरुआत के बाद से भारत ने रूस से इसकी सप्लाई रोकने की मांग की थी, क्योंकि यह जेट भारत के तेजस और राफेल जैसे विमानों का प्रतिद्वंद्वी है।

मई 2025 के भारत-पाकिस्तान संघर्ष 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत ने रूस से इंजन सप्लाई रोकने की अपील की। भारतीय वायुसेना प्रमुख ने कहा था कि जेएफ़-17 संभवतः उन पाकिस्तानी फाइटर जेट्स में शामिल था जो भारत के ख़िलाफ़ इस्तेमाल हुए। जून 2025 में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस के समकक्षों से इस मुद्दे पर हस्तक्षेप किया। कांग्रेस ने तो ऐसा ही आरोप लगाया है। जुलाई 2025 में पीएम मोदी की मॉस्को यात्रा के दौरान भी यह विषय साइडलाइन वार्ताओं में उठा। लेकिन रिपोर्टों से पता चला कि अक्टूबर के शुरुआती दिनों में रूस ने डील को हरी झंडी दे दी है और शुरुआती बैच पाकिस्तान के एविएशन सिटी भेजे जा रहे हैं।

कांग्रेस का हमला

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट कर सरकार को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने लिखा, 'मोदी सरकार को बताना चाहिए कि कभी भारत का सबसे भरोसेमंद साझेदार रहे रूस ने नई दिल्ली की अपीलों को नजरअंदाज कर पाकिस्तान के चीनी जेएफ़-17 जेट्स के लिए RD-93MA इंजन सप्लाई करने का फैसला क्यों किया।' 
रमेश ने कहा, 'यह पीएम मोदी की व्यक्तिगत कुटनीति की एक और नाकामी है, जो इमेज बिल्डिंग और ग्लोबल स्पेक्टेकल को प्राथमिकता देती है, राष्ट्रीय हितों को नहीं।' उन्होंने तंज कसते हुए कहा, 'वर्षों से चले आ रहे हाई-प्रोफाइल शिखर सम्मेलन, सुनियोजित फोटो के अवसर और विश्व मंच पर दिखावे के बावजूद कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आए हैं।'

रमेश ने जोर दिया कि भारत पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने में विफल रहा है। उन्होंने कहा, 'रूस, चीन और अमेरिका जैसे देश पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर को समर्थन दे रहे हैं।' 

बीजेपी का पलटवार

बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भारत-रूस संबंध मजबूत हैं और यह डील पुरानी है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा, 'कांग्रेस हमेशा राष्ट्रीय हितों को कमजोर करने वाली अफवाहें फैलाती है। मोदी सरकार ने रूस के साथ रक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।' विदेश मंत्रालय ने अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की।

रूस ने रिपोर्टों को अतार्किक बताते हुए खारिज किया है। क्रेमलिन के एक प्रवक्ता ने कहा, 'यह डील व्यावसायिक है और भारत के साथ हमारे संबंधों को प्रभावित नहीं करेगी।' 

वैसे, डिफेंस एनालिस्ट कहते हैं कि यह दिखाता है कि रूस अब बहुपक्षीय संतुलन की ओर बढ़ रहा है। कांग्रेस के अनुसार यह घटना मोदी सरकार की विदेश नीति की कमजोरियों को दिखाती है, जहां व्यक्तिगत संबंधों के बावजूद रणनीतिक हित प्रभावित हो रहे हैं।