एनआईए ने लाल किला ब्लास्ट की जांच शुरू कर दी है। सीसीटीवी फुटेज से कुछ अहम सुराग मिले हैं। अल फलाह यूनिवर्सिटी ने खुद को सारे मामले से अलग कर लिया है। इस घटना का दायरा बढ़ता जा रहा है। कई अहम जानकारियां सामने आई हैं।
फरीदाबाद के धौज में अल फलाह यूनिवर्सिटी और घटनास्थल
दिल्ली के व्यस्त इलाके लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास सोमवार शाम हुए शक्तिशाली विस्फोट की जांच राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी एनआईए ने शुरू कर दिया है। इस ब्लास्ट में अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 से अधिक घायल हैं। जांच एजेंसियों ने इसे आतंकी हमला मानते हुए UAPA के तहत केस दर्ज किया है। मुख्य संदिग्ध जम्मू-कश्मीर के पुलवामा का डॉक्टर मोहम्मद उमर (या उमर उन नबी) बताया जा रहा है, जो फरीदाबाद के एक आतंकी मॉड्यूल से जुड़ा था। सूत्रों के अनुसार, उमर ने घबराहट में यह आत्मघाती हमला किया और ब्लास्ट में उसकी भी मौत हो गई। एजेंसियों को नए सीसीटीवी फुटेज मिले हैं जिससे कुछ सुराग मिले हैं।
सोमवार (10 नवंबर) शाम करीब 6:52 बजे लाल किला मेट्रो स्टेशन गेट नंबर-1 के पास ट्रैफिक सिग्नल पर रुकी i20 कार में जोरदार धमाका हुआ था।
कार में अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल (ANFO) और डेटोनेटर का इस्तेमाल किया गया, जिससे आसपास की कई गाड़ियां जल गईं और इलाके में अफरा-तफरी मच गई।
नया CCTV फुटेज सामने आया है जिसमें कार में विस्फोट हुए दिखा जा सकता है।भीड़भाड़ वाली सड़क पर लाल गुब्बारे जैसी चमक के साथ विस्फोट होता है।
कार सुबह 7:04 बजे बदरपुर बॉर्डर से दिल्ली में आई, आउटर रिंग रोड होते हुए पुरानी दिल्ली पहुंची। दोपहर 3:19 बजे लाल किले के पास पार्किंग में खड़ी हुई और शाम 6:48 बजे निकली। इस दौरान ड्राइवर (उमर) कार से बाहर नहीं निकला।
ब्लास्ट के तुरंत बाद चांदनी चौक की तंग गलियों में लोग दुकानों में छिपते दिखे। कंट्रोल रूम रिकॉर्डिंग में चमकदार फ्लैश दिख रहा है।
उमर मोहम्मद (36 वर्ष, जन्म 24 फरवरी 1989) पुलवामा के कोइल गांव का रहने वाला था। अल-फलाह मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद में डॉक्टर था।
कार (HR26CE7674) 29 अक्टूबर को पुलवामा के तारिक अहमद मलिक से खरीदी गई। इससे पहले कई लोगों को बेची गई। सलमान से नदीम, फिर रॉयल कार जोन (फरीदाबाद) तक।
उमर ने ब्लास्ट से 11 दिन पहले कार खरीदी और ब्लास्ट के एक दिन बाद (10 नवंबर) से गायब हो गया। CCTV में मास्क पहने उमर कार चलाते दिख रहा है। ब्लास्ट साइट से बरामद कटा हाथ और बॉडी पार्ट्स उसके बताए जा रहे हैं। DNA टेस्ट के लिए मां शहीमा बानो का सैंपल लिया गया।
परिवार ने कहा: "वह इंट्रोवर्ट था, पढ़ाई पर फोकस करता था। हमें विश्वास नहीं वह ऐसा कर सकता है।" पुलिस ने मां, दो भाइयों (आशिक और जहूर) और पिता गुलाम नबी भट को हिरासत में लिया है।
'व्हाइट कॉलर' डॉक्टर्स का नेटवर्क
ब्लास्ट से कुछ घंटे पहले फरीदाबाद में जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवात-उल-हिंद से जुड़े मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ।
2900 किलो विस्फोटक (अमोनियम नाइट्रेट, पोटैशियम नाइट्रेट, सल्फर), AK-47, पिस्टल, टाइमर जब्त।
गिरफ्तार: डॉ. मुजम्मिल गनी (पुलवामा), डॉ. अदील अहमद राठर (अनंतनाग), डॉ. शाहीन सईद (लखनऊ – जैश की महिला विंग बनाने की जिम्मेदारी)।
उमर इनका करीबी था। टेलीग्राम ग्रुप पर रैडिकलाइजेशन, तुर्की ट्रिप के बाद हैंडलर से निर्देश।
मॉड्यूल दो साल से विस्फोटक जमा कर रहा था। 26 जनवरी को बड़े हमले की साजिश, लाल किले की रेकी की गई थी। उमर और मुजम्मिल ने जनवरी में रेकी की।
NIA ने अब केस संभाला लिया है। उसकी एक टीम अल-फलाह यूनिवर्सिटी जाने की तैयारी कर रही है।
पुलवामा से 9, कुल 18+ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। लखनऊ में डॉ. शाहीन के भाई परवेज के घर रेड चल रही है।
पीएम मोदी ने कहा है: "साजिशकर्ताओं को बख्शा नहीं जाएगा।" अमित शाह ने मंगलवार को हाई-लेवल मीटिंग की थी।
दिल्ली, UP, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर हाई अलर्ट। लाल किला और मेट्रो स्टेशन तीन दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। अंदर जांच चल रही है। सीन क्रिएट किए जा रहे हैं।
यह घटना दिल्ली में 13 साल बाद पहला बड़ा ब्लास्ट है। जांच में पाकिस्तानी हैंडलर, फंडिंग और बड़े नेटवर्क का पता लग रहा है। एजेंसियां सतर्क हैं कि कहीं और हमले न हों। पीड़ित परिवारों को दिल्ली सरकार ने मुआवजा घोषित किया है।
अल फलाह यूनवर्सिटी का बयान
अल-फ़लाह विश्वविद्यालय ने बुधवार को एक बयान जारी कर संस्थान से जुड़े दो डॉक्टरों से खुद को अलग कर लिया, जिन्हें फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल मामले में जाँच एजेंसियों ने "हिरासत में" लिया है। अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए, विश्वविद्यालय ने कहा कि "उक्त व्यक्तियों से उनका कोई संबंध नहीं है, सिवाय इसके कि वे विश्वविद्यालय में आधिकारिक पदों पर कार्यरत हैं" और मामले से उसे जोड़ने वाली रिपोर्टों को "निराधार और अपमानजनक" बताया।
कुलपति प्रो. (डॉ.) भूपिंदर कौर आनंद ने अपने बयान में कहा, "हम इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम से बेहद स्तब्ध और दुखी हैं और इसकी निंदा करते हैं। हमारी संवेदनाएँ और प्रार्थनाएँ इन दुखद घटनाओं से प्रभावित सभी निर्दोष लोगों के साथ हैं।" उन्होंने पुष्टि की कि दो डॉक्टरों को हिरासत में लिया गया है, लेकिन दोहराया कि विश्वविद्यालय का "उक्त व्यक्तियों से कोई संबंध नहीं है, सिवाय इसके कि वे विश्वविद्यालय में अपनी आधिकारिक क्षमता में कार्यरत थे।"
उन्होंने आगे बताया कि अल-फ़लाह समूह 1997 से विभिन्न संस्थानों का प्रबंधन कर रहा है और 2014 में एक विश्वविद्यालय बना, जिसे यूजीसी अधिनियम, 1956 की धारा 2(एफ) और 12(बी) के तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त है। उन्होंने कहा "हमारा विश्वविद्यालय 2019 से विभिन्न शैक्षणिक और व्यावसायिक पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है और स्नातक एमबीबीएस छात्रों को प्रशिक्षण दे रहा है। हमारे संस्थान से प्रशिक्षित और स्नातक डॉक्टर वर्तमान में भारत और विदेशों में प्रतिष्ठित अस्पतालों, संस्थानों और संगठनों में सेवा दे रहे हैं।" उन्होंने स्पष्ट किया कि "कुछ प्लेटफ़ॉर्म द्वारा आरोपित किए जा रहे ऐसे किसी भी रसायन या सामग्री का विश्वविद्यालय परिसर में उपयोग, भंडारण या संचालन नहीं किया जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रयोगशालाओं का उपयोग केवल और केवल एमबीबीएस छात्रों और अन्य अधिकृत पाठ्यक्रमों की शैक्षणिक और प्रशिक्षण आवश्यकताओं के लिए किया जाता है।"
बयान में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि प्रयोगशाला की हर गतिविधि रेगुलेटर्स और एजेंसियों द्वारा निर्धारित सुरक्षा प्रोटोकॉल, वैधानिक मानदंडों और नैतिक मानकों का कड़ाई से पालन करते हुए की जाती है। विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन प्रसारित हो रही "निराधार और भ्रामक कहानियों" की निंदा करते हुए कहा कि इनका उद्देश्य उसकी प्रतिष्ठा और साख को धूमिल करना है। बयान में कहा गया, "हम ऐसे सभी झूठे और मानहानिकारक आरोपों की कड़ी निंदा करते हैं और उनका स्पष्ट रूप से खंडन करते हैं।" बयान में सभी संगठनों और व्यक्तियों से आग्रह किया गया है कि वे ज़िम्मेदारी से काम लें और विश्वविद्यालय से संबंधित कोई भी बयान देने या साझा करने से पहले आधिकारिक माध्यमों से तथ्यों की पुष्टि करें।