loader

लद्दाख में चीनी घुसपैठ के संकेत पिछले साल अगस्त में ही मिलने लगे थे

लद्दाख की गलवान घाटी में पिछले क़रीब 7 हफ़्ते से जो चीन की आक्रामकता दिख रही है उसकी शुरुआत, दरअसल, काफ़ी पहले ही हो गई थी। इसके संकेत पिछले साल अगस्त में ही मिलने लगे थे। भले ही इंटेलिजेंस एजेंसियों को इसकी भनक नहीं लग पाई, लेकिन दुरबुक में स्थानीय लोगों ने चीन की नीयत को भाँप लिया था। दुरबुक के एक स्थानीय व्यक्ति का कहना है कि भारतीय क्षेत्र में चर रहे उसके दो घोड़ों को चीनी सैनिक ले गए थे। उनका कहना है कि इसकी सूचना सेना को भी दी गई थी कि चीनी सेना उनके घोड़ों को ले गई। चीनी सैनिक प्रशिक्षित कुत्तों की मदद से भारतीय क्षेत्र में चर रहे पशुओं को पीछे धकेल देते थे। 

ताज़ा ख़बरें

वैसे, सीमा क्षेत्र में रहने वाले लोग सीमा पार से होने वाली हरकतों को कहीं बेहतर समझते हैं। यह इसलिए होता है कि वे पीढ़ियों से वहाँ रह रहे होते हैं तो उस जगह से पूरी तरह वाकिफ होते हैं। पिछले हफ़्ते ही आई एक रिपोर्ट में दुरबुक क्षेत्र के लोगों ने दावा किया था कि चीनी सेना भारतीय सीमा क्षेत्र में घुस आई है। पूर्वी लद्दाख के दुरबुक (डुरबुक) निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व पार्षद नामग्याल दुरबुक ने यह दावा किया था कि उस क्षेत्र में काम करने वाले पोर्टरों का कहना था कि जिन जगहों पर वे पिछले साल घोड़े ले कर जाते थे वहाँ अब उन्हें नहीं ले जाने दिया जा रहा है। उनका कहना है कि गलवान में चीनी घुसपैठ है और उन क्षेत्रों में चीनी सैनिक तैनात हैं। 

यह तो बात हो गई इस साल जून महीने में हुई चीनी हरकतों की। पिछले साल अगस्त में ही चीनी घुसपैठ के संकेत मिलने की ख़बर स्थानीय लोगों ने सेना से लेकर स्थानीय प्रशासन तक को दी थी। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, दुरबुक के एक स्थानीय निवासी ने दावा किया कि जब उसने चीनी सैनिकों द्वारा उसके घोड़े ले जाने की शिकायत की थी तब उसे इस मुद्दे पर चुप रहने के लिए कहा गया था और उसे मुआवजे का वादा किया गया था, जो अब तक उसे प्राप्त नहीं हुआ है।

दुरबुक के एक स्थानीय व्यक्ति ने इकोनॉमिक टाइम्स से कहा, 'वे (चीनी) हमारे क्षेत्र के अंदर आए थे और उसके दो घोड़ों और एक घोड़े की 10,000 रुपये की काठी ले गए थे। उसको चुप रहने के लिए कहा गया और कहा गया कि उसको मुआवजा दिया जाएगा।' 

रिपोर्ट के अनुसार, आरोप लगाया गया है कि चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय क्षेत्र से घोड़ों को ले जाने के इस मामले को दबा दिया गया और स्थानीय प्रशासन भी इस मुद्दे पर चुप रहा।

पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के निवासी अक्सर शिकायत करते रहते हैं कि सेना उनको उनके पारंपरिक चारागाह क्षेत्रों में पशुओं को चराने नहीं देते हैं। जब वे किसी तरह उन चारागाह क्षेत्रों में पशुओं को लेकर पहुँच भी जाते हैं तो चीनी सैनिक प्रशिक्षित कुत्तों की मदद से उन्हें पीछे धकेल देते हैं। हाल के दिनों में तो दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा पर तनाव के बाद स्थानीय लोगों के लिए दिक्कतें और बढ़ गई हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार, अपने गाँव दुरबुक से पिछले हफ़्ते ही कारू शहर में आए एक व्यक्ति ने कहा, 'हमारे क्षेत्र में सैनिकों की बहुत अधिक आवाजाही है। स्थानीय लोग अपनी ख़ुद की ज़िंदगी और अपने परिवार के उन सदस्यों के लिए तनाव और भय में हैं जो सेना और सीमा सड़क संगठनों के लिए पोर्टर के रूप में काम करते हैं।'

बता दें कि चीनी घुसपैठ का मामला तब काफ़ी जोर शोर से उठा जब 15 जून को ख़ूनी झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए। हालाँकि इससे पहले ही चीन की आक्रामक हरकत मई महीने में साफ़ दिखने लगी थी जब भारतीय सैनिकों के साथ हाथापाई हुई थी। इसके बाद दोनों सेनाओं के बीच वार्ता चल रही थी, लेकिन इस बीच चीन ने बातचीत के बावजूद भारतीय सीमा में घुसपैठ जारी रखी। उसने गुपचुप तरीक़े से सीमा क्षेत्र में बड़ी संख्या में सैनिक तैनात कर दिए। यह दोनों देशों के बीच इस समझौते का उल्लंघन था कि वे बड़ी संख्या में सैनिक तैनात नहीं करेंगे। 

देश से और ख़बरें

अब ताज़ा रिपोर्ट है कि चीन ने 20 हज़ार सैनिक एलएसी पर तैनात कर दिए हैं और सीमा से क़रीब एक हज़ार किलोमीटर दूर शिनजियांग में 10-12 हज़ार सैनिक पूरी तरह तैयार हैं। तिब्बत में भी बड़ी संख्या में सैनिकों के हरकत में होने की रिपोर्ट है। पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो में भारत के कब्ज़े की ज़मीन पर चीनी सेना द्वारा क़ब्ज़ा जताने के उद्देश्य से साइनेज यानी संकेतक और मैप लगा दिए जाने की भी ख़बर है। 

अब ऐसे में चीन की मंशा को भाँपना मुश्किल नहीं है, तभी तो भारत ने भी बड़ी संख्या में सैनिक तैनात किए हैं और अब वह पैंगोंग त्सो में उच्च और बड़ी क्षमता वाली दर्जन भर स्टील बोट भेज रहा है जो सर्विलांस से लैस होंगी। 

इसकी प्रतिक्रिया में भारत ने भी बड़ी संख्या में सैनिक तैनात किए हैं। इसके अलावा भारतीय वायु सेना लेह-लद्दाख के इलाक़ों में कॉम्बैट एअर पैट्रोलिंग कर रही है। वायु सेना के अपाचे हेलिकॉप्टर और अपग्रेडेड मिग-29 भी गश्त लगा रहे हैं। पैंगोंग त्सो क्षेत्र में चीन की हरकत को देखते हुए भारत उच्च क्षमता वाली बोट भेज रहा है। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें