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क्या अब यूपी में क़व्वाली नहीं गायी जायेगी? 

गंगा-जमुनी तहज़ीब के देश हिंदुस्तान में क्या अब क़व्वाली पर डांस करना भी कुछ लोगों को बर्दाश्त नहीं हो पा रहा है। दिल्ली की कथक नृत्यांगना मंजरी चतुर्वेदी के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। मंजरी बुधवार को लखनऊ में एक कार्यक्रम में जब बेहद लोकप्रिय क़व्वाली ‘ऐसा बनना संवरना, मुबारक तुम्हें’ पर कथक कर रही थीं तभी बीच में संगीत को रोक दिया गया। यह क़व्वाली पाकिस्तान के मशूहर कव्वाल नुसरत फतेह अली ख़ान के द्वारा कई बार गायी गयी थी। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित किया गया था। 

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मंजरी ने कहा, ‘संगीत को बीच में बंद कर दिये जाने से मुझे लगा कि यह कोई तकनीकी दिक़्क़त होगी। लेकिन ऐसा नहीं था।’ मंजरी ने कहा कि वह स्टेज पर ही थीं और तभी दूसरे कार्यक्रम की घोषणा कर दी गयी। मंजरी ने कहा, ‘वहां मौजूद अधिकारियों ने कहा कि क़व्वाली नहीं चलेगी, स्टेज पर क़व्वाली नहीं होगी।’ उन्होंने कहा कि क़व्वाली के बाद मंच पर राधा-कृष्ण और गौहर जान पर प्रस्तुति दी गई। 

मंजरी अपनी 45 मिनट की परफ़ॉर्मेंस के आख़िरी चरण में थीं। उन्होंने कहा कि ऐसा होते ही वह हैरान रह गईं। मंजरी ने कहा कि अधिकारियों ने उनके कार्यक्रम को बीच में रुकवा दिया जबकि उन्होंने कई बार अनुरोध किया कि उनकी परफ़ॉर्मेंस ख़त्म होने में कुछ ही मिनट बाक़ी हैं। 

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चतुर्वेदी ने कहा कि तभी उन्होंने हाथ में माइक्रोफ़ोन लिया और वहां मौजूद लोगों से कहा, ‘मैंने अपने 25 साल के करियर में 35 देशों में परफ़ॉर्मेंस दी है। मेरे शो को कभी रोका नहीं गया और न ही मुझे कभी मंच से उतारा गया। मैं अपने डांस के द्वारा गंगा-जमुनी तहज़ीब की बात करती रहूंगी।’ मंजरी ने कहा कि सांस्कृतिक विभाग के दो अधिकारी वहां आये और उनसे कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था लेकिन आपने हालात को शालीनता के साथ संभाल लिया। उत्तर प्रदेश की विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित इस कार्यक्रम में मौजूद थे और सबसे आग बैठे थे। 

अधिकारियों ने दी सफाई 

कुछ अधिकारियों के मुताबिक़, ‘कार्यक्रम को रोकने की वजह धार्मिक या संगीत नहीं था, इसे समय की कमी के कारण रोका गया।’ सरकार के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने मंजरी से बात की और कहा कि उनका ऐसा कोई इरादा नहीं था।

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क़मर वहीद नक़वी
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