चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में SIR शुरू किया जाएगा। इसका उद्देश्य वोटर सूची को अपडेट करना और पारदर्शी बनाना है। जानिए कौन-कौन से राज्य शामिल हैं।
चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस
देशभर में विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर के तहत अब मंगलवार को ही 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इसकी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और अन्य अधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी घोषणा की। यह एसआईआर का दूसरा चरण है। इस चरण में उन राज्यों को तरजीह दी गई है जिनमें 2026 में चुनाव हैं। असम में भी अगले साल चुनाव है, लेकिन इसमें असम का नाम नहीं है। ज्ञानेश कुमार ने कहा है कि असम में मतदाता सूची के संशोधन की घोषणा अलग से की जाएगी। तो सवाल है कि जिस असम में बीजेपी सबसे ज़्यादा घुसपैठिए का मुद्दा उछालती रही है और सबसे ज़्यादा अवैध वोटर का आरोप लगाती रही है, उस राज्य के लिए ही एसआईआर की घोषणा अभी क्यों नहीं की गई?
फ़िलहाल, इस सवाल का ठोस जवाब तो नहीं मिल पाया है, लेकिन बाक़ी राज्यों में एसआईआर को लेकर जानकारी दी गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त यानी सीईसी ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को घोषणा की कि एसआईआर के इस दूसरे चरण में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गोवा, पुडुचेरी, छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और लक्षद्वीप में शुरू होगा। केरल में स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी नहीं हुई है, इसलिए एसआईआर की घोषणा की गई है। हालाँकि, महाराष्ट्र को लेकर चुनाव आयोग ने ऐसी घोषणा नहीं की।
एसआईआर का शेड्यूल
- 28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक प्रिंटिंग और ट्रेनिंग की प्रक्रिया चलेगी।
- 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक घर-घर गणना फॉर्म भरने की प्रक्रिया चलेगी।
- 9 दिसंबर को ड्राफ्ट सूची का प्रकाशन होगा।
- 9 दिसंबर 2025 से 8 जनवरी 2026 तक दावे और आपत्तियाँ ली जाएंगी।
- 9 दिसंबर 2025 से 31 जनवरी 2026 तक नोटिस फेज होगा जिसमें सुनवाई व वेरिफिकेशन का काम होगा।
- 7 फरवरी को अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन होगा।
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि जिन राज्यों में एसआईआर किया जाएगा उन सभी राज्यों की मतदाता सूचियाँ आज रात 12 बजे फ्रीज कर दी जाएँगी और बाद में मतदाताओं को सभी विवरणों के साथ विशिष्ट गणना प्रपत्र दिए जाएँगे। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि एसआईआर का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए और कोई भी अपात्र मतदाता सूची में न रहे।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, 'उस सूची में शामिल सभी मतदाताओं को बूथ स्तरीय अधिकारियों यानी बीएलओ द्वारा विशिष्ट गणना प्रपत्र दिए जाएँगे। इन प्रपत्रों में वर्तमान मतदाता सूची से सभी ज़रूरी विवरण शामिल होंगे।'
किनको दस्तावेज देने होंगे?
मुख्य चुनाव आयुक्त ने आगे बताया कि एक बार जब बीएलओ प्रपत्र वितरित करना शुरू कर देंगे तो मतदाता अपने विवरणों का सत्यापन पिछले मतदाता रिकॉर्ड से कर सकेंगे। ज्ञानेश कुमार ने कहा, 'जिन लोगों के नाम गणना प्रपत्रों में हैं, वे मिलान कर सकते हैं कि उनका नाम 2003 की मतदाता सूची में था या नहीं। अगर उनके या उनके माता-पिता के नाम 2003 की मतदाता सूची में हैं, तो उन्हें कोई अतिरिक्त दस्तावेज़ जमा करने की ज़रूरत नहीं होगी।' उन्होंने आगे कहा कि 2002-2004 की एसआईआर अवधि की मतदाता सूचियाँ voters.eci.gov.in पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई जाएँगी, जिससे नागरिक सीधे ऑनलाइन अपने नाम की पुष्टि कर सकेंगे।
'आधार पहचान पत्र के रूप में मान्य'
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है, लेकिन एसआईआर प्रक्रिया में इसे पहचान प्रमाण के रूप में पेश किया जा सकता है। बिहार में एसआईआर के दौरान आधार को लेकर काफी विवाद हुआ था। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चली, फिर भी चुनाव आयोग इसको स्वीकार करने को राजी नहीं था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग आधार को स्वीकार करने को तैयार हुआ।
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि एसआईआर के दूसरे चरण के लिए मतदान अधिकारियों का प्रशिक्षण मंगलवार से शुरू होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि घर-घर जाकर सत्यापन कार्य के लिए फील्ड टीमें तैयार हों। उन्होंने कहा, 'बीएलओ हर घर में तीन बार जाएँगे। प्रवासी मतदाताओं की समस्या के समाधान के लिए लोग अब अपने गणना फॉर्म ऑनलाइन जमा कर सकते हैं।' उन्होंने सभी भाग लेने वाले राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों और जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे राजनीतिक दलों के साथ बैठक करें और उन्हें एसआईआर प्रक्रिया के बारे में जानकारी दें ताकि पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
क्या ममता सरकार से टकराव?
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पश्चिम बंगाल में एसआईआर के मुद्दे पर ममता सरकार और चुनाव आयोग के बीच टकराव के सवाल पर ज्ञानेश कुमार ने कहा कि कोई टकराव नहीं है। उन्होंने कहा, 'चुनाव आयोग और राज्य सरकार के बीच कोई टकराव नहीं है। आयोग अपना कर्तव्य निभा रहा है और राज्य सरकार भी अपना कर्तव्य निभाएगी।'
इससे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में ज्ञानेश कुमार ने कहा, 'आज हम विशेष गहन पुनरीक्षण के दूसरे चरण की शुरुआत के संबंध में यहाँ एकत्रित हुए हैं। मैं बिहार के मतदाताओं को बधाई देता हूँ और उन 7.5 करोड़ मतदाताओं को नमन करता हूँ जिन्होंने एक सफल एसआईआर में भाग लिया।'
एसआईआर क्या है?
विशेष गहन संशोधन यानी एसआईआर मतदाता सूचियों को तैयार करने की बड़ी प्रक्रिया है, जिसमें सभी पंजीकृत मतदाताओं को नए गणना फॉर्म जमा करने होते हैं। यह वार्षिक या चुनाव पूर्व विशेष सारांश संशोधन यानी एसएसआर से अलग है, जो केवल नाम जोड़ने या हटाने तक सीमित रहता है। आयोग के 24 जून 2025 के आदेश में कहा गया, 'पिछले 20 वर्षों में बड़े पैमाने पर जोड़-घटाव से सूचियों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। शिक्षा, आजीविका और अन्य कारणों से तेज प्रवास आम हो गया है।' चुनाव आयोग ने एसआईआर का प्रमुख मक़सद बताया है- डुप्लिकेट प्रविष्टियां हटाना, मृतकों और स्थानांतरित लोगों को हटाना, विदेशी नागरिकों की जांच और नए मतदाताओं को जोड़ना।