18 जनवरी के इस आदेश में कहा गया है कि "मौजूदा SHO इस मामले में जांच करने के लिए एक जिम्मेदार अधिकारी, जो इंस्पेक्टर रैंक से नीचे का न हो, को नियुक्त करे और जांच के दौरान कथित अपराधों में शामिल अन्य अज्ञात पुलिस अधिकारियों की भूमिका का पता लगाए।"
शिकायतकर्ता ने पहले पुलिस के पास अर्जी दी कि उस एसएचओ और पुलिस कर्मियों पर केस दर्ज किया जाए। लेकिन पुलिस ने जब नहीं सुना तो वसीम ने अपने वकील महमूद प्राचा के जरिये अदालत का दरवाजा खटखटाया। ये वही महमूद प्राचा हैं जो ईवीएम धांधली के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।
अदालत ने पाया कि दिल्ली पुलिस की कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर), जो उसने मांगी थी, कपिल मिश्रा की कथित भूमिका पर चुप थी। जूडिशल मैजिस्ट्रेट जैन ने कहा, "...ऐसा लगता है कि जांच अधिकारी पुलिस अधिकारियों को लेकर अधिक चिंतित था। या तो वह कथित आरोपी नंबर 3 (कपिल मिश्रा) के खिलाफ जांच करने में विफल रहा, या उसने उक्त आरोपी के खिलाफ आरोपों को छिपाने की कोशिश की।" .
बीजेपी नेता कपिल मिश्रा